Sunday 25 July 2021

ज्ञानोबा माऊली ( देखी-सुनी )

 पुणे (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर की दूरी पे स्थित इंद्रायानी नदी के तट पर आं लदी स्थित है .और यहाँ भगवत गीता को मराठी भाषा में रचने वाले संत ज्ञानेश्वर का समाधि स्थल है।इनका जन्म महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले में पैठ ण के पास आप े गांव में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इनके पिता का नाम विट्ठल पंत और माता का नाम रुक्मणी बाई था।मुक्ता बाई इनकी बहन भी,उस समय सारे ग्रंथ संस्कृत मे थे और आमजनता संस्कृत नहीं जानती थी। तेजस्वी बा ल क ज्ञानेश्वर ने 1 5 वर्ष की उम्र में ही गीता पर मराठी में ज्ञानेश्वरी नामक भाष्य की रचना करके जनता की भाषा में ज्ञान की झोली खोल दी।संत ज्ञाने श्वर ने पूरे महाराष्ट्र में भ्रमण कर लोगों को ज्ञान भक्ति का परिचय कराया और समता व समभाव का उपदेश दिया इन्होंने भगवान पांडु रंग की भक्ति का प्रचार प्र सा र पूरे महाराष्ट्र में किया। 

हर वर्ष आंलदी में कार्तिक एकादशी को लाखों की तादाद में श्रद्धालु प हुंचते हैं।. इस मेले की शुरुआत असाड़ी एकादशी को पंढ़रपुर से शुरू होती है। चार महीने के बाद यह यात्रा आंलदी में कार्तिक एकादशी के दिन पहुँचती है। भजन करते हुये बारकरी(इनके शिष्य) जगह जगह संत ज्ञानेश्वर की शिक्षा का प्रचार प्रसार करते हुये पहुँचते हैं।

प्यार से लोग इन्हें माऊली नाम से भी बुलाते  हैं। .

Friday 9 July 2021

20 2 1 -अप्रैल 8 की दुःखद घटना . .

 मार्च में अचानक जो कोरोना की 2सरी लहर आई ,उसने हिला कर रख दिया, होली के 2- 3 दिन के बाद अचानक से रामबाग से खबर आई कि जिज् जी को कोरोना हो गया और जीजा जी को भी ।अभी 2 दिन ही बीता की उनके यानि जिज् जी के मरने की खबर . . . हम सब स्तब्ध- रह गये अकेले में चिल्ला कर रोने के सिवा कुछ नहीं कर सके उधर जीजा जी की नाजुक हालत को देखते उन्हें कुछ ना बताया -गया और बच्चों ने दूर से ही दर्शन कर अंतिम संस्कार, कर लौट आये .एक माह के बाद जब जीजा जी वापस आये त ब उन्हें बताने की हिम्मत बच्चों ने कैसे जुटाई . ये घटना हम सब बहनो और उनके बच्चों को 5 माह बाद भी झकझो र रही है .और जीवन निरर्थक सा लगने लगा है. सारे भौ तिक सुख़ों का कोई सुख नहीं 

क्षण भंगुर जीवन की कलिका 
कलि काल की प्रात खिली न खिली
जप लों श्री राम हरी रसना
जा अंत समय में हिली न हिली 

aparnapandey1961@gmail.com 
9 4 55 225 32 5 .
.
 


Thursday 8 July 2021

असभ्यता और अहंकार

असभ्यता सत्य की कमजोर नकल है। .

अंहकार ही हमे शा समर्थन पाने में रोड़ा अट का ता है।

चुप्पी पर कोई मुकद मा नहीं चल सकता . . . .

एक किस्सा ..एक कारीगर ने एक मूर्ति बनाई बेशक मूर्ति अच्छी बनी थी किन्तु मालिक ने कहा कि इसकी नाक जरा बड़ी है . मूर्तिकार ने चुपचाप छेनी और हथोड़ी ली थोड़ी सा संगमरमर का बुरादा लिया ,और सीढी पर  चढ़कर मूर्ति पर छेनी चलाने की नकल करता रहा और थोड़ा-थोड़ा बुरादा गिराता रहा । उसने फिर मालिक से पूछा कि अब बताय़ें . . .मालिक खुश हुआ और बोला .हाँ अब ठीक है अब तुमने इसमें जान फूंक दी है । इस तरह उसने मालिक को नाराज़ किये बिना यह बता दिया कि वे अज्ञानी हैं ,और इस त रह उनका नजरिया बदल दिया । 

Sunday 4 July 2021

इतिहास........

 बसु और मछली से सत्यवती नाम की एक लड़की पैदा हुई उसका विवाह पाराशर से हुआ ऋषि पाराशर और सत्यवती के 3 पुत्र हुए पहले व्यास जी पांडू और भीष्म । व्यास  जी  कुरूप होने के कारण त्याग दिए गए थे। विचित्रवीर्य रोगी थे। विचित्र वीर जी की तीन पत्नियां अंबा अंबिका अंबालिका ।  भीष्म ने शादी ना करने की कसम खा ली व्यास जी कुरूप होने के कारण सन्यासी हो गए। तब वंश बढ़ाने के लिए भीष्म ने व्यास जी से प्रार्थना की । व्यास जी ने कहा ठीक है मेरी एक शर्त है  1 साल की साधना करने के बाद मेरे रूप रस और गंध को जो स्वीकार करेगा वही मेरे पास आएगा और डरेगा भी नहीं तब वे एक उत्तम बालक को जन्म दे सकेंगे उस समय विधवा से संसर्ग करने पर दूसरे पुरुष को कुरूप बन कर जाना होता था । व्यास जी के पास जब अंबिका गई तो   डर की वजह से उसने आंखें मूंद ली है जिसकी वजह से दृष्ट राष्ट्र अंधे हुए। फिर अंबालिका को भेजा गया अंबालिका डर की वजह से पांडुरंग की हो गई उनसे पांडू हुए तब सत्यवती ने अंबा को भेजा। तब अंबा ने छल से अपनी दासी को भेज दिया उससे विदुर पैदा हुए सूत पुत्र विदुर के लिए अंबा को ऋषि ने आशीर्वाद दिया की तुम्हारा यह पुत्र तेजस्वी धर्मात्मा और बुद्धि जनों में श्रेष्ठ होगा। अर्पणा पांडे ..9 4 55 225 325