Sunday 24 November 2013


 स्मृति।
मेरी स्मृति में बाबूजी का वो चेहरा
कभी-कभी हवा के साथ आता है
और हो जाता है प्रतिस्ठित
ख्यालों में डूबता और उदय होता
 बाबूजी का चेहरा
 बस चेहरा ही नजर आता है
 भीगी पलकों में यादों का
 जैसे जल चमकता है
और उसी जल ने ठहर कर
भूली बिसरी यादों कि तरह 
 घर  बना लिया है।।

 अर्पणा पाण्डेय
ना वक्त से कोई रंज है ,ना जख्मों से कोई गिला
 ये मेरी किस्मत का कसूर है ,मेरे ही हौसले का सिला है । ।
( पुरषोतम प्रतीक बाबरा )


 मुस्कराता है चेहरा ,और दिल रोता है
 एक जोकर कि कहानी में ऐसा ही होता है । ।
 (कुँवर नारायण )
धरती पर आते ही और कुछ पांव जमते ही हर कोई सोचने लगता है कि पूरी धरती जीत लूँ ,मानो  रहने के लिए नहीं जीतने के लिए बनाई गई हो,इसी सन्दर्भ में -
" सिकंदर का युद्ध पोरस से नहीं बल्कि एक बीमार सिकंदर से हुआ था जिसमे वह लड़ते हुए मारा गया नापते वक्त उसकी सारी  जीतों का क्षेत्रफल दो गज  जमीन से अधिक नहीं निकला ".

" अपनी जिंदगी एक पुल पर चलने के समान समझनी चाहिए जिस पर आप चलें और पीछे आने वालों को रास्ता मिले "

अर्पणा पाण्डेय 

Tuesday 19 November 2013

bakilan ko basta

 झूठ ही बोले .
 झूठ ही टटोले
 झूठ ही  घोले
 वह कचहरी बीच बस्ता है
 पहले तो गवाहन के खुद ही इजहार लेत
 दिखाए  देत जिनको कानून को बस्ता है 
 साँचो को झूठ  करे
 झूठों को साँच करे
 दोनों को फंसाये देत
 आप साफ हो निकालता है
 इससे विचार कर देखो,
 जो नरक को रस्ता है,
 सो बकीलन को बस्ता है । । 

    arpana pandey

Saturday 16 November 2013


      
   

   इस भारत  की दीन अवस्था पर क्या आज बयान करूँ
 रोना आता है ह्रदय दुखी है क्या कहे और  क्या बयान करें

  

Tuesday 12 November 2013


 किसानो की विपदा ---------


टूटी हुई झोपडी में वे जीवन दुखी बिताते हैं .
 जितने रोग यहाँ पर आते इनके सर सब जाते हैं ।

नित नई -नई विपदायें ,ये किसको हाय सुनाये .
 बारह मास हाथ जिनके हित ,
 घोर परिश्रम करते हैं ।

 और लगे पीठ से वही  पेट है ,
 जी भर कभी ना भरते हैं
 टूटी हुई झोपडी में वे ,
 जीवन दुखी बिताते हैं । ।

 अर्पणा पाण्डेय
  ० ९४५५२२५३२५