Sunday 28 February 2021

 भक्ति ने ज्ञान को हरा दिया l

ज्ञान में अभिमान होता है भक्ति में विनम्रता, ज्ञान में कर्म फल और मोक्ष प्राप्त की इच्छा होती है भक्ति में सिर्फ सेवा कीl ज्ञान में तर्क वितर्क होता है भक्ति में समर्पणl इसलिए भक्ति को ईश्वर की प्राप्ति का परम साधन माना गया है l
एक बार की बात है स्वामी परमानंद जी नर्मदा के तट पर अपने आश्रम में बैठे थे lतभी देखा कि आश्रम के पास झुरमुट के बीच में दो व्यक्ति बैठे हैं स्वामी जी को संदेह हुआ कहीं आश्रम से कुछ Lene तो नहीं आए हैं l शिष्यों ने बताया कि दोनों भक्त हैं और राम कथा सुनने आए हैं उनका हुलिया देखकर परमानंद जी को कुछ जचा नहीं बिल्कुल जंगली की तरह यह क्या समझेंगे राम कथा l उन्होंने उन दोनों को अपने पास बुलवाया फिर हंसते हुए बोले कुछ राम भक्ति का महत्व हमको भी बताओ दोनों कुछ नहीं बोले तो स्वामी जी ने डपट कर कहां जा भागो यहां बेकार की भीड़ ना लगाओ कल सुबह जब मेरा प्रवचन हो तब आना प्रसाद भी तभी मिलेगा l
दोनों मान अपमान की चिंता किए बिना चले गए स्वामी जी हंसे l तट पर चलते हुए आगे स्वामी जी को अचानक एक छोटा बालक मिल गया वह गीली रेत का एक छोटा सा तालाब बनाकर उसे अंजूरी में पानी ला ला कर भर रहा था खेल देखकर स्वामी जी को बड़ा आनंद हुआ उनके पूछने पर वह बालक ने कहा कि वह नदी का सारा पानी अपने तालाब में भरना चाहता है बालक की बात सुनकर शिष्य हंसने लगे किंतु स्वामी जी अचानक गंभीर हो गए उन्हें लगा कि कहीं इसमें कोई संदेश तो नहीं है कहीं मुझे मेरा गुरु तो नहीं मिल गया यह बालक मुझे बताना चाहता है कि जैसे हम इस नदी का सारा जल ret के इस छोटे से kund में नहीं भर सकते ठीक उसी तरह सारा ज्ञान भी अपने छोटे से दिमाग में नहीं भर सकते , उस बालक के भाव ने स्वामी जी के ज्ञान के अभिमान को उस कुंड में डुबो दिया l दूसरे दिन स्वामी जी के आश्रम में संत समागम का आयोजन था सैकड़ों विद्वानों और भक्त जनों के बीच स्वामी जी का प्रवचन होने वाला था लेकिन रात को भयंकर वर्षा हो गई नदी का पुल वह गया आने जाने के सभी मार्ग टूट गए कोई भी आश्रम तक नहीं आ पाया स्वामी जी आश्रम की खिड़की से पानी का तेज बहाव देख रहे थे . कि उसी में गिरते पड़ते दो व्यक्ति आश्रम की ओर चले आ रहे हैं थोड़ा नजदीक आने पर स्वामी जी ने पहचान लिया वे दोनों वही राम भक्त ...जिनको कल स्वामी ने अपमानित किया था वे राम कथा सुनने आज उफनती नदी पार करके आश्रम में पहुंच गए थे तब स्वामी जी धीरे-धीरे उन भक्तों के पास पहुंचे दोनों विनम्र भाव से खड़े होकर स्वामी जी को प्रणाम करने लगे अचानक उन दोनों में स्वामी जी को राम लक्ष्मण के दिव्य रूप के दर्शन हुए . स्वामी जी ने दोनों के चरण पकड़ लिया .इस तरह ज्ञान का अभिमान छूमंतर हो गया भक्ति की एक लहर ने सारा अहंकार बहा दिया, ज्ञान हार गया l
( सुनी सुनाई कथा )
अर्पणा पांडे 94 5 5 225 325.

 विनम्र स्वभाव........

भीष्म पितामह सरसैया पर लेटे थे कौरव और पांडव उन्हें घेरकर खड़े थे भीष्म पितामह सभी की ओर देखते हुए बोले अब आप सब से विदा लेने का समय आ गया है मेरे पास कुछ ही समय शेष हैl यह सुनकर धर्मराज युधिष्ठिर उनके चरणों में बैठते हुए बोले पितामह आपसे निवेदन है कि आप हमें कुछ ऐसी उपयोगी शिक्षा दें जो हमारे जीवन के लिए लाभदायक हो भीष्म पितामह बोले.. मैं तुम्हें एक नदी की कहानी सुनाता हूं जिसमें जीवन का सार छुपा है एक दिन समुद्र ने नदी से प्रश्न किया? तुम बड़े बड़े पेड़ों को अपने प्रवाह मैं ले आती हो लेकिन छोटी सी घास कोमल बेलो और नरम पौधों को अपने साथ बहाकर नहीं ला पाती l समुद्र की बात सुनकर नदी मुस्कुराती हुई बोली जब जब मेरे पानी का बहाव आता है तब बेले घास के तिनके ,नरम पौधे झुक जाते हैं और मुझे रास्ता दे देते हैं लेकिन वृक्ष अपने कठोरता के कारण झुकने को तैयार नहीं होते वह सीधे खड़े रहते हैं ऐसे में मेरा तेज बहाव उन्हें तोड़कर अपने साथ बहा लाता हैlबड़े पेड़ों का अहंकार मुझे पसंद नहीं इसलिए मैं उन्हें दंडित करती हूं नदी के जवाब से समुद्र संतुष्ट हो गया और शायद आप सब भी इस कहानी में छुपे हुए जीवन के सार को समझ गए होंगे व्यक्ति को हमेशा विनम्र रहना चाहिए .यही सफलता का मूल मंत्र है यह कहकर भीष्म पितामह ने सदा के लिए आंखें बंद कर ली l
(सुनी सुनाई कथा )
अर्पणा पांडे 94 55 225 325

 सबसे बड़ा कौन ......

एक बार नारद जी के मन में यह जानने की इच्छा हुई कि ब्रह्मांड में सबसे बड़ा कौन है नारद जी ने भगवान विष्णु के सामने अपनी जिज्ञासा रखें विष्णु जी ने मुस्कुराते हुए कहा नारद जी सबसे बड़ा तो यह पृथ्वी है इसलिए हम पृथ्वी को सबसे बड़ा कर सकते हैं पर समुद्र में पृथ्वी को घेर रखा है इससे समुद्र सबसे बड़ा हुआ तब नारदजी बोले मान लेता हूं कि सबसे बड़ा समुद्र है किंतु समुद्र को भी अगस्त्यमुनि ने पी लिया इसलिए वे बड़े हुए .ठीक है आप कहते हैं तो अगस्त जी को बड़ा मान लेता हूं विष्णु ने कहा! नारद जी यह तो समझो कि वे रहते कहां है आकाश में एक जुगनू की तरह चमक रहे हैं. इसलिए आकाश उनसे भी बड़ा है नारद जी बोले ठीक कहते हैं आप सबसे बड़ा आकाश है फिर विष्णु ने कहा लेकिन वामन अवतार ने इस आकाश को भी एक ही पग में नाप लिया था इसलिए बामन ही विराट है नारद जी ने विष्णु के पैर पकड़ते हुए कहा भगवान आप ही 52 अवतार थे अब आपने 16 कलाएं धारण कर ली हैं .इसलिए बामन से विष्णु बड़े हैं.. मैं आपको प्रणाम करता हूं विष्णु जी ने कहा! मैं विराट स्वरूप धारण करने के बाद भी अपने भक्तों के छोटे से हृदय में विराजी था इसलिए बढ़े तो मेरे वे भक्त हैं जो शुद्ध mn से मेरी आराधना करते हैं .तुम भी सच्चे भक्त हो .इसलिए वास्तव में सबसे महान और बड़े तुम स्वयं हो यह बात सुनकर नारदजी समझ गए कि बड़े लोग अपने बड़प्पन कभी नहीं छोड़ते वह छोटे लोगों को बड़ा कहकर उन्हें आगे बढ़ने का मौका देते हैं l
(सुनी -सुनाई कथा )
अर्पणा पाण्डे 94 55225 325
May be an image of 1 person and text that says 'ॐ जय श्री हरी विष्णु ॐ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय श्री हरि विष्णु की कृपा से आज का आपका दिन मंगलमय और खुशियों से भरा रहे ओर आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो शुभ बृहस्पतिवार शुभ प्रभात वंदन'
Kaushal Pandey, Manorama Dixit and 6 others
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 जाओ और आओ ......

एक गांव में एक धनी किसान रहता था उसके पास बहुत सी जमीन थी किसान के दो लड़के थे जब दोनों लड़के बड़े हो गए तो किसान ने उन्हें आधी आधी जमीन बांट दी साथ ही काम करने वाले आदमी भी बराबर बराबर बांट दिए बड़ा लड़का बहुत सुस्त और आलसी था वह कभी अपने खेतों को देखने नहीं जाता था वह अपने आदमियों से कहा करता था "जाओ खेतों पर जाकर काम करो "उसके आदमी मनमाना काम करते थे धीरे-धीरे उपज घटने लगे और बहुत कम हो गए इस तरह किसान का बड़ा लड़का गरीब हो गया! उधर छोटा लड़का बहुत परिश्रमी था वह सवेरा होते ही कंधे पर हल रखकर अपने आदमियों को पुकारता था आओ खेतों में चलकर काम करें वह आदमियों को साथ लेकर खेतों पर जाता और डट कर काम करता उसे देख कर उसके आदमी भी खूब मेहनत करते थे . कुछ दिनों में वह धनी हो गया चतुर पिता दोनों बेटों में फर्क समझता था एक दिन उसने दोनों बेटों को बुलाया और बड़े लड़के से पूछा क्या हाल है उसने कहा मैं तो गरीब हो गया हूं मेरा भाग्य ही खराब है फिर उसने छोटे लड़के से पूछा तो वह बोला आपकी कृपा से दिन दूनी और रात चौगुनी उन्नति हो रही है बूढ़े किसान ने कहा देखो तुम दोनों को मैंने बराबर बराबर भाग दिया वह भाग भी तुम्हारा भाग्य था तुम्हारे भाग में कोई अंतर नहीं अंतर केवल है जाओ और आओ का बड़े लड़के ने हैरान होकर पूछा बापू जाओ और आओ क्या है ? पिता ने कहा तुम सदा अपने आदमियों से कहते हो जाओ काम करो जबकि तुम्हारा छोटा भाई अपने आदमियों से कहता है "आओ काम करें" पिता की बात सुनकर बड़े लड़के की आंखें खुल गई ....
(सुनी सुनाई कथा )
अर्पणा पांडे 94 55 225 325.

Tuesday 16 February 2021

 कीमती हीरा .........

काफी पुरानी बात है बगदाद के खलीफा का एक गुलाम थाl वह काफी बदसूरत था दूसरे गुलाम उसकी बदसूरती का मजाक उड़ाते थे लेकिन हासम अपना ध्यान हमेशा अपने काम पर लगाता था वह पूरी कोशिश करता था कि खलीफा को कोई तकलीफ ना हो एक बार खलीफा अपने कई गुलामों के साथ बगीचे जा रहे थे साथ में हासन भी था एक जगह कीचड़ में खलीफा का घोड़ा फिसल गया उस वक्त खलीफा के हाथ में हीरे मोतियों की एक पेटी जी घोड़े के फिसलने से खलीफा का हाथ hiला और खुल खुलकर गिर गई खलीफा ने हम सब को खुली छूट देता हूं जाओ जल्दी से अपने लिए हीरे मोती बीन लो पहले तो गुलामों को यकीन नहीं हुआ पर खलीफा को मुस्कुराते देखने sb दौड़ पड़े और उन में हीरे मोती उठाने की होड़ लग गई मगर हासन खड़ा रहा खलीफा ने कहा तुमने मेरी बात नहीं सुनी क्या? तुम क्यों नहीं जाते हा? Usne जवाब दिया मेरे लिए सबसे कीमती हीरा तो आप हैं .आप को छोड़ कर कैसे जा सकता हूं खलीफा बेहद खुश हुए उन्होंने उसी वक्त गुलामी से उसे मुक्त कर दिया .
(सुनी सुनाई कथा) अर्पणा पांडे 94 55 225 325

 सबसे बड़ा कौन ......

एक बार नारद जी के मन में यह जानने की इच्छा हुई कि ब्रह्मांड में सबसे बड़ा कौन है नारद जी ने भगवान विष्णु के सामने अपनी जिज्ञासा रखें विष्णु जी ने मुस्कुराते हुए कहा नारद जी सबसे बड़ा तो यह पृथ्वी है इसलिए हम पृथ्वी को सबसे बड़ा कर सकते हैं पर समुद्र में पृथ्वी को घेर रखा है इससे समुद्र सबसे बड़ा हुआ तब नारदजी बोले मान लेता हूं कि सबसे बड़ा समुद्र है किंतु समुद्र को भी अगस्त्यमुनि ने पी लिया इसलिए वे बड़े हुए .ठीक है आप कहते हैं तो अगस्त जी को बड़ा मान लेता हूं विष्णु ने कहा! नारद जी यह तो समझो कि वे रहते कहां है आकाश में एक जुगनू की तरह चमक रहे हैं. इसलिए आकाश उनसे भी बड़ा है नारद जी बोले ठीक कहते हैं आप सबसे बड़ा आकाश है फिर विष्णु ने कहा लेकिन वामन अवतार ने इस आकाश को भी एक ही पग में नाप लिया था इसलिए बामन ही विराट है नारद जी ने विष्णु के पैर पकड़ते हुए कहा भगवान आप ही 52 अवतार थे अब आपने 16 कलाएं धारण कर ली हैं .इसलिए बामन से विष्णु बड़े हैं.. मैं आपको प्रणाम करता हूं विष्णु जी ने कहा! मैं विराट स्वरूप धारण करने के बाद भी अपने भक्तों के छोटे से हृदय में विराजी था इसलिए बढ़े तो मेरे वे भक्त हैं जो शुद्ध mn से मेरी आराधना करते हैं .तुम भी सच्चे भक्त हो .इसलिए वास्तव में सबसे महान और बड़े तुम स्वयं हो यह बात सुनकर नारदजी समझ गए कि बड़े लोग अपने बड़प्पन कभी नहीं छोड़ते वह छोटे लोगों को बड़ा कहकर उन्हें आगे बढ़ने का मौका देते हैं l
(सुनी -सुनाई कथा )
अर्पणा पाण्डे 94 55225 325

 मां और शिक्षक ........

एक गरीब मां चाहती थी कि उसका बेटा पियानो सीख कर एक बड़ा कलाकार बने l वह उसे हर रोज संगीत शिक्षक के पास ले जाती है किंतु बच्चा जाकर भी सीख नहीं पाता शिक्षक काफी प्रसिद्ध थे वह बच्चे को सिखाने की कोशिश करते पर कई बार झल्ला कर मना कर देते . फिर भी मैं हर रोज उसे लेकर आती और पूरे क्लास के दौरान बाहर बैठी रहती एक दिन मास्टर ने कहा कि आपका बेटा नहीं सीख सकता इसे ले जाओ यह तो मेरी भी बदनामी करा देगा कि किसने सिखाया है लड़का मां के साथ वापस चला गया कुछ समय बाद स्कूल के वार्षिक उत्सव का आयोजन हुआ जिसमें पुराने छात्र भी आमंत्रित किए गए समारोह में वह बालक भी आया उसने गंदे से कपड़े पहन रखे थे टीचर ने उसे देखा तो उन्हें दया आ गई उन्होंने कहा कि आज तुम्हें भी बजाने का मौका दूंगा लेकिन जरा बाद में वह लड़का पीछे जाकर बैठ गया काफी बच्चे आए और उन्होंने बहुत कुछ अच्छा बजाया आखिर में उसकी बारी आई लेकिन उसने इतना अच्छा पियानो बजाया की सभी मंत्रमुग्ध हो गए टीचर ने जाकर उसे गले लगा लिया फिर पूछा इतना अच्छा कैसे सीखा तुम तो बिल्कुल नहीं बजा पाते थे लड़के ने बताया मेरी मां चाहती थी कि मैं अच्छा पियानो बजाना सीखे किंतु उन्हें कैंसर था इसकी वजह से वह सुन नहीं सकती थी अब वह सुन सकती है मैंने उसी को सुनाने के लिए बजाया था संगीत शिक्षक श्रोताओं की ओर देखने लगा क्या वह आई हैं कहां बैठी है बच्चे ने धीरे से कहा वह जिंदगी की इस लड़ाई में आज हार गई लेकिन स्वर्ग से शायद व ह मेरा पियानो सुन सके सुनकर सबकी आंखें भीग गई और टीचर ने उस बच्चे से माफी मांगी सच्चा शिक्षक वह नहीं मां थी जिसके पास इतना धैर्य थाl
(सुनी सुनाई कथा )
अर्पणा पांडे 94 55225 325

Wednesday 3 February 2021

 मदद की मांग......

एक दिन एक राजा जंगल में शिकार खेलते हुए रास्ता भटक गए उसे भूख प्यास सताने लगी तभी उसकी नजर एक किसान पर पड़ी उसने किसान से पूछा तुम्हारे पास कुछ खाने को है?
कि साम ने बादशाह को अपने पास रखी सूखी रोटी खिला दी खा पीकर बादशाह बहुत खुश हुआ फिर कहा उसने मैं इस मुल्क का राजा हूं कभी कोई जरूरत पड़े तो निसंकोच मेरे पास आ जाना यह कहकर वह वापस राजधानी चला गया कई वर्ष बीत गए एक बार सूखा पड़ा किसान के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई जब उसने सोचा क्यों ना राजा के पास चला जाए शायद वह कोई मेरी मदद करें नगर में रास्ते में ही उसने देखा कि राजा की सवारी चली आ रही है किसान ने देखते ही आवाज दी ओ बादशाह ओ बादशाह सभी लोग आश्चर्य में पड़ गए किसी ने कहा यह बेवकूफ ऐसे कैद में डाल दो लेकिन बादशाह ने भी यह आवाज सुन ली थी उसने किसान को पहचान भी लिया तुरंत अपने सिपाहियों से कह कर उसे अपने पास बुलाया और हाथी पर अपने साथ बिठाया महल में पहुंचकर अपने नौकरों को आदेश दिया की जंगल में मेरी जान इसी ने बचाई थी यह हमारे कमरे में ही सोएगा मेरे कमरे में ही इसके लिए बिस्तर लगा दो खाना भी अपने साथ ही खिलाया सुबह उठने पर किसान ने देखा बादशाह हाथ उठाए इबादत कर रहा है जब बादशाह ने नमाज पढ़ ली तो किसान ने पूछा यह आप क्या कर रहे थे? बादशाह ने कहा आशीर्वाद मांग रहा था किसान ने पूछा किस से? बादशाह ने कहा खुदा से ,यह सुनकर किसान ने अपनी लाठी उठाई और चल पड़ा बादशाह ने पूछा अरे तुम कहां चल पड़े तुम आए किसलिए थे? किसान ने कहा बादशाह मैं आया था तुम से मदद मांगने पर यहां तो देखा कि तुम भी मांगते हो क्यों ना मैं भी सीधे उसी से मांग लूं जिससे तुम मांगते हो।
(सुनी सुनाई कथा )
अर्पणा पाण्डे 94 5 5 225 325

 सबसे बड़ा मूर्ख ...........

एक राजा ने अपने मंत्री को सोने का एक डंडा देकर कहा जो व्यक्ति तुम्हें मूर्ख दिखाई दे उसे यह दे देना मंत्री डंडा लेकर चल पड़ा बहुत तलाश के बाद उसे एक भोला भाला व्यक्ति दिखाई पड़ा जिसे मूर्ख समझकर मंत्री ने व डंडा पकड़ा दिया मंत्री ने उससे कहा यदि तुम्हें कोई अपने से ज्यादा मूर्ख मिले तो उसे यह डंडा दे देना वह व्यक्ति भी अपने से ज्यादा मूर्ख की तलाश में स्थान स्थान पर घूमता रहा पर उसे ऐसा कोई व्यक्ति ना मिला इस प्रकार भटकते हुए वह राज दरबार में पहुंचा उसने सोचा कि राजा का दर्शन किया जाए जब वह राजा के पास पहुंचा तो उसने देखा कि राजा बीमार पड़े हैं .राजा ने उससे कहा मेरा अंत समय आ गया है अब मैं इस संसार को छोड़कर जा रहा हूं. उस व्यक्ति ने पूछा फिर आपकी सेना हाथी घोड़े महल आदि का क्या होगा राजा ने कहा यह सब यही रहेंगे और क्या इस पर उस व्यक्ति ने कहा उस धन दौलत का क्या होगा जिसे आपने बड़ी मेहनत से हासिल किया है राजा ने कहा वे सब यही रहेंगे यह सुनकर उस व्यक्ति ने सोने का वह डंडा राजा की ओर बढ़ाते हुए कहा संभाले इसे मुझसे कहा गया था कि इसे मैं उस व्यक्ति को दे दूं जो मुझे स्वयं से ज्यादा मूर्ख दिखाई दे आप इस के योग्य पात्र हैं जब आपको पता था कि आपके साथ कोई भी चीज नहीं जाएगी तो आपने उन्हें हासिल करने के लिए अपना पूरा जीवन क्यों लगा दिया क्या मिला आपको? मेरे विचार से इससे बड़ी मूर्खता दुनिया में और कोई नहीं हो सकती राजा अपने डंडे को देखकर हैरत में पड़ गया. और मन ही मन सोचा कि वह वास्तव में सबसे बड़ा मूर्ख हैl (सुनी -सुनाई कथा)
अर्पणा पांडे 94 55 225 325