आह भी करती हूँ '
और आंसू भी बहा लेती हूँ।
इस तरह दिल में लगी आग को बुझा लेती हूँ मैं ,
खर को भी मतलब के लिए बाप बना लेते हैं लोग
ऐसे लोगों से उम्मीद क्या करना ,
झूठी बातों पे जो ईमान उठा लेते हैं ।
लोग कहते हैं कि बफादारी दिखाने आये हैं
हम ये कहते हैं कि नया वे गुल खिलाने आये हैं ।।
एक दिन वह था जब मनाने से भी न मनते थे वे ,
अब हम जब रूठे हैं तब वे मनाने आये हैं । ।
तुम्हे कुछ और समझे थे मगर तुम कुछ और निकले ,
दल-बदल कर तुम, जालिम -सितम निकले ॥
लोग कहते है कि बदलता है जमाना अक्सर
हम ये कहते हैं कि लोग बदल देते हैं जमाने को ॥
और आंसू भी बहा लेती हूँ।
इस तरह दिल में लगी आग को बुझा लेती हूँ मैं ,
खर को भी मतलब के लिए बाप बना लेते हैं लोग
ऐसे लोगों से उम्मीद क्या करना ,
झूठी बातों पे जो ईमान उठा लेते हैं ।
लोग कहते हैं कि बफादारी दिखाने आये हैं
हम ये कहते हैं कि नया वे गुल खिलाने आये हैं ।।
एक दिन वह था जब मनाने से भी न मनते थे वे ,
अब हम जब रूठे हैं तब वे मनाने आये हैं । ।
तुम्हे कुछ और समझे थे मगर तुम कुछ और निकले ,
दल-बदल कर तुम, जालिम -सितम निकले ॥
लोग कहते है कि बदलता है जमाना अक्सर
हम ये कहते हैं कि लोग बदल देते हैं जमाने को ॥