Saturday 18 June 2022

सोमवती अमावस्या की कथा

 एक  ब्राह्मणी  की एक पुत्री थी और एक बहु दोनों पूजा व्रत हमेशा करते थे पूजा के बाद पंडित जी आशीर्वाद देते बेटी को कहते सुखी रहो और बहू से  कहते पुत्रवती हो घर वर समृद्धि सब बड़े । एक दिन ब्राह्मणी ने पंडित जी से पूछा कि आप बेटी को घर बर का आशीर्वाद क्यों नहीं देते? तब पंडित जी ने बताया कि जब यह पुत्री तुम्हारे पेट में थी तो तुमने सोमवती अमावस्या के दिन अपने पेट में तेल लगा लिया था और हल्दी का प्रयोग किया था इससे इसका विवाह का योग नहीं बन रहा है यदि विवाह हो गया तो इसे सुख नहीं मिलेगा ब्राह्मणी बहुत दुखी हुई और बोली महाराज इसका कोई उपाय तो होगा वह बताइए वरना बेटी  कुमारी कैसे और कब तक रखेंगे जब पंडित जी ने सोमवती अमावस का व्रत करने को कहा जो अमावस सोमवार को पड़े वह सोमवती अमावस्या कहलाती है इस दिन हल्दी और तेल को छूना मना है और पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है जिसे तुम और यह कन्या करें और हमेशा करती रहे उसकी पूजन विधि इस प्रकार है सोमवती अमावस्या के दिन सर्वप्रथम घर की साफ सफाई करें । स्वयं स्नान करें साबुन का हल्दी का और तेल का प्रयोग ना करें पूजन सामग्री में अपन बनाकर रख लें शुद्ध घी का दीपक जलाएं एक कलश शुद्ध जल लेकर पीपल के वृक्ष की फेरी लगाने के लिए चना ले ले चना अगर ना हो तो रेवड़ी किशमिश पेड़ा और इलायची दाना भी ले सकते हैं अपनी सामर्थ्य अनुसार गिनती में 108 या 51 रखें अब पुराने पीपल के वृक्ष पर सर्वप्रथम जलाभिषेक करें दीपक जला ले और अपन लगाएं तथा पीपल के चक्कर लगाएं और चक्कर लगाते समय चना या जो भी सामग्री हो से चढ़ाते जावे तत्पश्चात स्मरण करें आरती करें और चढ़ी हुई वस्तु को खा लें किसी कन्या को दान में दें प्रसाद रूप में उसे बांट दें स्वयं ना लें फिर घर में जो भी पदार्थ बनाएं उसमें हल्दी व तेल का प्रयोग ना करें उपवास भी ना रखें बस बाहर का खाना ना खाने इस तरह धीरे-धीरे बेटी पर लगा सोमवती अमावस क दोष कम होता जाएगा और घर   बर की समृद्धि उसे भी प्राप्त होगी ब्रह्मदेव के श्राप से उसे मुक्ति मिलेगी।


गणेश जी की कथा

 गणेश भगवान एक दिन बालक का रूप रखें इधर उधर घूम रहे थे मिट्टी की एक कटोरी हाथ में लिए उसमें जरा सा  दूध था और 4 दाने चावल अबकिसी को भी देखते तो  कहने लगते मेरे लिए खीर बना दो लोग बाग देखते और हंस देते और आगे बढ़ जाते इतने से दूध में खीर कैसे बनेगी लगभग सभी ने मना कर दिया 4 दाने चावल और जरा सा दूध कोई भी गणेश जी के लिए खीर बनाने के लिए तैयार नहीं हुआ तभी एक बूढ़ी औरत आई और बालक को उदास देख कर बोली अरे बेटा क्यों तुम उदास हो बालक ने अपने मन की बात उस बूढ़ी औरत को  बताइ तब  बुढ़िया ने कहा अरे लाओ बेटा मैं तुम्हारे लिए खीर बनाती हूं और उसने कुछ लकड़ियों को एकत्र किया  और  आग जलाई छोटी सी बटोही में चार दाने  चावल के भी उस में डाल दिया लेकिन अचानक से उसने देखा कि वह बटोही तो दूध और चावल से लबालब भर गई है अब उसने दूसरे बर्तन में पलट लिया फिर भी बटोही खाली नहीं हुई इस तरह खीर बनती चली जा रही थी यह सब गणेश जी की कृपा थी और वे परीक्षा ले रहे थे कि मेरा काम कौन करेगा इस तरह वह बूढ़ी औरत गणेश जी की इस परीक्षा में सफल हुई थी उसने गांव भर को दावत में खीर खिलाई इस तरह गणेश जी को उस बूढ़ी औरत ने प्रसन्न कर लिया  था। अब रोज गणेश जी का भोग लगाने लगे और पूरे गांव में उसकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी इस तरह गांव में खुशहाली खुशहाली रहने लगे बोलो गणेश भगवान की जय

अर्पणा पांडे

Thursday 9 June 2022

भगवान विष्णु की कथा

 एक पंडित पंडिताइन थे पंडित जी बहुत सीधे थे पूजा बड़े मगन हो कर करते थे उन्हें जो भी मिल जाता उसी से वह गुजारा करते थे उनकी एक कन्या थी वह बड़ी हो रही थी इससे पंडिताइन को बहुत चिंता थी वह रोज पंडित जी से झगड़ा करती कुछ करो इस कन्या का विवाह कैसे होगा गुस्से में पंडित जी 1 दिन घर से निकल गए रास्ते में उन्हें विष्णु भगवान भेस बदल कर मिले बोले पंडित जी क्या बात है आज आप इतना परेशान क्यों हो सब पंडित जी ने सारी बात बताई कि पंडिताइन मुझसे रोज झगड़ते हैं की बेटी के लिए वर ढूंढो अब मैं क्या करूं तब विष्णु भगवान बोले यह आसरा लेते जाओ रोज कहना बृहस्पति को केला के पेड़ के नीचे शुक्रवार को संतोषी माता के पास शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे रविवार को सूरज के सामने सोमवार को भोले बाबा के पास और मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में बुद्ध को रिद्धि सिद्धि के पास इस तरह यह 7 दिन के नाम से पूजन करिए तो आपका काम हो जाएगा पंडित जी घर आए तो पंडिताइन ने पूछा क्या लाए हो तब पंडित जी ने बताया कि यह आसरा लाया हूं और पंडित जी ने पुनः सातों दिनों की कहानी सुनाई तो पंडिताइन चिल्लाई इससे क्या होगा तब बेटी बोलीलाओ पिताजी मैं करूंगी और उसने पिता जी से कहा आप कहो मैं भी कहूंगी  पंडित जी ने कहा हॉट बात टूटेंगे मतलब दरिद्रता जाएगी कोठी कुत्रा भरेंगे  मतलब संपन्नता आएगी 7 दिन को आश्रो बृहस्पति को केला के पेड़ के नीचे शुक्रवार को  संतोषी माता के मंदिर में सनी को पीपल के नीचे इतवार को सूरज के सामने सोमवार को भोले बाबा के पास मंगल को हनुमान मंदिर में बुध को रिद्धि सिद्धि के पास पूजा करने से बेटी का विवाह अच्छे घर में हो जाएगा। देखी है उसी दिन से पूजा करना शुरू कर दिया थोड़े दिनों में ही उससे अच्छा घर अलवर मिल गया यह सब देख कर उसकी मां भी विष्णु जी की पूजा करने लगी साथ में हर दिन की पूजा करती धीरे-धीरे उसके घर में सब कुछ अच्छा होने लगा।

कार्तिक पूर्णिमा की कथा

 एक लड़की तुलसी की पूजा रोज किया करते थे। यह सब वह अपने सहेली को करते हुए देख आई थी अभी से उसके मन में तुलसा के पूजा वह कार्तिक स्नान की धुन लग गई थी जबकि उसकी मां बिल्कुल नहीं करती थी और अपनी पुत्री को दिनभर चिल्लाती की पढ़ती नहीं है ना कोई काम करती है बस यह निर्जीव से पत्तों की पूजा किया करती है इस बात से लड़की को गुस्सा नहीं आता था वह कार्तिक मास में प्रातः काल जब तक आकाश में तारे रहते तब तक स्नान कर लेती थी और तुलसा जी पर जल चढ़ाते विधिवत पूजा करते रोज एक दीपक जलाते उसके पश्चात थी वह पानी पीती और भोजन करती थी इस तरह वह इतनी बड़ी हो गई कि वह भी  विवाह के योग्य हो गई  उसके माता पिता उसके लिए बर ढूंढ रहे थे और गुस्से में उसके लिए एक गरीब घर का लड़का देखकर उसका विवाह उससे कर दिया और बेटी से कहा अब करो जाकर तुलसी की पूजा और अपना भाग्य बनाओ हम भी देखते हैं दहेज के नाम पर उसके साथ तुलसी के पौधे जो सूख गए थे वह भी उन्होंने बेटी की विदा में दे दिए लड़की कुछ नहीं बोली प्रसन्न चित्र अपने पति के साथ घर पर आ गई सर्वप्रथम उसने घर की सफाई की आंगन के बीचो बीच तुलसी के पौधे को रोप दिया आसपास सूखे तुलसी के पौधों को भी लगा दिया दिन प्रतिदिन वह उनकी सेवा करती रही धीरे धीरे तुलसी हरियाने लगी चमत्कार की बात कि वह सूखे हुए पौधे भी हरे भरे होने लगे यह सब देख कर उसकी सास बहुत खुश होती और बहू के साथ काम भी करवा लेती कार्तिक मास आने पर सास बहू मिलकर पूजा करती प्रातः काल गंगा स्नान जाते और वापस आकर अपने तुलसी की पूजा करते हैं इस तरह परिवार में तीनो लोग खुश रहते तब धीरे-धीरे उनके घर में संपत्ति भी आने लगी। उधर मां के घर में दरिद्रता का वास होने लगा मां-बाप दोनों बीमार भी रहने लगे 1 दिन परेशान होकर वह बेटी के घर आए और वहां का हाल देखा तो स्वयं लज्जित हुए बोलेबेटा सच में तुमने अपने भाग्य से भगवान की पूजा से अपने घर को स्वर्ग बना दिया है उधर तुम्हारे आ जाने के बाद विपत्ति ही विपत्ति आ रही हैं तब बेटी ने समझाया मां तुलसा देवी की पूजा आप लोग अवश्य किया करिए तुलसा देवी विष्णु भगवान की प्रिया है और उनकी प्रिया जहां रहेंगी वहां संपन्नता ही होगी । इस तरह कार्तिक मास में सभी को यह कथा कह कर पूजा करनी चाहिए।

Tuesday 7 June 2022

कार्तिक पूर्णिमा की कहानी

 एक देवरानी जेठानी थे ,जिसमें देवरानी बहुत गरीब थे और जेठान अमीर थे देवरानी गरीब होने के कारण अपनी जेठानी के घर का सारा काम करने जाती थी बदले में उसे कुछ पैसे मिलते थे जिससे वह घर का खर्च चलाती थी पूजा पाठ में देवरानी का मन ज्यादा लगता था वह कार्तिक का महीना आते ही प्रातः काल उठते अपने घर का सारा काम करके नहा धोकर तुलसी  की पूजा करने के बाद अपनी जेठानी के घर काम करने जाती थी सुबह शाम पूजा करने के साथ ही एक दीपक तुलसी पर भी रखती थी यदि किसी दिन छूट जाता तो वह दूसरे दिन एक दीपक  और रखती इस तरह पूरा कार्तिक का महीना भर पूजा पाठ करके प्रसन्न रहती एकादशी वाले दिन श्री कृष्ण भगवान के साथ तुलसा का विवाह धूमधाम से करती तुलसा जी पर जल चढ़ाकर  सोलह सिंगार से उनकी पूजा करना उसका हमेशा का कार्य था तत्पश्चात 8 दिन के बाद पूर्णिमा वाले दिन  तेल के दीपक जलाकर पूजा करती भोग लगाते और  विदा करती थी इस काम में देर हो जाने के कारण जेठानी से उसे डांट  मिलती देवरानी बेचारी क्या करती चुपचाप सुनती अपने इष्ट देव में मगन रहती इस तपस्या से श्री कृष्ण भगवान बहुत खुश हुए और बालक के रूप में देव रानी के घर आए और बोले माता कुछ खाने को दे दो वह सोच में पड़ गई मैंने तो कुछ सामान ना होने से यह बालू के लड्डू बनाए हैं और वही चढ़ाए हैं किंतु संकोच करते हुए उस बालक को वही लड्डू प्यार से खिला दिए शाम का वक्त हो गया था अब बालक को नींद भी आ गई अचानक रात में  बालक ने कहा की माता जी अब मुझे  सोच के लिए जाना है वह बोली बेटा यहां आंगन पड़ा है चाहे जहां कर लो मैं साफ कर दूंगी उस बालक ने उस घर में सोच भी कर ली फिर बोला मुझे साफ करना है तब देवरानी बोली मेरे पल्लू से साफ कर लो  सुबह जब वह उठी तो देखा वह बालक वहां नहीं है और घर में सोना ही सोना भरा है उठाते रखते उसे देर हो गई इतने में जेठानी दौड़ी दौड़ी आई और देवरानी को डांट लगाई बोली आज तुम क्यों नहीं आई तब रानी ने अपने पूरी कहानी बताइजेठानी को बड़ा आश्चर्य हुआ अगले वर्ष जेठानी ने भी वही काम किया उसके पास पैसा होते हुए भी उसने बालू के ही लड्डू बनाए और पूरी नकल देवरानी की तरह की बालक के भेष में श्री कृष्ण भगवान आए और कहा माता मुझे भूख लगी है कुछ खाने को दो तो जेठानी ने बालू के लड्डू ही दे दिए भगवान मन ही मन मुस्काए फिर बोले मुझे सोना है जेठानी बोली सो जाओ फिर रात में बालक रूप कृष्ण भगवान बोले मुझे सोच जाना है जेठानी ने कहा पूरा घर पड़ा है कहीं भी कर लो और मेरे पल्लू से  साफ कर लो कृष्णा जी मुस्कुराए और यह सब करके अंतर्धान हो गए सुबह होते ही बदबू की वजह से उससे रहा नहीं जा रहा था तब उसने देवरानी को फिर डाटा कि तुमने मुझे क्या बताया देवरानी बोली मैंने कुछ नहीं किया मेरे पास तो कुछ था नहीं इसलिए मैंने बालू के लड्डू बनाए थे और खिलाए थे आपके पास तो बहुत पैसा था आप मेवा के लड्डू खिलाते तो शायद  वे खुश होते और मैं तो बहुत पहले से कार्तिक पूर्णिमा की पूजा करती आ रही हूं आपने इस वर्ष  शुरू किया है मन साफ रखिए श्रद्धा रखिए सबुरी रखती तभी ईश्वर प्रसन्न होंगे l

अर्पणा पांडे

Monday 6 June 2022

हल छठ की कथा

 एक जंगल में गाय और बछड़ा पानी पीने के लिए तालाब की खोज कर रहे थे तभी उसे वृक्षों के बीच में एक तालाब नजर आया ,गाय और बछड़ा अपने प्यास बुझाने के लिए वहां पर पहुंचे दूसरी तरफ एक शेर भी पानी पी रहा था. गाय और बछड़े की लार से मिला हुआ पानी जब शेर ने  पिया  तो तुरंत वह बछड़े को खाने के लिए दौड़ा उसने सोचा जब इसकी लार इतनी मीठी है तो इसका कलेजा कितना मीठा होगा ? गाय ने तुरंत बछड़े को अपने सीने से चिपका लिया और शेर से वह बोली अभी मेरे और बच्चे घर पर हैं वे भूखे भी हैं मैं उन्हें दूध पिला कर आती हूं ,तब मुझे खा लेना शेर   हंसा और बोला ऐसे कोई स्वयं आता है ? गाय ने बचन दिया और शेर से कहा अच्छा पास में ही मेरा घर है तुम भी चलो जब मेरे बच्चों का पेट भर जाएगा तब तुम मुझे खा लेना शेर उसकी बात को मान गया और गाय के पीछे पीछे उसके घर के पास तक गया गाय ने अपने सोते हुए बच्चों को उठाया और प्यार से उन्हें दूध पिलाया और बच्चों से कहा आज दूध तुम लोग जी भर कर पी लो क्योंकि आज मैं शेर के पास मरने के लिए जा रही हूं. तभी एक छोटा बछड़ा दौड़ता - दौड़ता शेर के पास गया और हंस कर बोला शेर मामा शेर मामा आपके मैं पैर छूता हूं पीछे से सभी बच्चे बोलने लगे मामा प्रणाम, मामा प्रणाम तब शेर को भी दया आ गई और बोला अरे भांजे अब मैं तुम्हारी मां को कैसे खा सकता हूं वह तो मेरी बहन हुई यह सुनकर सभी लोग खुश हुए यह दिन भादो की छठ का दिन था ,तभी से माताएं अपने पुत्रों की मंगल कामना के लिए यह व्रत रखती है गाय और बछड़े की विशेष पूजा करते हैं शेर ने भी बच्चों को माफ किया तो शेर की भी पूजा की जाती है  l 

अर्पणा पांडे