Sunday 28 November 2021

संकटा देवी की कथा

 एक राजा था उसकी एक रानी थी सब कुछ होते हुए भी उसके कोई औलाद नहीं थी इस कारण राजा और रानी हमेशा दुखी रहते थे क्योंकि एक दासी थी जो संकटा देवी की पूजा हमेशा किया करती थी वह रानी को भी समझाते कि तुम संकटा देवी की मन्नत मान लो और  सुहागिन औरतों को एकत्र कर संकटा देवी की पूजा अर्चना करो ज्यादा ना हो सके तो सवा किलो का प्रसाद बनाकर तैयार करें और पांच सुहागिन औरतों को बुलाकर उन्हें खिलाएं साथ  ही श्रृंगार का सामान और दक्षिणा देकर विदा करें। रानी ने काफी सोच विचार कर दासी से कहा कि ठीक है हमारे पुत्र होगा तो हम संकटा मैया की पूजा करेंगे और सभी सुहागिनों को बुलाकर उन्हें भोजन कर आएंगे इधर राजा बहुत परेशान रहते थे एक दिन राजा बाहर भ्रमण को निकले तो उन्होंने देखा की प्रजा उनसे आंखें फेर रही है राजा ने घर आकर मंत्री से कहा के आज प्रजा ने मुझसे आंखें फेर ली ऐसा क्या हो गया पता करो तब मंत्री ने बताया के महाराज मुझे क्षमा करें आपके औलाद ना होने के कारण सुबह- सुबह आपका कोई मुंह नहीं देखना चाहता सब कहते हैं के निर्बन सी राजा का मुंह सुबह नहीं देखना चाहिए दिन भर खराब हो जाता है। रानी और दासी को यह बात बहुत बुरी लगी। तब दासी ने रानी से कहा कि मैं जैसा कहूं वैसा करो रानी ने कहा ठीक है सुबह होते ही दासी ने राजा से कहे दिया की रानी गर्भ से है और  रानी को चुप रहने के लिए कह दिया तब राजा बहुत खुश हुआ। लेकिन दासी ने राजा से यह शर्त रखी कि वह रानी से नहीं मिलेंगे जब बच्चा हो जाएगा तब ही मिल सकते हैं राजा को इतनी खुशी थी कि वह इस बात के लिए तैयार हो गए 9 महीने बाद दासी ने राजा से कहकर ढिंढोरा  भी पिटवा दिया की रानी को बालक हुआ है किंतु वह अभी किसी को दिखाया नहीं जाएगा उसके ग्रह है ऐसे हैं कि वह बाहर नहीं निकलेगा राजा चुप रहा और सारे राज्य में मिठाई बटवा दे इसी तरह छट्टी हुई मुंडन हुआ । और अंत में विवाह का समय भी आ गया राजा मन मार के बैठे रहे कुछ अनहोनी ना हो इस भय से राजा और रानी चुप रहे 15 वर्षों तक यह धैर्य बनाए रखें अब दासी ने राजा से कहा कि आप राजकुमार के विवाह की तैयारी करें राजा करता क्या न करता उसने एक कन्या से राजकुमार का विवाह भी तय कर दिया  विवाह वाले दिन दासी ने सुंदर सी पालकी बनवाई और उसमें मेवे मिष्ठान से एक सुंदर सा पुतला बनाया और रख दिया ओढ़नी से ढक कर बरात उठाई गई गाजे बाजे ढोल नगाड़ों के साथ बारात निकलने को हुई आधी दूर चलने के बाद संकटा देवी का मंदिर आया । वहीं पर दासी ने पालकी को रुकवाया और संकटा मैया के मंदिर में दर्शन करने गई इतने में संकटा मैया बिल्ली के रूप में उस मेवे के लड्डू को खाने के लिए आतुर हो गई अपने को वह रोक नहीं पाएं तभी दासी मां के चरणों में गिरकर रोने लगी और बोली मां मुझे मेरा बेटा दे दो मैं तुम्हारी पूजा अवश्य करूंगी । संकटा मैया को दासी पर दया आ गई और उसने 16 बरस के कुमार को पालकी में बिठा दीया इस तरह बारात जब दरवाजे पर पहुंचे तब दासी ने राजा से कहा अब आप कुंवर साहब को देख सकते हैं लेकिन घर चल कर हमारी संकटा मैया की पूजा अवश्य करवाएंगे राजा बहुत खुश हुआ और उसने जो ही पालकी से पर्दा हटाया सुंदर सा राजकुमार देखकर राजा ने उसे गले से लगा लिया तत्पश्चात राजकुमार का विवाह राजकुमारी से हो जाने पर वापस अपने राज्य आ गए उधर रानी बहुत परेशान थी कि अब राजा हमें मार ही देंगे मैंने उनसे बहुत झूठ बोला। किंतु दासी के सच्चे मन से पूजा करने पर रानी और राजा को राजकुमार और बहू मिल गई थी यह बात रानी को जब पता चले तो रानी बहुत खुश हुई राजकुमार और बहू के स्वागत करने के बाद आरती करने के बाद संकटा मैया की पूजा की तैयारी भी की पूरे राज्य में सुहागिनों के निमंत्रण भेजे गए उन्हें विधिवत खिला पिला कर सोलह सिंगार का सामान देकर दक्षिणा देकर स सम्मान विदा किया इस तरह संकट आने पर संकटा देवी की पूजा सच्चे मन से की जाए तो वह सभी संकट हर लेती हैं सभी को संकटा मैया की पूजा विधि विधान से सच्चे मन से करनी चाहिए जय संकटा मैया की।

अर्पणा पांडे

Monday 22 November 2021

लक्ष्मी जी की कथा

 एक गरीब औरत और एक बेटी थी बेटी हर  बृहस्पति वार को केले के पेड़ की पूजा करती लेकिन उसकी कहानी सुनने वाला कोई नहीं रहता 1 दिन बड़ी उदास होकर बोली हे भगवान मैं रोज कहानी कहती हूं किंतु कहानी सुनने वाला कोई नहीं तो लक्ष्मी जी को उस पर दया आ गई और वह केले के पेड़ से अचानक प्रकट हो गई और उससे बोली चलो तुम कहानी सुनाओ आज से मैं तुम्हारी कहानी रोज सुनने आया करूंगी लड़की पसंद हो गई और उसने पूजा करके कहानी सुनाइए फिर लक्ष्मी जी उसे अपने घर ले गए और अच्छे-अच्छे कपड़े भेंट में दिए बढ़िया खाना खिलाया लड़की जब वापस घर आए तो उसने मां से पूरी बात बताई और कहा कि आप से मेरी हो सहेली है और अगले बृहस्पतिवार को मैं उसे अपने घर भी बुलाओगी मां बोली बेटा दोस्ती हमेशा बराबर वालों से की जाती है बड़ों से नहीं। लेकिन बेटी नहीं मानी और जिद करने लगी नहीं वह तो अच्छी है हम उसे अपने घर बुलाएंगे तब माने अपने घर को साफ सुथरा किया गाय के गोबर से घर लीपा अपने स्थिति के अनुसार भोजन बनाया जब बृहस्पतिवार आया तो लक्ष्मी जी को अपने घर लाने के लिए एक कारीगर से उसने लकड़ी की गाड़ी भी बनवाई आप लड़की ने कथा कहने के बाद लक्ष्मी जी से अपने घर चलने का आग्रह किया और उसी गाड़ी में लक्ष्मी जी को बैठाला और अपने साथ अपने घर ले आए लक्ष्मी जी के बर्थडे ही गाड़ी सोने की हो गई सुंदर से सज्जित हो गई घर में पैर रखते ही घर सोने का हो गया चारों तरफ जगमगाहट होने लगी यह सब मां बेटी देख कर दंग रह गए तभी लक्ष्मी जी ने 5 थाली में भोजन  मंगाया एक गणेश जी का एक विष्णु जी का एक स्वयं का एक मां का एक बेटी का इस तरह 5 थालो में भोजन आ गया । भोजन करने के बाद लक्ष्मी जी के जाने का समय हो गया। अब लड़की ने पल्लू पकड़ कर कहा मैं आपको नहीं जाने दूंगी तब लक्ष्मी जी बोले मेरा एक पैर हमेशा तुम्हारे घर में रहेगा मैं एक जगह नहीं रहती ।  जिस घर में इनकी पूजा होती है साफ सफाई रहती है वहां लक्ष्मी जी का निवास रहता है इस तरह सभी को अपने घर पर या आसप पास सफाई हमेशा रखनी चाहिए ।

अर्पणा पांडे

Sunday 21 November 2021

नवग्रह की कहानी

 एक बूढ़ी मां थी उसके एक बेटी और एक बेटा थे बेटी पूजा पाठ बहुत करती थी वह हर रोज नवग्रह की पूजा भी किया करती थी। इससे उसकी शादी भी खूब अच्छे घर में हो गई । वहां भी खूब सुख में रहते हुए वह नवग्रह की पूजा बराबर करती रही। इधर मां बाप बेटा अकेले रह गए यह  लोग दुखी रहने लगे । 1 दिन बेटा मां से बोला मां मैं बहन से मिलने जाऊंगा , मां बोली के बेटा अभी तू मत जा अभी तुझ पर बुरी ग्रह चल रही है किंतु बेटा नहीं माना और वह बहन से मिलने के लिए चल दिया रास्ते में उसे प्यास लगी तो पास ही एक कुएं से उसने पानी निकाला तो उसमें से एक बड़ा सा सांप निकला वह बोला मैं तो तुझे डस लूंगा बेटा डर गया और बोला अभी मुझे तुम मत दसों मेरे झोले में बैठ जाओ मैं जब अपनी बहन से मिलकर आ जाऊं तब मुझे डस लेना सांप बोला ठीक है और वह उसके झोले में बैठ गया। भाई अपनी बहन के घर पहुंचा तो देखा बहन नवग्रह की पूजा कर रही थी l भाई ने अपने झूले को खूंटी पर टांग दिया और बाहर चला गया बहन पूजा करके कह रही थी अच्छी-अच्छी ग्रह पति पुत्र पर आए ,बेटी दामाद पर आए, भाई भतीजे पर आए और बुरी बुरी ग्रह  भाड़ चूल्हे में जाए उसके इस तरह कहने से भाई के  झोले में बैठा हुआ सांप बाहर निकल गया और उसकी जगह सुंदर सा सोने का हार रह गया जब बहन उठी तो उसने भाई का  झूला  देखा तो उसमें हार वह बड़ी खुश हुई कि मेरा भाई मेरे लिए हार लाया है और वह पहन कर बैठ गई जब भाई आया तो उसने कहा भैया फल फूल ले आते तो इतना महंगा हाल क्यों ले आए भाई कुछ भी नहीं समझ पाया तब उसने पूरी बात अपनी बहन को बताएं बहन इतने में समझ गए कि यह सब नवग्रह की पूजा का फल है और फिर उसने भाई को भी नवग्रह की पूजा करने को कहा और उसे सिखाया भाई अच्छे से घर आया और मां के साथ बैठकर उसने भी नवग्रह की पूजा नित्य करने का संकल्प ले लिया और कहता जाए .....बंदा चले 9 कोश  ग्रह उतरे 100 कोष।

अर्पणा पांडे


Saturday 20 November 2021

गणेश जी की कथा

 एक बूढ़ी औरत थी वह रोज सुबह नहा धोकर गणेश जी के मंदिर जाती और पूजा करती थी आंखों से अंधे होने के कारण उसे काफी कठिनाई होती थी लेकिन वह बिना मंदिर जाए पानी भी नहीं पीती  l  1 दिन गणेश भगवान जी ने उसकी भक्ति को देख उसे दर्शन दिए और कहा कि तू मेरी बहुत सेवा करती है जो भी मांगना हो मांग लो वह बड़ी प्रसन्न हुई और बोली अच्छा ! भगवान मुझे अब क्या चाहिए हां अपने बेटे बहू से पूछ ले कि उन्हें क्या चाहिए तब मैं आपको कल बताऊंगी  भगवान बोले ठीक है पूछ आओ बुढ़िया बहुत खुश हो गई और जल्दी-जल्दी अपने घर आई और बेटे बहू को सारी बात बताई तो बेटा बोला अम्मा तुम धन मांग लो उससे सभी कुछ आ जाएगा और बहू बोली अम्मा एक पोता मांग लो तो तुम बैठी बैठी उसे खिलाया करना बुढ़िया कुछ नहीं बोली लेकिन मन ही मन में दुखी हो गई कि बच्चे कितने स्वार्थी हैं किसी ने भी यह नहीं कहा कि अम्मा तुम्हारी आंखें नहीं है तुम आंखें मांग लो रात भर नींद भी नहीं आई और सोचते ही रही सुबह होते ही वह उदास से मंदिर के लिए चली गणेश भगवान जी अंतर्यामी बुढ़िया के मन की बात को समझ गए और बालक का वेश धरकर रास्ते में ही मिले बोले अम्मा तुम दुखी क्यों हो और मुंह से तुम क्या बड़बड़ा रही हो इतना सुनकर बुढ़िया रोने लगी और उसने सारी बात बताई बोली हमने तो सोचा था कि बेटा बहू कहेंगे अम्मा आंखें मांग लो लेकिन मेरी किसी ने नहीं सोचा तब बालक रूप में गणेश जी ने कहा के अम्मा तुम ऐसे कहना कि सोने के कटोरा में नाती दूध पिए और  हम आंखों से देखेंl बुढ़िया उस की चतुराई से बड़ी खुश हुई और जल्दी-जल्दी मंदिर के लिए  जाने लगी तभी भगवान ने दर्शन दिए और पूछा क्या चाहिए तुम्हें सो बुढ़िया ने तुरंत बोला कि सोने के कटोरा में नाती दूध पिए हम आंखों से देखें भगवान ने कहा तथास्तु !और अब उसके पास धन भी हो गया नाती भी हो गया और आंखों से दिखाई दे देने लगा । इस तरह उसकी पूजा सफल हुई 9 महीने बाद ही उसके घर में सुंदर से बालक ने जन्म लिया जिसे उसने अपनी आंखों से देखा और खूब प्यार दिया। सुबह से गणेश भगवान  के मंदिर जाना जारी रखा इस तरह भगवान सबकी सुनते हैं जो श्रद्धा से उनकी भक्ति करते हैं। बोलो गणेश भगवान की जय। 

अर्पणा पांडे 

Wednesday 20 October 2021

उत्तर भारत के लोकगीत और लोक कथाएं

लोकगीत एवं लोक कथाएं हमारी संस्कृति को पर लक्षित  करती है आज आधुनिक युग में लोकगीत एवं लोक कथाओं को संरक्षित करना अत्यंत दुष्कर होता जा रहा है लोग ग्रामीण अंचलों से शहरी अंचलों में आकर उसी में मगन हो रहे है।

कहीं ना कहीं  वे लोकगीत और लोक कथाओं को कहने सुनने में शर्म और संकोच महसूस करते हुए नजर आते हैं वह शहर में अपनी भाषा को बोलने में शर्म महसूस करते हैं वे अपने को कम पढ़ा लिखा समझ कर हीनभावना के शिकार होने लगते हैं जबकि सच यह है की असली भारतीय संस्कृति गांव में ही बसती है यह संस्कृति क्रमशः निरंतर एक से दूसरे को आदान प्रदान की जाती रही है और आगे भी की जानी चाहिए।

आज बच्चों के जन्मदिन पर जच्चा बच्चा गीत जैसे सोहर सरिया प्रायः लुप्त होते जा रहे हैं शहरी निवासी होते ही लोग शर्म से या अपने को शहरी समुदाय में सम्मिलित होने के लिए जन्मदिन पर गीत ना गाकर केक काटने के रिवाज को बढ़ावा दे रहे हैं। वही मुंडन जनेऊ विवाह जैसे कामों में भी बिना गीत गाए बजाए आधुनिक संगीत को अधिक महत्त्व दे रहे हैं  ।

उसी तरह लोक कथाएं भी लुप्त होती जा रही हैं हर तीज त्यौहार पर पहले घर के बुजुर्ग महिला तीज त्यौहार से संबंधित कथा सुनाते थी और सभी लोग उसे ध्यान से सुनते और अंत में यह कहते थे जैसा उसके साथ हुआ भगवान वैसा सभी के साथ हो । खैर मै लोकगीत और कथा कहानी को अपनी मां से और दादी नानी से सुनते हुए बड़े हुए हैं अब मैं इसे आगे बढ़ाने के लिए पुस्तक रूप में लाना चाह रही हूं आप सभी से साझा करते हुए, अपनी मां के जीवंतता को महसूस करना चाहती हूं। उम्मीद है कि सभी लोगों को अपने बड़े बुजुर्गों की याद आ जाएगी । ऐसा मेरा प्रयास है धन्यवाद

अर्पणा पांडे

भारतीय गरीब औरत की सोच

  पुणे प्रवास के समय हमारे घर में कमल बाई काम करती थी शाम को वह थक हार कर जब घर जाती तो उसका पति शराब पीकर बहुत लडता था और इस से ₹10 मांग कर पाउच मंगाता था बहुत थक जाती थी और हम से आकर सुबह रो-रो कर बताती और कहती कि इतनी गुस्सा आती है की लगता है मर जाए  दो 4 घंटे का रोना ही तो होगा फिर थोड़ी ही देर में सोचती और कहत अरे भाई क्या बताऊं  गुस्से में कहतो देती हूं लेकिन समाज में यह भी लगता है की बिंदी टिकुली  और साड़ी तो पहन लेती हूं और सज धज कर  निकल तो सकती हूं। करवा चौथ तो मनाती हूं। यही सब सोचकर और बता कर मन को संतोष कर खुश हो लेती और मैं मन ही मन मुस्कुराती और सोचती यह कैसा पति प्रेम?  

अर्पणा पांडे

Saturday 7 August 2021

प्रेम

 प्रेम करना परम संतोष दायक है। किन्तु प्रेम करना आसान नहीं है.   इसमें एक दूसरे के सुख ,दुःख और श्रम का भी भागीदार बनना पड़ता है।दुःख से हृदय निर्मल होता है और सुख से -दुःख की क्षति पूर्ति होती है। श्रम से मनुषत्व का विकास होता है। इसलिये प्रेम के लिये ये तीनों ही आवश्यक हैं।  इसके लिये पहले करुणा और देख - भाल का भाव जगाना पड़ता है। फिर आदान - प्रदान शुरु होता है। एक साथ रहते हुये हमे सुख. दुख. व श्रम को एक साथ लेकर चलना होता है. एक की भी डगमगाहट दूसरे को कमजोर बना देती है। हम इसमें एक-दूसरे के इतने आदी हो जाते हैं कि फिर कोई कार्य अकेले नहीं होता। असंभव सा लगने लगता है। 

शुरुआत में प्रेम करना मेहनत का काम है। लेकिन वही मेहनत बाद में स्वचालित क्रिया हो जाती है। धीरे-धीरे संबन्धों में सुधार होने लगता है. फिर निखार आने लगता है। तत्पश्चात प्रेम से संगीत गूंजने लगता है।

         अर्पणा पाण्डेय.

         9455 22 5325

Sunday 1 August 2021

एकाकीपन . .

 किसी को 2 , 3 फुट चौड़ी पट्टी पर चलने को कहा जाये और उसके दोनों तरफ गड्डा हों तो उस पर चलना असम्भव होगा ,यही बात इंसानी रिश्तों पर भी लागू होती है , ये छोटे - छोटे नाजुक संबंध हमें सुरक्षा का वह कवच देते हैं . जिसके  हटते ही एकाकीपन का अंधेरा हमें दबोच लेता है।

शरत चन्द्र ने अपने उप न्यास देवदास के अंत मैं लिखा हैं कि देवदास का मरना उतना दुःखद नहीं था जितना कि यह कि मरते समय अपने किसी प्रिय जनों की आँखों में वह एक बूंद भी न देख सका । देवदास की त्रासदी उसका प्रेम में विफल हो जाना ही नहीं बल्कि उसकी त्रासदी है सबसे कट जाना।

Sunday 25 July 2021

ज्ञानोबा माऊली ( देखी-सुनी )

 पुणे (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर की दूरी पे स्थित इंद्रायानी नदी के तट पर आं लदी स्थित है .और यहाँ भगवत गीता को मराठी भाषा में रचने वाले संत ज्ञानेश्वर का समाधि स्थल है।इनका जन्म महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले में पैठ ण के पास आप े गांव में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इनके पिता का नाम विट्ठल पंत और माता का नाम रुक्मणी बाई था।मुक्ता बाई इनकी बहन भी,उस समय सारे ग्रंथ संस्कृत मे थे और आमजनता संस्कृत नहीं जानती थी। तेजस्वी बा ल क ज्ञानेश्वर ने 1 5 वर्ष की उम्र में ही गीता पर मराठी में ज्ञानेश्वरी नामक भाष्य की रचना करके जनता की भाषा में ज्ञान की झोली खोल दी।संत ज्ञाने श्वर ने पूरे महाराष्ट्र में भ्रमण कर लोगों को ज्ञान भक्ति का परिचय कराया और समता व समभाव का उपदेश दिया इन्होंने भगवान पांडु रंग की भक्ति का प्रचार प्र सा र पूरे महाराष्ट्र में किया। 

हर वर्ष आंलदी में कार्तिक एकादशी को लाखों की तादाद में श्रद्धालु प हुंचते हैं।. इस मेले की शुरुआत असाड़ी एकादशी को पंढ़रपुर से शुरू होती है। चार महीने के बाद यह यात्रा आंलदी में कार्तिक एकादशी के दिन पहुँचती है। भजन करते हुये बारकरी(इनके शिष्य) जगह जगह संत ज्ञानेश्वर की शिक्षा का प्रचार प्रसार करते हुये पहुँचते हैं।

प्यार से लोग इन्हें माऊली नाम से भी बुलाते  हैं। .

Friday 9 July 2021

20 2 1 -अप्रैल 8 की दुःखद घटना . .

 मार्च में अचानक जो कोरोना की 2सरी लहर आई ,उसने हिला कर रख दिया, होली के 2- 3 दिन के बाद अचानक से रामबाग से खबर आई कि जिज् जी को कोरोना हो गया और जीजा जी को भी ।अभी 2 दिन ही बीता की उनके यानि जिज् जी के मरने की खबर . . . हम सब स्तब्ध- रह गये अकेले में चिल्ला कर रोने के सिवा कुछ नहीं कर सके उधर जीजा जी की नाजुक हालत को देखते उन्हें कुछ ना बताया -गया और बच्चों ने दूर से ही दर्शन कर अंतिम संस्कार, कर लौट आये .एक माह के बाद जब जीजा जी वापस आये त ब उन्हें बताने की हिम्मत बच्चों ने कैसे जुटाई . ये घटना हम सब बहनो और उनके बच्चों को 5 माह बाद भी झकझो र रही है .और जीवन निरर्थक सा लगने लगा है. सारे भौ तिक सुख़ों का कोई सुख नहीं 

क्षण भंगुर जीवन की कलिका 
कलि काल की प्रात खिली न खिली
जप लों श्री राम हरी रसना
जा अंत समय में हिली न हिली 

aparnapandey1961@gmail.com 
9 4 55 225 32 5 .
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Thursday 8 July 2021

असभ्यता और अहंकार

असभ्यता सत्य की कमजोर नकल है। .

अंहकार ही हमे शा समर्थन पाने में रोड़ा अट का ता है।

चुप्पी पर कोई मुकद मा नहीं चल सकता . . . .

एक किस्सा ..एक कारीगर ने एक मूर्ति बनाई बेशक मूर्ति अच्छी बनी थी किन्तु मालिक ने कहा कि इसकी नाक जरा बड़ी है . मूर्तिकार ने चुपचाप छेनी और हथोड़ी ली थोड़ी सा संगमरमर का बुरादा लिया ,और सीढी पर  चढ़कर मूर्ति पर छेनी चलाने की नकल करता रहा और थोड़ा-थोड़ा बुरादा गिराता रहा । उसने फिर मालिक से पूछा कि अब बताय़ें . . .मालिक खुश हुआ और बोला .हाँ अब ठीक है अब तुमने इसमें जान फूंक दी है । इस तरह उसने मालिक को नाराज़ किये बिना यह बता दिया कि वे अज्ञानी हैं ,और इस त रह उनका नजरिया बदल दिया । 

Sunday 4 July 2021

इतिहास........

 बसु और मछली से सत्यवती नाम की एक लड़की पैदा हुई उसका विवाह पाराशर से हुआ ऋषि पाराशर और सत्यवती के 3 पुत्र हुए पहले व्यास जी पांडू और भीष्म । व्यास  जी  कुरूप होने के कारण त्याग दिए गए थे। विचित्रवीर्य रोगी थे। विचित्र वीर जी की तीन पत्नियां अंबा अंबिका अंबालिका ।  भीष्म ने शादी ना करने की कसम खा ली व्यास जी कुरूप होने के कारण सन्यासी हो गए। तब वंश बढ़ाने के लिए भीष्म ने व्यास जी से प्रार्थना की । व्यास जी ने कहा ठीक है मेरी एक शर्त है  1 साल की साधना करने के बाद मेरे रूप रस और गंध को जो स्वीकार करेगा वही मेरे पास आएगा और डरेगा भी नहीं तब वे एक उत्तम बालक को जन्म दे सकेंगे उस समय विधवा से संसर्ग करने पर दूसरे पुरुष को कुरूप बन कर जाना होता था । व्यास जी के पास जब अंबिका गई तो   डर की वजह से उसने आंखें मूंद ली है जिसकी वजह से दृष्ट राष्ट्र अंधे हुए। फिर अंबालिका को भेजा गया अंबालिका डर की वजह से पांडुरंग की हो गई उनसे पांडू हुए तब सत्यवती ने अंबा को भेजा। तब अंबा ने छल से अपनी दासी को भेज दिया उससे विदुर पैदा हुए सूत पुत्र विदुर के लिए अंबा को ऋषि ने आशीर्वाद दिया की तुम्हारा यह पुत्र तेजस्वी धर्मात्मा और बुद्धि जनों में श्रेष्ठ होगा। अर्पणा पांडे ..9 4 55 225 325

Monday 1 March 2021

 प्रिय बच्चों सदा खुश रहो

हमने तुम दोनों की परवरिश बहुत अच्छे से की फिर भी कहीं चूक हो सकती है २० साल की उम्र में तोशी का जन्म और २१ साल में  दीपक का जन्म हुआ, उतनी अक्ल नहीं हुआ करती थी। फिर भी तुम दोनों का स्वास्थ जब तक मेरे साथ रहे अच्छा ही रहा। बहार जाने के बाद तुम दोनों ने स्वतंत्र जीवन जिया और काफी समझदार  भी हो गए इधर हम लोग अब जीवन के लम्बे समय को पार कर आये रिटायरमेंट के बाद कानपूर में स्थिरता पाई यहां भी घर को ठीक कराया और तुम दोनों भी अपनी अपनी फैमिली के साथ यहां आकर छुट्टियां बिताओ इसलिए तीन पोर्सन तैयार हो गए. और ख़ुशी से रहकर अपनी दिनचर्या को अपने हिसाब से सेट कर लिया ..तुम्हे गर्व भी है और मुझे भी, बस तुम्हे या तुम्हारी यंग जनरेसन हर तरह की आजादी चाहती है। जबकि हमलोग अभी तीन -तीन पीढ़ी को एक साथ लेकर चल रहे हैं साथ चलने के लिए बहुत से त्याग करने पड़ते हैं तब रिश्ते कमाए जाते हैं पैसा कमाना सरल है पर रिश्ते कमाना कठिन लेकिन संतोष धन रिश्तों से ही मिलता है। 

घर की बगिया और जंगल के पेड़ों में अंतर होता है। बेतरतीब से उगे बृक्षों को देखभाल की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। पर घर के बगीचे में सुंदरता लेन के लिए पौधों की काट छाँट निराई गुड़ाई करनी ही पड़ती है। फिर हम तुम लोगों को अनगढ़ तऱीके से कैसे बढ़ने दे सकते है?

  सफलता पाने के लिए इस जनरेसन को पर्स्नाल्टी  डवलपमेंट की खर्चीली क्लासेज की जरूरत तो महसूस होती है पर अच्छी आदतों के लिए मम्मी पापा का अनुशासन और गाइडेंस मंजूर नहीं। 

तुम दोनों तो अब अपने काम और कैरियर के लिए घर से चले गए अब जब भी घर आते हो तो हमारे स्व्भविक स्नेह और उत्सुकता पार खीज उठते हो। सहजता और सरलता कभी आउटडेट नहीं होती। 

अपने आफिस में अपने बॉस या सीनियर कलीग का सम्मान उसकी सीनियरटी और उसके अनुभव के आधार पर करते हो। उनसे कुछ सीखना और समझना चाहते हो फिर घर में हमारे समझाने पर क्यों तुनकते हो क्या हम लोग तुमसे सीनियर नहीं है क्या तुमसे ज्यादा जिंदगी के साल हमने नहीं देखे हैं। 

आपको  कुछ नहीं पता आप लोग कुछ नहीं समझते, बोलने से पहले सोचो 

शादी अपनी पसंद की है तो उसे सम्मान देना भी तुम्हारी जिम्मेदारी है 

इस नई पीढ़ी  का यह फंडा डबल इनकम एक बच्चा या नो किड्स ,,हम भी यही सोचते तो तुम्हारा कोई अस्तित्व होता ?  तुम्हारी पीढ़ी के सा तालमेल बिठाने के लिए हमने भी कम्प्यूटर पर काम करना सिख लिया है

बचपन में तुम लोगों को बोलना सिखाया और अब तुम लोग कहो की चुप रहो सुन कर बड़ा दर्द होता है। 

बच्चों अपने जीवन को रोशन करने की चाह में  हमारे जीवन में अंधकार मत भर देना जिस परिवार को हमने और पापा ने स्नेह और समर्पण की साथ सींचा है तुम उसे फैसन ,कम्पटीसन और  जलन की आंधी में उजाड़ मत देना संस्कारों को मत भूलना। नेट पर अनजाने दोस्त तो बहुत बना लिए थोड़ा नाता, रिस्ता ,परिवार और पड़ोसियों   से बी बना की रखना वक्त बे बक्त वे जरूर काम आएंगे। 



Sunday 28 February 2021

 भक्ति ने ज्ञान को हरा दिया l

ज्ञान में अभिमान होता है भक्ति में विनम्रता, ज्ञान में कर्म फल और मोक्ष प्राप्त की इच्छा होती है भक्ति में सिर्फ सेवा कीl ज्ञान में तर्क वितर्क होता है भक्ति में समर्पणl इसलिए भक्ति को ईश्वर की प्राप्ति का परम साधन माना गया है l
एक बार की बात है स्वामी परमानंद जी नर्मदा के तट पर अपने आश्रम में बैठे थे lतभी देखा कि आश्रम के पास झुरमुट के बीच में दो व्यक्ति बैठे हैं स्वामी जी को संदेह हुआ कहीं आश्रम से कुछ Lene तो नहीं आए हैं l शिष्यों ने बताया कि दोनों भक्त हैं और राम कथा सुनने आए हैं उनका हुलिया देखकर परमानंद जी को कुछ जचा नहीं बिल्कुल जंगली की तरह यह क्या समझेंगे राम कथा l उन्होंने उन दोनों को अपने पास बुलवाया फिर हंसते हुए बोले कुछ राम भक्ति का महत्व हमको भी बताओ दोनों कुछ नहीं बोले तो स्वामी जी ने डपट कर कहां जा भागो यहां बेकार की भीड़ ना लगाओ कल सुबह जब मेरा प्रवचन हो तब आना प्रसाद भी तभी मिलेगा l
दोनों मान अपमान की चिंता किए बिना चले गए स्वामी जी हंसे l तट पर चलते हुए आगे स्वामी जी को अचानक एक छोटा बालक मिल गया वह गीली रेत का एक छोटा सा तालाब बनाकर उसे अंजूरी में पानी ला ला कर भर रहा था खेल देखकर स्वामी जी को बड़ा आनंद हुआ उनके पूछने पर वह बालक ने कहा कि वह नदी का सारा पानी अपने तालाब में भरना चाहता है बालक की बात सुनकर शिष्य हंसने लगे किंतु स्वामी जी अचानक गंभीर हो गए उन्हें लगा कि कहीं इसमें कोई संदेश तो नहीं है कहीं मुझे मेरा गुरु तो नहीं मिल गया यह बालक मुझे बताना चाहता है कि जैसे हम इस नदी का सारा जल ret के इस छोटे से kund में नहीं भर सकते ठीक उसी तरह सारा ज्ञान भी अपने छोटे से दिमाग में नहीं भर सकते , उस बालक के भाव ने स्वामी जी के ज्ञान के अभिमान को उस कुंड में डुबो दिया l दूसरे दिन स्वामी जी के आश्रम में संत समागम का आयोजन था सैकड़ों विद्वानों और भक्त जनों के बीच स्वामी जी का प्रवचन होने वाला था लेकिन रात को भयंकर वर्षा हो गई नदी का पुल वह गया आने जाने के सभी मार्ग टूट गए कोई भी आश्रम तक नहीं आ पाया स्वामी जी आश्रम की खिड़की से पानी का तेज बहाव देख रहे थे . कि उसी में गिरते पड़ते दो व्यक्ति आश्रम की ओर चले आ रहे हैं थोड़ा नजदीक आने पर स्वामी जी ने पहचान लिया वे दोनों वही राम भक्त ...जिनको कल स्वामी ने अपमानित किया था वे राम कथा सुनने आज उफनती नदी पार करके आश्रम में पहुंच गए थे तब स्वामी जी धीरे-धीरे उन भक्तों के पास पहुंचे दोनों विनम्र भाव से खड़े होकर स्वामी जी को प्रणाम करने लगे अचानक उन दोनों में स्वामी जी को राम लक्ष्मण के दिव्य रूप के दर्शन हुए . स्वामी जी ने दोनों के चरण पकड़ लिया .इस तरह ज्ञान का अभिमान छूमंतर हो गया भक्ति की एक लहर ने सारा अहंकार बहा दिया, ज्ञान हार गया l
( सुनी सुनाई कथा )
अर्पणा पांडे 94 5 5 225 325.

 विनम्र स्वभाव........

भीष्म पितामह सरसैया पर लेटे थे कौरव और पांडव उन्हें घेरकर खड़े थे भीष्म पितामह सभी की ओर देखते हुए बोले अब आप सब से विदा लेने का समय आ गया है मेरे पास कुछ ही समय शेष हैl यह सुनकर धर्मराज युधिष्ठिर उनके चरणों में बैठते हुए बोले पितामह आपसे निवेदन है कि आप हमें कुछ ऐसी उपयोगी शिक्षा दें जो हमारे जीवन के लिए लाभदायक हो भीष्म पितामह बोले.. मैं तुम्हें एक नदी की कहानी सुनाता हूं जिसमें जीवन का सार छुपा है एक दिन समुद्र ने नदी से प्रश्न किया? तुम बड़े बड़े पेड़ों को अपने प्रवाह मैं ले आती हो लेकिन छोटी सी घास कोमल बेलो और नरम पौधों को अपने साथ बहाकर नहीं ला पाती l समुद्र की बात सुनकर नदी मुस्कुराती हुई बोली जब जब मेरे पानी का बहाव आता है तब बेले घास के तिनके ,नरम पौधे झुक जाते हैं और मुझे रास्ता दे देते हैं लेकिन वृक्ष अपने कठोरता के कारण झुकने को तैयार नहीं होते वह सीधे खड़े रहते हैं ऐसे में मेरा तेज बहाव उन्हें तोड़कर अपने साथ बहा लाता हैlबड़े पेड़ों का अहंकार मुझे पसंद नहीं इसलिए मैं उन्हें दंडित करती हूं नदी के जवाब से समुद्र संतुष्ट हो गया और शायद आप सब भी इस कहानी में छुपे हुए जीवन के सार को समझ गए होंगे व्यक्ति को हमेशा विनम्र रहना चाहिए .यही सफलता का मूल मंत्र है यह कहकर भीष्म पितामह ने सदा के लिए आंखें बंद कर ली l
(सुनी सुनाई कथा )
अर्पणा पांडे 94 55 225 325

 सबसे बड़ा कौन ......

एक बार नारद जी के मन में यह जानने की इच्छा हुई कि ब्रह्मांड में सबसे बड़ा कौन है नारद जी ने भगवान विष्णु के सामने अपनी जिज्ञासा रखें विष्णु जी ने मुस्कुराते हुए कहा नारद जी सबसे बड़ा तो यह पृथ्वी है इसलिए हम पृथ्वी को सबसे बड़ा कर सकते हैं पर समुद्र में पृथ्वी को घेर रखा है इससे समुद्र सबसे बड़ा हुआ तब नारदजी बोले मान लेता हूं कि सबसे बड़ा समुद्र है किंतु समुद्र को भी अगस्त्यमुनि ने पी लिया इसलिए वे बड़े हुए .ठीक है आप कहते हैं तो अगस्त जी को बड़ा मान लेता हूं विष्णु ने कहा! नारद जी यह तो समझो कि वे रहते कहां है आकाश में एक जुगनू की तरह चमक रहे हैं. इसलिए आकाश उनसे भी बड़ा है नारद जी बोले ठीक कहते हैं आप सबसे बड़ा आकाश है फिर विष्णु ने कहा लेकिन वामन अवतार ने इस आकाश को भी एक ही पग में नाप लिया था इसलिए बामन ही विराट है नारद जी ने विष्णु के पैर पकड़ते हुए कहा भगवान आप ही 52 अवतार थे अब आपने 16 कलाएं धारण कर ली हैं .इसलिए बामन से विष्णु बड़े हैं.. मैं आपको प्रणाम करता हूं विष्णु जी ने कहा! मैं विराट स्वरूप धारण करने के बाद भी अपने भक्तों के छोटे से हृदय में विराजी था इसलिए बढ़े तो मेरे वे भक्त हैं जो शुद्ध mn से मेरी आराधना करते हैं .तुम भी सच्चे भक्त हो .इसलिए वास्तव में सबसे महान और बड़े तुम स्वयं हो यह बात सुनकर नारदजी समझ गए कि बड़े लोग अपने बड़प्पन कभी नहीं छोड़ते वह छोटे लोगों को बड़ा कहकर उन्हें आगे बढ़ने का मौका देते हैं l
(सुनी -सुनाई कथा )
अर्पणा पाण्डे 94 55225 325
May be an image of 1 person and text that says 'ॐ जय श्री हरी विष्णु ॐ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय श्री हरि विष्णु की कृपा से आज का आपका दिन मंगलमय और खुशियों से भरा रहे ओर आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो शुभ बृहस्पतिवार शुभ प्रभात वंदन'
Kaushal Pandey, Manorama Dixit and 6 others
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 जाओ और आओ ......

एक गांव में एक धनी किसान रहता था उसके पास बहुत सी जमीन थी किसान के दो लड़के थे जब दोनों लड़के बड़े हो गए तो किसान ने उन्हें आधी आधी जमीन बांट दी साथ ही काम करने वाले आदमी भी बराबर बराबर बांट दिए बड़ा लड़का बहुत सुस्त और आलसी था वह कभी अपने खेतों को देखने नहीं जाता था वह अपने आदमियों से कहा करता था "जाओ खेतों पर जाकर काम करो "उसके आदमी मनमाना काम करते थे धीरे-धीरे उपज घटने लगे और बहुत कम हो गए इस तरह किसान का बड़ा लड़का गरीब हो गया! उधर छोटा लड़का बहुत परिश्रमी था वह सवेरा होते ही कंधे पर हल रखकर अपने आदमियों को पुकारता था आओ खेतों में चलकर काम करें वह आदमियों को साथ लेकर खेतों पर जाता और डट कर काम करता उसे देख कर उसके आदमी भी खूब मेहनत करते थे . कुछ दिनों में वह धनी हो गया चतुर पिता दोनों बेटों में फर्क समझता था एक दिन उसने दोनों बेटों को बुलाया और बड़े लड़के से पूछा क्या हाल है उसने कहा मैं तो गरीब हो गया हूं मेरा भाग्य ही खराब है फिर उसने छोटे लड़के से पूछा तो वह बोला आपकी कृपा से दिन दूनी और रात चौगुनी उन्नति हो रही है बूढ़े किसान ने कहा देखो तुम दोनों को मैंने बराबर बराबर भाग दिया वह भाग भी तुम्हारा भाग्य था तुम्हारे भाग में कोई अंतर नहीं अंतर केवल है जाओ और आओ का बड़े लड़के ने हैरान होकर पूछा बापू जाओ और आओ क्या है ? पिता ने कहा तुम सदा अपने आदमियों से कहते हो जाओ काम करो जबकि तुम्हारा छोटा भाई अपने आदमियों से कहता है "आओ काम करें" पिता की बात सुनकर बड़े लड़के की आंखें खुल गई ....
(सुनी सुनाई कथा )
अर्पणा पांडे 94 55 225 325.

Tuesday 16 February 2021

 कीमती हीरा .........

काफी पुरानी बात है बगदाद के खलीफा का एक गुलाम थाl वह काफी बदसूरत था दूसरे गुलाम उसकी बदसूरती का मजाक उड़ाते थे लेकिन हासम अपना ध्यान हमेशा अपने काम पर लगाता था वह पूरी कोशिश करता था कि खलीफा को कोई तकलीफ ना हो एक बार खलीफा अपने कई गुलामों के साथ बगीचे जा रहे थे साथ में हासन भी था एक जगह कीचड़ में खलीफा का घोड़ा फिसल गया उस वक्त खलीफा के हाथ में हीरे मोतियों की एक पेटी जी घोड़े के फिसलने से खलीफा का हाथ hiला और खुल खुलकर गिर गई खलीफा ने हम सब को खुली छूट देता हूं जाओ जल्दी से अपने लिए हीरे मोती बीन लो पहले तो गुलामों को यकीन नहीं हुआ पर खलीफा को मुस्कुराते देखने sb दौड़ पड़े और उन में हीरे मोती उठाने की होड़ लग गई मगर हासन खड़ा रहा खलीफा ने कहा तुमने मेरी बात नहीं सुनी क्या? तुम क्यों नहीं जाते हा? Usne जवाब दिया मेरे लिए सबसे कीमती हीरा तो आप हैं .आप को छोड़ कर कैसे जा सकता हूं खलीफा बेहद खुश हुए उन्होंने उसी वक्त गुलामी से उसे मुक्त कर दिया .
(सुनी सुनाई कथा) अर्पणा पांडे 94 55 225 325

 सबसे बड़ा कौन ......

एक बार नारद जी के मन में यह जानने की इच्छा हुई कि ब्रह्मांड में सबसे बड़ा कौन है नारद जी ने भगवान विष्णु के सामने अपनी जिज्ञासा रखें विष्णु जी ने मुस्कुराते हुए कहा नारद जी सबसे बड़ा तो यह पृथ्वी है इसलिए हम पृथ्वी को सबसे बड़ा कर सकते हैं पर समुद्र में पृथ्वी को घेर रखा है इससे समुद्र सबसे बड़ा हुआ तब नारदजी बोले मान लेता हूं कि सबसे बड़ा समुद्र है किंतु समुद्र को भी अगस्त्यमुनि ने पी लिया इसलिए वे बड़े हुए .ठीक है आप कहते हैं तो अगस्त जी को बड़ा मान लेता हूं विष्णु ने कहा! नारद जी यह तो समझो कि वे रहते कहां है आकाश में एक जुगनू की तरह चमक रहे हैं. इसलिए आकाश उनसे भी बड़ा है नारद जी बोले ठीक कहते हैं आप सबसे बड़ा आकाश है फिर विष्णु ने कहा लेकिन वामन अवतार ने इस आकाश को भी एक ही पग में नाप लिया था इसलिए बामन ही विराट है नारद जी ने विष्णु के पैर पकड़ते हुए कहा भगवान आप ही 52 अवतार थे अब आपने 16 कलाएं धारण कर ली हैं .इसलिए बामन से विष्णु बड़े हैं.. मैं आपको प्रणाम करता हूं विष्णु जी ने कहा! मैं विराट स्वरूप धारण करने के बाद भी अपने भक्तों के छोटे से हृदय में विराजी था इसलिए बढ़े तो मेरे वे भक्त हैं जो शुद्ध mn से मेरी आराधना करते हैं .तुम भी सच्चे भक्त हो .इसलिए वास्तव में सबसे महान और बड़े तुम स्वयं हो यह बात सुनकर नारदजी समझ गए कि बड़े लोग अपने बड़प्पन कभी नहीं छोड़ते वह छोटे लोगों को बड़ा कहकर उन्हें आगे बढ़ने का मौका देते हैं l
(सुनी -सुनाई कथा )
अर्पणा पाण्डे 94 55225 325

 मां और शिक्षक ........

एक गरीब मां चाहती थी कि उसका बेटा पियानो सीख कर एक बड़ा कलाकार बने l वह उसे हर रोज संगीत शिक्षक के पास ले जाती है किंतु बच्चा जाकर भी सीख नहीं पाता शिक्षक काफी प्रसिद्ध थे वह बच्चे को सिखाने की कोशिश करते पर कई बार झल्ला कर मना कर देते . फिर भी मैं हर रोज उसे लेकर आती और पूरे क्लास के दौरान बाहर बैठी रहती एक दिन मास्टर ने कहा कि आपका बेटा नहीं सीख सकता इसे ले जाओ यह तो मेरी भी बदनामी करा देगा कि किसने सिखाया है लड़का मां के साथ वापस चला गया कुछ समय बाद स्कूल के वार्षिक उत्सव का आयोजन हुआ जिसमें पुराने छात्र भी आमंत्रित किए गए समारोह में वह बालक भी आया उसने गंदे से कपड़े पहन रखे थे टीचर ने उसे देखा तो उन्हें दया आ गई उन्होंने कहा कि आज तुम्हें भी बजाने का मौका दूंगा लेकिन जरा बाद में वह लड़का पीछे जाकर बैठ गया काफी बच्चे आए और उन्होंने बहुत कुछ अच्छा बजाया आखिर में उसकी बारी आई लेकिन उसने इतना अच्छा पियानो बजाया की सभी मंत्रमुग्ध हो गए टीचर ने जाकर उसे गले लगा लिया फिर पूछा इतना अच्छा कैसे सीखा तुम तो बिल्कुल नहीं बजा पाते थे लड़के ने बताया मेरी मां चाहती थी कि मैं अच्छा पियानो बजाना सीखे किंतु उन्हें कैंसर था इसकी वजह से वह सुन नहीं सकती थी अब वह सुन सकती है मैंने उसी को सुनाने के लिए बजाया था संगीत शिक्षक श्रोताओं की ओर देखने लगा क्या वह आई हैं कहां बैठी है बच्चे ने धीरे से कहा वह जिंदगी की इस लड़ाई में आज हार गई लेकिन स्वर्ग से शायद व ह मेरा पियानो सुन सके सुनकर सबकी आंखें भीग गई और टीचर ने उस बच्चे से माफी मांगी सच्चा शिक्षक वह नहीं मां थी जिसके पास इतना धैर्य थाl
(सुनी सुनाई कथा )
अर्पणा पांडे 94 55225 325

Wednesday 3 February 2021

 मदद की मांग......

एक दिन एक राजा जंगल में शिकार खेलते हुए रास्ता भटक गए उसे भूख प्यास सताने लगी तभी उसकी नजर एक किसान पर पड़ी उसने किसान से पूछा तुम्हारे पास कुछ खाने को है?
कि साम ने बादशाह को अपने पास रखी सूखी रोटी खिला दी खा पीकर बादशाह बहुत खुश हुआ फिर कहा उसने मैं इस मुल्क का राजा हूं कभी कोई जरूरत पड़े तो निसंकोच मेरे पास आ जाना यह कहकर वह वापस राजधानी चला गया कई वर्ष बीत गए एक बार सूखा पड़ा किसान के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई जब उसने सोचा क्यों ना राजा के पास चला जाए शायद वह कोई मेरी मदद करें नगर में रास्ते में ही उसने देखा कि राजा की सवारी चली आ रही है किसान ने देखते ही आवाज दी ओ बादशाह ओ बादशाह सभी लोग आश्चर्य में पड़ गए किसी ने कहा यह बेवकूफ ऐसे कैद में डाल दो लेकिन बादशाह ने भी यह आवाज सुन ली थी उसने किसान को पहचान भी लिया तुरंत अपने सिपाहियों से कह कर उसे अपने पास बुलाया और हाथी पर अपने साथ बिठाया महल में पहुंचकर अपने नौकरों को आदेश दिया की जंगल में मेरी जान इसी ने बचाई थी यह हमारे कमरे में ही सोएगा मेरे कमरे में ही इसके लिए बिस्तर लगा दो खाना भी अपने साथ ही खिलाया सुबह उठने पर किसान ने देखा बादशाह हाथ उठाए इबादत कर रहा है जब बादशाह ने नमाज पढ़ ली तो किसान ने पूछा यह आप क्या कर रहे थे? बादशाह ने कहा आशीर्वाद मांग रहा था किसान ने पूछा किस से? बादशाह ने कहा खुदा से ,यह सुनकर किसान ने अपनी लाठी उठाई और चल पड़ा बादशाह ने पूछा अरे तुम कहां चल पड़े तुम आए किसलिए थे? किसान ने कहा बादशाह मैं आया था तुम से मदद मांगने पर यहां तो देखा कि तुम भी मांगते हो क्यों ना मैं भी सीधे उसी से मांग लूं जिससे तुम मांगते हो।
(सुनी सुनाई कथा )
अर्पणा पाण्डे 94 5 5 225 325

 सबसे बड़ा मूर्ख ...........

एक राजा ने अपने मंत्री को सोने का एक डंडा देकर कहा जो व्यक्ति तुम्हें मूर्ख दिखाई दे उसे यह दे देना मंत्री डंडा लेकर चल पड़ा बहुत तलाश के बाद उसे एक भोला भाला व्यक्ति दिखाई पड़ा जिसे मूर्ख समझकर मंत्री ने व डंडा पकड़ा दिया मंत्री ने उससे कहा यदि तुम्हें कोई अपने से ज्यादा मूर्ख मिले तो उसे यह डंडा दे देना वह व्यक्ति भी अपने से ज्यादा मूर्ख की तलाश में स्थान स्थान पर घूमता रहा पर उसे ऐसा कोई व्यक्ति ना मिला इस प्रकार भटकते हुए वह राज दरबार में पहुंचा उसने सोचा कि राजा का दर्शन किया जाए जब वह राजा के पास पहुंचा तो उसने देखा कि राजा बीमार पड़े हैं .राजा ने उससे कहा मेरा अंत समय आ गया है अब मैं इस संसार को छोड़कर जा रहा हूं. उस व्यक्ति ने पूछा फिर आपकी सेना हाथी घोड़े महल आदि का क्या होगा राजा ने कहा यह सब यही रहेंगे और क्या इस पर उस व्यक्ति ने कहा उस धन दौलत का क्या होगा जिसे आपने बड़ी मेहनत से हासिल किया है राजा ने कहा वे सब यही रहेंगे यह सुनकर उस व्यक्ति ने सोने का वह डंडा राजा की ओर बढ़ाते हुए कहा संभाले इसे मुझसे कहा गया था कि इसे मैं उस व्यक्ति को दे दूं जो मुझे स्वयं से ज्यादा मूर्ख दिखाई दे आप इस के योग्य पात्र हैं जब आपको पता था कि आपके साथ कोई भी चीज नहीं जाएगी तो आपने उन्हें हासिल करने के लिए अपना पूरा जीवन क्यों लगा दिया क्या मिला आपको? मेरे विचार से इससे बड़ी मूर्खता दुनिया में और कोई नहीं हो सकती राजा अपने डंडे को देखकर हैरत में पड़ गया. और मन ही मन सोचा कि वह वास्तव में सबसे बड़ा मूर्ख हैl (सुनी -सुनाई कथा)
अर्पणा पांडे 94 55 225 325