हवा ====
हवा ने कहा मै हवा हूँ मुझपर पहरा क्या लगाओगे।
महसूस कर सकोगे हमें , छू तक ना पाओगे | |
भागवत सार -----मानव काया
९ दरवाजे -नाक,कान,आँख,मुख,मलद्वार,रोमछिद्र. इसके अंदर एक महल है जिसमे एक ह्रदय सरोवर है। उसमे एक कन्या स्न्नान कर रही है अब जीव ने अपनी १० ईन्द्रिंयों से माया रूपी कन्या को देखा तो पुरंजन नामक जीव ने उस कन्या से पूछा तुम कौन हो और कहाँ रहती हो ? कन्या ने पूछा कि तुम क्यों पूछ रहे हो क्या विवाह करोगे मुझसे ? पुरंजन ने हाँ कहा तो कन्या बोली कि माननी पड़ेगी आपको पुरंजन तैयार हो गया , और उसके साथ विवाह कर लिया। तब वह कन्या पुरंजनी कहलाई दोनों इसी महल में१०० वर्ष तक रहते थे। एक दिन पुरंजन शिकार के लिए जाने लगे तो पुरंजनी ने मना किया तबतक चंद्रवेग अपने ३६० रात्रि और ३६० दिन नामक सैनिकों को लेकर आ गया। इतने में जरा नाम की कन्या आ गई और शरीर पर आक्रमण करने लगी तब "पसीना मौत का माथे पर आया "
जरा से उसने कहा जरा -आइना तो लाओ हम भी अपनी जिंदगी का आखिरी लम्हा तो देखें। तभी ज्वर नमक उसका भाई भी आ गया और काल कन्या आकर उसे मरघट पर ले गई | तब पुरंजन माया से दूर हुआ।
बड़े भाग मानस तन पावा।
सुनी -सुनाई कथा ,
अर्पणा पांडेय
हवा ने कहा मै हवा हूँ मुझपर पहरा क्या लगाओगे।
महसूस कर सकोगे हमें , छू तक ना पाओगे | |
भागवत सार -----मानव काया
९ दरवाजे -नाक,कान,आँख,मुख,मलद्वार,रोमछिद्र. इसके अंदर एक महल है जिसमे एक ह्रदय सरोवर है। उसमे एक कन्या स्न्नान कर रही है अब जीव ने अपनी १० ईन्द्रिंयों से माया रूपी कन्या को देखा तो पुरंजन नामक जीव ने उस कन्या से पूछा तुम कौन हो और कहाँ रहती हो ? कन्या ने पूछा कि तुम क्यों पूछ रहे हो क्या विवाह करोगे मुझसे ? पुरंजन ने हाँ कहा तो कन्या बोली कि माननी पड़ेगी आपको पुरंजन तैयार हो गया , और उसके साथ विवाह कर लिया। तब वह कन्या पुरंजनी कहलाई दोनों इसी महल में१०० वर्ष तक रहते थे। एक दिन पुरंजन शिकार के लिए जाने लगे तो पुरंजनी ने मना किया तबतक चंद्रवेग अपने ३६० रात्रि और ३६० दिन नामक सैनिकों को लेकर आ गया। इतने में जरा नाम की कन्या आ गई और शरीर पर आक्रमण करने लगी तब "पसीना मौत का माथे पर आया "
जरा से उसने कहा जरा -आइना तो लाओ हम भी अपनी जिंदगी का आखिरी लम्हा तो देखें। तभी ज्वर नमक उसका भाई भी आ गया और काल कन्या आकर उसे मरघट पर ले गई | तब पुरंजन माया से दूर हुआ।
बड़े भाग मानस तन पावा।
सुनी -सुनाई कथा ,
अर्पणा पांडेय