Sunday, 21 November 2021

नवग्रह की कहानी

 एक बूढ़ी मां थी उसके एक बेटी और एक बेटा थे बेटी पूजा पाठ बहुत करती थी वह हर रोज नवग्रह की पूजा भी किया करती थी। इससे उसकी शादी भी खूब अच्छे घर में हो गई । वहां भी खूब सुख में रहते हुए वह नवग्रह की पूजा बराबर करती रही। इधर मां बाप बेटा अकेले रह गए यह  लोग दुखी रहने लगे । 1 दिन बेटा मां से बोला मां मैं बहन से मिलने जाऊंगा , मां बोली के बेटा अभी तू मत जा अभी तुझ पर बुरी ग्रह चल रही है किंतु बेटा नहीं माना और वह बहन से मिलने के लिए चल दिया रास्ते में उसे प्यास लगी तो पास ही एक कुएं से उसने पानी निकाला तो उसमें से एक बड़ा सा सांप निकला वह बोला मैं तो तुझे डस लूंगा बेटा डर गया और बोला अभी मुझे तुम मत दसों मेरे झोले में बैठ जाओ मैं जब अपनी बहन से मिलकर आ जाऊं तब मुझे डस लेना सांप बोला ठीक है और वह उसके झोले में बैठ गया। भाई अपनी बहन के घर पहुंचा तो देखा बहन नवग्रह की पूजा कर रही थी l भाई ने अपने झूले को खूंटी पर टांग दिया और बाहर चला गया बहन पूजा करके कह रही थी अच्छी-अच्छी ग्रह पति पुत्र पर आए ,बेटी दामाद पर आए, भाई भतीजे पर आए और बुरी बुरी ग्रह  भाड़ चूल्हे में जाए उसके इस तरह कहने से भाई के  झोले में बैठा हुआ सांप बाहर निकल गया और उसकी जगह सुंदर सा सोने का हार रह गया जब बहन उठी तो उसने भाई का  झूला  देखा तो उसमें हार वह बड़ी खुश हुई कि मेरा भाई मेरे लिए हार लाया है और वह पहन कर बैठ गई जब भाई आया तो उसने कहा भैया फल फूल ले आते तो इतना महंगा हाल क्यों ले आए भाई कुछ भी नहीं समझ पाया तब उसने पूरी बात अपनी बहन को बताएं बहन इतने में समझ गए कि यह सब नवग्रह की पूजा का फल है और फिर उसने भाई को भी नवग्रह की पूजा करने को कहा और उसे सिखाया भाई अच्छे से घर आया और मां के साथ बैठकर उसने भी नवग्रह की पूजा नित्य करने का संकल्प ले लिया और कहता जाए .....बंदा चले 9 कोश  ग्रह उतरे 100 कोष।

अर्पणा पांडे


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