Wednesday, 3 February 2021

 मदद की मांग......

एक दिन एक राजा जंगल में शिकार खेलते हुए रास्ता भटक गए उसे भूख प्यास सताने लगी तभी उसकी नजर एक किसान पर पड़ी उसने किसान से पूछा तुम्हारे पास कुछ खाने को है?
कि साम ने बादशाह को अपने पास रखी सूखी रोटी खिला दी खा पीकर बादशाह बहुत खुश हुआ फिर कहा उसने मैं इस मुल्क का राजा हूं कभी कोई जरूरत पड़े तो निसंकोच मेरे पास आ जाना यह कहकर वह वापस राजधानी चला गया कई वर्ष बीत गए एक बार सूखा पड़ा किसान के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई जब उसने सोचा क्यों ना राजा के पास चला जाए शायद वह कोई मेरी मदद करें नगर में रास्ते में ही उसने देखा कि राजा की सवारी चली आ रही है किसान ने देखते ही आवाज दी ओ बादशाह ओ बादशाह सभी लोग आश्चर्य में पड़ गए किसी ने कहा यह बेवकूफ ऐसे कैद में डाल दो लेकिन बादशाह ने भी यह आवाज सुन ली थी उसने किसान को पहचान भी लिया तुरंत अपने सिपाहियों से कह कर उसे अपने पास बुलाया और हाथी पर अपने साथ बिठाया महल में पहुंचकर अपने नौकरों को आदेश दिया की जंगल में मेरी जान इसी ने बचाई थी यह हमारे कमरे में ही सोएगा मेरे कमरे में ही इसके लिए बिस्तर लगा दो खाना भी अपने साथ ही खिलाया सुबह उठने पर किसान ने देखा बादशाह हाथ उठाए इबादत कर रहा है जब बादशाह ने नमाज पढ़ ली तो किसान ने पूछा यह आप क्या कर रहे थे? बादशाह ने कहा आशीर्वाद मांग रहा था किसान ने पूछा किस से? बादशाह ने कहा खुदा से ,यह सुनकर किसान ने अपनी लाठी उठाई और चल पड़ा बादशाह ने पूछा अरे तुम कहां चल पड़े तुम आए किसलिए थे? किसान ने कहा बादशाह मैं आया था तुम से मदद मांगने पर यहां तो देखा कि तुम भी मांगते हो क्यों ना मैं भी सीधे उसी से मांग लूं जिससे तुम मांगते हो।
(सुनी सुनाई कथा )
अर्पणा पाण्डे 94 5 5 225 325

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