Sunday 18 September 2016

आखिर अगस्त २०१६ आ ही गया,३५-३६ सालों से अलाहाबाद,दिल्ली,मुम्बई,पूना घूमते-फिरते अब कानपुर अपने स्थाई घर पर एक ठहराव सा हुआ है ,सुकून से कहे या हाथ-पैरों की शिथिलता कहें , कहीं भी आने-जाने का मन नहीं करता ।  हाँ ! घर को थोड़ा न्यू  लुक देकर या कहें कि ये  सुन्दर सा छोटा सा घर साज -सज्जा से पूर्ण हो , उस सपने को साकार करने का मन बनाया है और ऊपर हॉल,वन रूम किचन बन रहा है जिसे बनवाने में दीपक तोषी और इनके पापा  पूरा सहयोग कर रहे है सितम्बर माह भी शुरू हो गया है काम अभी जारी है.

Friday 24 June 2016

संध्या शब्द का अर्थ दिन और रात मिलने का है। न रात और दिन में सन्धि होती है संधि दो वस्तुओं में होती है ,सावित्री नाम गायत्री का है और जप नाम जपने का है तिस्थेट नाम खड़े होने का है अर्क नाम सूर्य का है ,
जब तक सूर्य नारायण ना निकले तब तक खड़े होकर गायत्री का जप करें ,प्रातः काल की संध्या हो गई। सायं काल की संध्या -जब तक अच्छी तरह से तारे न निकल आएं तब तक करें और बैठ कर करें। इससे सिद्ध हुआ कि संध्या सन्धि में ही होनी चाहिए अन्त्य काल में नहीं। [ बाबा का ज्ञान ]

Wednesday 22 June 2016

माया का प्रबल  दल --

मोह  न अंध  कीन्ह कहु  केही ।
को जग काम  नचाव  न जेही । ।
         तृष्ना केही न कीन्ह बौराहा  ।
          केहि   के ह्रदय  क्रोध  नहि  दाहा । ।
ज्ञानी, तापस,  सुर - कवि , कोविद,  गु न आगार ।
केहि  के लोभ बिडंबना , कीन्ह न यहि  संसार । ।
             श्री - मद  वक्र न कीन्ह  केहि ,प्रभुता बधिर ना  काहि ।
              मृग- लोचनि  के नयन - सर, को अस लाग  न जाहि  । ।
गुन - कृत-सन्निपात  नहि  केही ।
को  न   मान - मद  भयहु निमेहि । ।
                जौवन -ज्वर केही नहीं  बल कावा ।
                 ममता केहि कर जस न   नसावा    । ।
मत्सर  काहि  कलंक न लावा ।
काहि  न सोक -समीर डुलावा । ।
                  चिंता- साँपिनि  काहि  न खाया ।
                   को जग जाहि  न  व्यापी माया । ।
कीट-मनोरथ ,    दारु  सरीरा ।
जेहि न लागि घुन  को अस  बीरा । ।
                   यह  सब माया कर  परिवारा ।
                   प्रबल  अमित को बरनै  पारा । ।

Friday 15 April 2016

राम नवमी। .
श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन।

Wednesday 20 January 2016

१, 'शाम होते ही आदमी का कद छोटा होता जाता है ,और उसका साया बढ़ा होता जाता है। '
२ ,'सूखे पत्ते पर पैर पड़ता है तो वह चरमराता है अर्थात ' कर्कश '
    और  गीले पत्ते पर पैर पड़ा तो ' सरस'  अर्थात रसयुक्त  
३ ,किसी से बदला लेने की सोचना ,अपने घाव को हरा रखने जैसा ही है जो कि कबका ठीक हो चूका है। 
   
बुराई ===
कोई भी बुराई सबसे पहले मनुष्य की आँखों पर पट्टी बांधती है,फिर उसकी बुद्धि को गठरी में बांध कर एक कोने में डाल देती है. और उसकी प्रवृत्तियों को मजबूत धागों से बांधकर कठपुतली की भांति नचाने लगती है।
आज २ दिन से पानी बरस रहा है , किसानों के लिए बहुत ही अच्छा है।
कहावत == .
अगहन दूना ,पूष सोना
माह सवाया ,फागुन घर को जाई [बर्बादी]

Sunday 17 January 2016

अमृत बेला में जाग्रत होकर परमात्मा और अपनों का आभार व्यक्त करें ,
सृजन के लिए मनन और लगन चाहिए। 
संतोषी मनुस्य परम सुखी ,
नेकी करो , नेक   बनो 
एक को जानो एक को मानो 
ज्वाला प्रसाद नहीं,शीतला प्रसाद बनो. 
बकरे की बलि सब देते हैं ,शेर की कोई नहीं 
पेड़ बौरा जाता है तो फल देता है और आदमी बौराता है तो दुःख देता है।
  आया है  नया वर्ष 2016
 सभी सुखी हों,सभी स्वस्थ हों.
 यही हमारी आशा हैं

 निर्मल मन हो ,स्वस्थ  शरीर हो ,
  लिप्सा केवल ज्ञान की  हो ,
 यही  हमारी आशा    है \\
 अर्पणा।