पुणे (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर की दूरी पे स्थित इंद्रायानी नदी के तट पर आं लदी स्थित है .और यहाँ भगवत गीता को मराठी भाषा में रचने वाले संत ज्ञानेश्वर का समाधि स्थल है।इनका जन्म महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले में पैठ ण के पास आप े गांव में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इनके पिता का नाम विट्ठल पंत और माता का नाम रुक्मणी बाई था।मुक्ता बाई इनकी बहन भी,उस समय सारे ग्रंथ संस्कृत मे थे और आमजनता संस्कृत नहीं जानती थी। तेजस्वी बा ल क ज्ञानेश्वर ने 1 5 वर्ष की उम्र में ही गीता पर मराठी में ज्ञानेश्वरी नामक भाष्य की रचना करके जनता की भाषा में ज्ञान की झोली खोल दी।संत ज्ञाने श्वर ने पूरे महाराष्ट्र में भ्रमण कर लोगों को ज्ञान भक्ति का परिचय कराया और समता व समभाव का उपदेश दिया इन्होंने भगवान पांडु रंग की भक्ति का प्रचार प्र सा र पूरे महाराष्ट्र में किया।
हर वर्ष आंलदी में कार्तिक एकादशी को लाखों की तादाद में श्रद्धालु प हुंचते हैं।. इस मेले की शुरुआत असाड़ी एकादशी को पंढ़रपुर से शुरू होती है। चार महीने के बाद यह यात्रा आंलदी में कार्तिक एकादशी के दिन पहुँचती है। भजन करते हुये बारकरी(इनके शिष्य) जगह जगह संत ज्ञानेश्वर की शिक्षा का प्रचार प्रसार करते हुये पहुँचते हैं।
प्यार से लोग इन्हें माऊली नाम से भी बुलाते हैं। .