एक बूढ़ी औरत थी वह रोज सुबह नहा धोकर गणेश जी के मंदिर जाती और पूजा करती थी आंखों से अंधे होने के कारण उसे काफी कठिनाई होती थी लेकिन वह बिना मंदिर जाए पानी भी नहीं पीती l 1 दिन गणेश भगवान जी ने उसकी भक्ति को देख उसे दर्शन दिए और कहा कि तू मेरी बहुत सेवा करती है जो भी मांगना हो मांग लो वह बड़ी प्रसन्न हुई और बोली अच्छा ! भगवान मुझे अब क्या चाहिए हां अपने बेटे बहू से पूछ ले कि उन्हें क्या चाहिए तब मैं आपको कल बताऊंगी भगवान बोले ठीक है पूछ आओ बुढ़िया बहुत खुश हो गई और जल्दी-जल्दी अपने घर आई और बेटे बहू को सारी बात बताई तो बेटा बोला अम्मा तुम धन मांग लो उससे सभी कुछ आ जाएगा और बहू बोली अम्मा एक पोता मांग लो तो तुम बैठी बैठी उसे खिलाया करना बुढ़िया कुछ नहीं बोली लेकिन मन ही मन में दुखी हो गई कि बच्चे कितने स्वार्थी हैं किसी ने भी यह नहीं कहा कि अम्मा तुम्हारी आंखें नहीं है तुम आंखें मांग लो रात भर नींद भी नहीं आई और सोचते ही रही सुबह होते ही वह उदास से मंदिर के लिए चली गणेश भगवान जी अंतर्यामी बुढ़िया के मन की बात को समझ गए और बालक का वेश धरकर रास्ते में ही मिले बोले अम्मा तुम दुखी क्यों हो और मुंह से तुम क्या बड़बड़ा रही हो इतना सुनकर बुढ़िया रोने लगी और उसने सारी बात बताई बोली हमने तो सोचा था कि बेटा बहू कहेंगे अम्मा आंखें मांग लो लेकिन मेरी किसी ने नहीं सोचा तब बालक रूप में गणेश जी ने कहा के अम्मा तुम ऐसे कहना कि सोने के कटोरा में नाती दूध पिए और हम आंखों से देखेंl बुढ़िया उस की चतुराई से बड़ी खुश हुई और जल्दी-जल्दी मंदिर के लिए जाने लगी तभी भगवान ने दर्शन दिए और पूछा क्या चाहिए तुम्हें सो बुढ़िया ने तुरंत बोला कि सोने के कटोरा में नाती दूध पिए हम आंखों से देखें भगवान ने कहा तथास्तु !और अब उसके पास धन भी हो गया नाती भी हो गया और आंखों से दिखाई दे देने लगा । इस तरह उसकी पूजा सफल हुई 9 महीने बाद ही उसके घर में सुंदर से बालक ने जन्म लिया जिसे उसने अपनी आंखों से देखा और खूब प्यार दिया। सुबह से गणेश भगवान के मंदिर जाना जारी रखा इस तरह भगवान सबकी सुनते हैं जो श्रद्धा से उनकी भक्ति करते हैं। बोलो गणेश भगवान की जय।
अर्पणा पांडे
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