Thursday 13 October 2022

व्याह का गीत

मैंने का सुख जाना राजा तोरे संग व्याही

काऊ शहर में में होती राजा, 

गेंहूंआ की रोटी खाती- 2 

मेरे करम लिखी है बेझ्रर,ताऊ की सूखी पाती ।


मैंने का सुख जाना राजा तेरे संग व्याही। ।।

काऊ शहर में होती राजा,

ठण्डा पानी पीती - 2

मेरे करम लिखी हैं कुइयां ताऊ को खारो पानी।।


मैंने का सुख जाना राजा तोरे संग व्याही। ।

काऊ शहर में होती राजा अच्छे पलंगा सोती- 2 

मेरे करम लिखी है खटिया ताऊ की टूटी पाटी - 2

मैंने का सुख जाना राजा तोरे संग व्याही - 2


शब्द              अर्थ

काऊ             कोई

गेहुंआ             गेहूँ

बेझर              बाजरा 

सूखी पाती      सूखी रोटी

कुइयां             कुआँ

पलंगा             पलंग

खटिया           बान से बिना पलंग 

करम              भाग्य

अर्पणा पाण्डे . 0 


व्याह का गीत

सैंय्या मिले लरकइयI 

मैं का करूँ - 2

बारह बरस की मैं व्याह को आई - 2

अरे ं सैंय्या उडावें कनकइयाँ 

मैं का करूँ, मैं का करूँ 

अरे पन्द्रह बरस की मैं गौने को आई - 2

अरे सैंय्या छुडाबे मोसे बइयाँ

मैं का करूँ,मैं का करूँ

सोलह बरस की मेरी बारी उमरिया - 2

अरे सैंय्या पुकारें मैय्या - मैय्या

मैं का करूँ - मैं का करूँ 

सैंय्या मिले ल र कइ या ँ 

मैं का  करूँ- मैं का करूँ। ।

शब्द                अर्थ

सैंय्या                पति

लरकइयाँ           लड़कपन ,बचपना

कन कइ या        पतंग

उमरिया              उम्र

बारी                   छोटी


अर्पणा पाण्डे ... .

लोकगीत ( हास्य )

दइया घर में हुई गो बांट वांवरों पर के सोये गयो रे,

 जेठ को मिल गई अटा - अटारी देवर को कमरा रे 

दइया फूट गई तकदीर वांबरे को छपरा मिल गयों रे। 


जेठ को ं मिल गई गइया - भैसिया, देवर को बैला रे I

दइया फूट गई तकदीर वॉवरे को पड़वा मिल गयो रे   ।।


जेठ को मिल गयो बाप , देवर को मइया रे।

दइया फूट गई तकदीर वांवरे को बहना मिल गई रे। 


जेठ को रह गयो अटा - अटारी, देवर को कमरा रे

दइया फूट गई तकदीर बावरे को छपरा जल गयो रे ।

जेठ को मर गयो बाप  ,देवर की मैय्या मर गई रे ।

दइया फूट गई तकदीर, बावरे की बहना भाग गई रे ।।

दइया फूट गई तकदीर वांवरों पर के सोये गयो रे . . .

.शब्द                 अर्थ

दइया                  आश्चर्य?जनकशब्द

हुईगौ                   हो गया

वांवरों                  अपना पति 

जेठ                     पति का बड़ा भाई

देवर                    पति का छोटा भाई

अटा- अटारी             घर की छत


अर्पणा पाण्डे

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Wednesday 12 October 2022

लोक गीत ( हास्य)


हाय दैय्या औरैय्या के पुल पर

कैसी गुजरी, औरैय के  पुल पर

आठ चना की नौ मटरा की

सोलह फुलकिया  खाये गये , तऊ भूखे चले गए ।

आठ कुआँ को नौ तालन को,

सोलह समुद्र सोख गये तऊ,प्यासे चले गये   ।

आठ रे लड़का नौ रे बिटियां 

सोलह नाती छोड. गये तऊ, निरवंशी चले गये।

आठ कुँवारी नौ रे व्याही, 

सोलह महरियाँ छोड़ गये तऊ, मन मारे चले गये।

हाय दैय्या औरैय्या के पुल पर

कैसी गुजारी औरैय्या के पुल पर।।


अर्पणा पांडे . . .

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