Monday 1 March 2021

 प्रिय बच्चों सदा खुश रहो

हमने तुम दोनों की परवरिश बहुत अच्छे से की फिर भी कहीं चूक हो सकती है २० साल की उम्र में तोशी का जन्म और २१ साल में  दीपक का जन्म हुआ, उतनी अक्ल नहीं हुआ करती थी। फिर भी तुम दोनों का स्वास्थ जब तक मेरे साथ रहे अच्छा ही रहा। बहार जाने के बाद तुम दोनों ने स्वतंत्र जीवन जिया और काफी समझदार  भी हो गए इधर हम लोग अब जीवन के लम्बे समय को पार कर आये रिटायरमेंट के बाद कानपूर में स्थिरता पाई यहां भी घर को ठीक कराया और तुम दोनों भी अपनी अपनी फैमिली के साथ यहां आकर छुट्टियां बिताओ इसलिए तीन पोर्सन तैयार हो गए. और ख़ुशी से रहकर अपनी दिनचर्या को अपने हिसाब से सेट कर लिया ..तुम्हे गर्व भी है और मुझे भी, बस तुम्हे या तुम्हारी यंग जनरेसन हर तरह की आजादी चाहती है। जबकि हमलोग अभी तीन -तीन पीढ़ी को एक साथ लेकर चल रहे हैं साथ चलने के लिए बहुत से त्याग करने पड़ते हैं तब रिश्ते कमाए जाते हैं पैसा कमाना सरल है पर रिश्ते कमाना कठिन लेकिन संतोष धन रिश्तों से ही मिलता है। 

घर की बगिया और जंगल के पेड़ों में अंतर होता है। बेतरतीब से उगे बृक्षों को देखभाल की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। पर घर के बगीचे में सुंदरता लेन के लिए पौधों की काट छाँट निराई गुड़ाई करनी ही पड़ती है। फिर हम तुम लोगों को अनगढ़ तऱीके से कैसे बढ़ने दे सकते है?

  सफलता पाने के लिए इस जनरेसन को पर्स्नाल्टी  डवलपमेंट की खर्चीली क्लासेज की जरूरत तो महसूस होती है पर अच्छी आदतों के लिए मम्मी पापा का अनुशासन और गाइडेंस मंजूर नहीं। 

तुम दोनों तो अब अपने काम और कैरियर के लिए घर से चले गए अब जब भी घर आते हो तो हमारे स्व्भविक स्नेह और उत्सुकता पार खीज उठते हो। सहजता और सरलता कभी आउटडेट नहीं होती। 

अपने आफिस में अपने बॉस या सीनियर कलीग का सम्मान उसकी सीनियरटी और उसके अनुभव के आधार पर करते हो। उनसे कुछ सीखना और समझना चाहते हो फिर घर में हमारे समझाने पर क्यों तुनकते हो क्या हम लोग तुमसे सीनियर नहीं है क्या तुमसे ज्यादा जिंदगी के साल हमने नहीं देखे हैं। 

आपको  कुछ नहीं पता आप लोग कुछ नहीं समझते, बोलने से पहले सोचो 

शादी अपनी पसंद की है तो उसे सम्मान देना भी तुम्हारी जिम्मेदारी है 

इस नई पीढ़ी  का यह फंडा डबल इनकम एक बच्चा या नो किड्स ,,हम भी यही सोचते तो तुम्हारा कोई अस्तित्व होता ?  तुम्हारी पीढ़ी के सा तालमेल बिठाने के लिए हमने भी कम्प्यूटर पर काम करना सिख लिया है

बचपन में तुम लोगों को बोलना सिखाया और अब तुम लोग कहो की चुप रहो सुन कर बड़ा दर्द होता है। 

बच्चों अपने जीवन को रोशन करने की चाह में  हमारे जीवन में अंधकार मत भर देना जिस परिवार को हमने और पापा ने स्नेह और समर्पण की साथ सींचा है तुम उसे फैसन ,कम्पटीसन और  जलन की आंधी में उजाड़ मत देना संस्कारों को मत भूलना। नेट पर अनजाने दोस्त तो बहुत बना लिए थोड़ा नाता, रिस्ता ,परिवार और पड़ोसियों   से बी बना की रखना वक्त बे बक्त वे जरूर काम आएंगे।