Sunday 28 November 2021

संकटा देवी की कथा

 एक राजा था उसकी एक रानी थी सब कुछ होते हुए भी उसके कोई औलाद नहीं थी इस कारण राजा और रानी हमेशा दुखी रहते थे क्योंकि एक दासी थी जो संकटा देवी की पूजा हमेशा किया करती थी वह रानी को भी समझाते कि तुम संकटा देवी की मन्नत मान लो और  सुहागिन औरतों को एकत्र कर संकटा देवी की पूजा अर्चना करो ज्यादा ना हो सके तो सवा किलो का प्रसाद बनाकर तैयार करें और पांच सुहागिन औरतों को बुलाकर उन्हें खिलाएं साथ  ही श्रृंगार का सामान और दक्षिणा देकर विदा करें। रानी ने काफी सोच विचार कर दासी से कहा कि ठीक है हमारे पुत्र होगा तो हम संकटा मैया की पूजा करेंगे और सभी सुहागिनों को बुलाकर उन्हें भोजन कर आएंगे इधर राजा बहुत परेशान रहते थे एक दिन राजा बाहर भ्रमण को निकले तो उन्होंने देखा की प्रजा उनसे आंखें फेर रही है राजा ने घर आकर मंत्री से कहा के आज प्रजा ने मुझसे आंखें फेर ली ऐसा क्या हो गया पता करो तब मंत्री ने बताया के महाराज मुझे क्षमा करें आपके औलाद ना होने के कारण सुबह- सुबह आपका कोई मुंह नहीं देखना चाहता सब कहते हैं के निर्बन सी राजा का मुंह सुबह नहीं देखना चाहिए दिन भर खराब हो जाता है। रानी और दासी को यह बात बहुत बुरी लगी। तब दासी ने रानी से कहा कि मैं जैसा कहूं वैसा करो रानी ने कहा ठीक है सुबह होते ही दासी ने राजा से कहे दिया की रानी गर्भ से है और  रानी को चुप रहने के लिए कह दिया तब राजा बहुत खुश हुआ। लेकिन दासी ने राजा से यह शर्त रखी कि वह रानी से नहीं मिलेंगे जब बच्चा हो जाएगा तब ही मिल सकते हैं राजा को इतनी खुशी थी कि वह इस बात के लिए तैयार हो गए 9 महीने बाद दासी ने राजा से कहकर ढिंढोरा  भी पिटवा दिया की रानी को बालक हुआ है किंतु वह अभी किसी को दिखाया नहीं जाएगा उसके ग्रह है ऐसे हैं कि वह बाहर नहीं निकलेगा राजा चुप रहा और सारे राज्य में मिठाई बटवा दे इसी तरह छट्टी हुई मुंडन हुआ । और अंत में विवाह का समय भी आ गया राजा मन मार के बैठे रहे कुछ अनहोनी ना हो इस भय से राजा और रानी चुप रहे 15 वर्षों तक यह धैर्य बनाए रखें अब दासी ने राजा से कहा कि आप राजकुमार के विवाह की तैयारी करें राजा करता क्या न करता उसने एक कन्या से राजकुमार का विवाह भी तय कर दिया  विवाह वाले दिन दासी ने सुंदर सी पालकी बनवाई और उसमें मेवे मिष्ठान से एक सुंदर सा पुतला बनाया और रख दिया ओढ़नी से ढक कर बरात उठाई गई गाजे बाजे ढोल नगाड़ों के साथ बारात निकलने को हुई आधी दूर चलने के बाद संकटा देवी का मंदिर आया । वहीं पर दासी ने पालकी को रुकवाया और संकटा मैया के मंदिर में दर्शन करने गई इतने में संकटा मैया बिल्ली के रूप में उस मेवे के लड्डू को खाने के लिए आतुर हो गई अपने को वह रोक नहीं पाएं तभी दासी मां के चरणों में गिरकर रोने लगी और बोली मां मुझे मेरा बेटा दे दो मैं तुम्हारी पूजा अवश्य करूंगी । संकटा मैया को दासी पर दया आ गई और उसने 16 बरस के कुमार को पालकी में बिठा दीया इस तरह बारात जब दरवाजे पर पहुंचे तब दासी ने राजा से कहा अब आप कुंवर साहब को देख सकते हैं लेकिन घर चल कर हमारी संकटा मैया की पूजा अवश्य करवाएंगे राजा बहुत खुश हुआ और उसने जो ही पालकी से पर्दा हटाया सुंदर सा राजकुमार देखकर राजा ने उसे गले से लगा लिया तत्पश्चात राजकुमार का विवाह राजकुमारी से हो जाने पर वापस अपने राज्य आ गए उधर रानी बहुत परेशान थी कि अब राजा हमें मार ही देंगे मैंने उनसे बहुत झूठ बोला। किंतु दासी के सच्चे मन से पूजा करने पर रानी और राजा को राजकुमार और बहू मिल गई थी यह बात रानी को जब पता चले तो रानी बहुत खुश हुई राजकुमार और बहू के स्वागत करने के बाद आरती करने के बाद संकटा मैया की पूजा की तैयारी भी की पूरे राज्य में सुहागिनों के निमंत्रण भेजे गए उन्हें विधिवत खिला पिला कर सोलह सिंगार का सामान देकर दक्षिणा देकर स सम्मान विदा किया इस तरह संकट आने पर संकटा देवी की पूजा सच्चे मन से की जाए तो वह सभी संकट हर लेती हैं सभी को संकटा मैया की पूजा विधि विधान से सच्चे मन से करनी चाहिए जय संकटा मैया की।

अर्पणा पांडे

Monday 22 November 2021

लक्ष्मी जी की कथा

 एक गरीब औरत और एक बेटी थी बेटी हर  बृहस्पति वार को केले के पेड़ की पूजा करती लेकिन उसकी कहानी सुनने वाला कोई नहीं रहता 1 दिन बड़ी उदास होकर बोली हे भगवान मैं रोज कहानी कहती हूं किंतु कहानी सुनने वाला कोई नहीं तो लक्ष्मी जी को उस पर दया आ गई और वह केले के पेड़ से अचानक प्रकट हो गई और उससे बोली चलो तुम कहानी सुनाओ आज से मैं तुम्हारी कहानी रोज सुनने आया करूंगी लड़की पसंद हो गई और उसने पूजा करके कहानी सुनाइए फिर लक्ष्मी जी उसे अपने घर ले गए और अच्छे-अच्छे कपड़े भेंट में दिए बढ़िया खाना खिलाया लड़की जब वापस घर आए तो उसने मां से पूरी बात बताई और कहा कि आप से मेरी हो सहेली है और अगले बृहस्पतिवार को मैं उसे अपने घर भी बुलाओगी मां बोली बेटा दोस्ती हमेशा बराबर वालों से की जाती है बड़ों से नहीं। लेकिन बेटी नहीं मानी और जिद करने लगी नहीं वह तो अच्छी है हम उसे अपने घर बुलाएंगे तब माने अपने घर को साफ सुथरा किया गाय के गोबर से घर लीपा अपने स्थिति के अनुसार भोजन बनाया जब बृहस्पतिवार आया तो लक्ष्मी जी को अपने घर लाने के लिए एक कारीगर से उसने लकड़ी की गाड़ी भी बनवाई आप लड़की ने कथा कहने के बाद लक्ष्मी जी से अपने घर चलने का आग्रह किया और उसी गाड़ी में लक्ष्मी जी को बैठाला और अपने साथ अपने घर ले आए लक्ष्मी जी के बर्थडे ही गाड़ी सोने की हो गई सुंदर से सज्जित हो गई घर में पैर रखते ही घर सोने का हो गया चारों तरफ जगमगाहट होने लगी यह सब मां बेटी देख कर दंग रह गए तभी लक्ष्मी जी ने 5 थाली में भोजन  मंगाया एक गणेश जी का एक विष्णु जी का एक स्वयं का एक मां का एक बेटी का इस तरह 5 थालो में भोजन आ गया । भोजन करने के बाद लक्ष्मी जी के जाने का समय हो गया। अब लड़की ने पल्लू पकड़ कर कहा मैं आपको नहीं जाने दूंगी तब लक्ष्मी जी बोले मेरा एक पैर हमेशा तुम्हारे घर में रहेगा मैं एक जगह नहीं रहती ।  जिस घर में इनकी पूजा होती है साफ सफाई रहती है वहां लक्ष्मी जी का निवास रहता है इस तरह सभी को अपने घर पर या आसप पास सफाई हमेशा रखनी चाहिए ।

अर्पणा पांडे

Sunday 21 November 2021

नवग्रह की कहानी

 एक बूढ़ी मां थी उसके एक बेटी और एक बेटा थे बेटी पूजा पाठ बहुत करती थी वह हर रोज नवग्रह की पूजा भी किया करती थी। इससे उसकी शादी भी खूब अच्छे घर में हो गई । वहां भी खूब सुख में रहते हुए वह नवग्रह की पूजा बराबर करती रही। इधर मां बाप बेटा अकेले रह गए यह  लोग दुखी रहने लगे । 1 दिन बेटा मां से बोला मां मैं बहन से मिलने जाऊंगा , मां बोली के बेटा अभी तू मत जा अभी तुझ पर बुरी ग्रह चल रही है किंतु बेटा नहीं माना और वह बहन से मिलने के लिए चल दिया रास्ते में उसे प्यास लगी तो पास ही एक कुएं से उसने पानी निकाला तो उसमें से एक बड़ा सा सांप निकला वह बोला मैं तो तुझे डस लूंगा बेटा डर गया और बोला अभी मुझे तुम मत दसों मेरे झोले में बैठ जाओ मैं जब अपनी बहन से मिलकर आ जाऊं तब मुझे डस लेना सांप बोला ठीक है और वह उसके झोले में बैठ गया। भाई अपनी बहन के घर पहुंचा तो देखा बहन नवग्रह की पूजा कर रही थी l भाई ने अपने झूले को खूंटी पर टांग दिया और बाहर चला गया बहन पूजा करके कह रही थी अच्छी-अच्छी ग्रह पति पुत्र पर आए ,बेटी दामाद पर आए, भाई भतीजे पर आए और बुरी बुरी ग्रह  भाड़ चूल्हे में जाए उसके इस तरह कहने से भाई के  झोले में बैठा हुआ सांप बाहर निकल गया और उसकी जगह सुंदर सा सोने का हार रह गया जब बहन उठी तो उसने भाई का  झूला  देखा तो उसमें हार वह बड़ी खुश हुई कि मेरा भाई मेरे लिए हार लाया है और वह पहन कर बैठ गई जब भाई आया तो उसने कहा भैया फल फूल ले आते तो इतना महंगा हाल क्यों ले आए भाई कुछ भी नहीं समझ पाया तब उसने पूरी बात अपनी बहन को बताएं बहन इतने में समझ गए कि यह सब नवग्रह की पूजा का फल है और फिर उसने भाई को भी नवग्रह की पूजा करने को कहा और उसे सिखाया भाई अच्छे से घर आया और मां के साथ बैठकर उसने भी नवग्रह की पूजा नित्य करने का संकल्प ले लिया और कहता जाए .....बंदा चले 9 कोश  ग्रह उतरे 100 कोष।

अर्पणा पांडे


Saturday 20 November 2021

गणेश जी की कथा

 एक बूढ़ी औरत थी वह रोज सुबह नहा धोकर गणेश जी के मंदिर जाती और पूजा करती थी आंखों से अंधे होने के कारण उसे काफी कठिनाई होती थी लेकिन वह बिना मंदिर जाए पानी भी नहीं पीती  l  1 दिन गणेश भगवान जी ने उसकी भक्ति को देख उसे दर्शन दिए और कहा कि तू मेरी बहुत सेवा करती है जो भी मांगना हो मांग लो वह बड़ी प्रसन्न हुई और बोली अच्छा ! भगवान मुझे अब क्या चाहिए हां अपने बेटे बहू से पूछ ले कि उन्हें क्या चाहिए तब मैं आपको कल बताऊंगी  भगवान बोले ठीक है पूछ आओ बुढ़िया बहुत खुश हो गई और जल्दी-जल्दी अपने घर आई और बेटे बहू को सारी बात बताई तो बेटा बोला अम्मा तुम धन मांग लो उससे सभी कुछ आ जाएगा और बहू बोली अम्मा एक पोता मांग लो तो तुम बैठी बैठी उसे खिलाया करना बुढ़िया कुछ नहीं बोली लेकिन मन ही मन में दुखी हो गई कि बच्चे कितने स्वार्थी हैं किसी ने भी यह नहीं कहा कि अम्मा तुम्हारी आंखें नहीं है तुम आंखें मांग लो रात भर नींद भी नहीं आई और सोचते ही रही सुबह होते ही वह उदास से मंदिर के लिए चली गणेश भगवान जी अंतर्यामी बुढ़िया के मन की बात को समझ गए और बालक का वेश धरकर रास्ते में ही मिले बोले अम्मा तुम दुखी क्यों हो और मुंह से तुम क्या बड़बड़ा रही हो इतना सुनकर बुढ़िया रोने लगी और उसने सारी बात बताई बोली हमने तो सोचा था कि बेटा बहू कहेंगे अम्मा आंखें मांग लो लेकिन मेरी किसी ने नहीं सोचा तब बालक रूप में गणेश जी ने कहा के अम्मा तुम ऐसे कहना कि सोने के कटोरा में नाती दूध पिए और  हम आंखों से देखेंl बुढ़िया उस की चतुराई से बड़ी खुश हुई और जल्दी-जल्दी मंदिर के लिए  जाने लगी तभी भगवान ने दर्शन दिए और पूछा क्या चाहिए तुम्हें सो बुढ़िया ने तुरंत बोला कि सोने के कटोरा में नाती दूध पिए हम आंखों से देखें भगवान ने कहा तथास्तु !और अब उसके पास धन भी हो गया नाती भी हो गया और आंखों से दिखाई दे देने लगा । इस तरह उसकी पूजा सफल हुई 9 महीने बाद ही उसके घर में सुंदर से बालक ने जन्म लिया जिसे उसने अपनी आंखों से देखा और खूब प्यार दिया। सुबह से गणेश भगवान  के मंदिर जाना जारी रखा इस तरह भगवान सबकी सुनते हैं जो श्रद्धा से उनकी भक्ति करते हैं। बोलो गणेश भगवान की जय। 

अर्पणा पांडे