Saturday 20 July 2013

मै बेटी हूँ, समाज में .
संघर्सों से सदा लड़ी
ओठों पर मुस्कान सदा ..
पर आंसू पीकर बड़ी चली ....

    अर्पणा पाण्डेय .

Friday 12 July 2013

jangal ki sarkar

जंगल की सरकार नया चुनाव हुआ जंगल में नई बनी सरकार , ढेरों झूठे वायदे करके raja बना सियार । रंग नए थे ,ढंग नए थे मन में थे ढेरों अरमान , बदलेंगे जंगल की सूरत शुरू हुए उसके फरमान । आसमान में उड़ेगी मछली, बन्दर का घर पानी में पढ़ेगें चूहे पेड़ के नीचे , बिल्ली की निगरानी में । हाथी -भालू दोनों मिलकर रोटी दाल पकाएंगे , शेर -शेरनी नाच -नाच मन राजा का बहलाएँगे । जंगल की जनता ने आखिर किया फैसला रातों -रात , कान पकड़ कर जेल दिखाई बिगड़ न पाई ज्यादा बात । कौशल पाण्डेय kaushalpandey.1956@gmail.com