Wednesday, 20 October 2021

भारतीय गरीब औरत की सोच

  पुणे प्रवास के समय हमारे घर में कमल बाई काम करती थी शाम को वह थक हार कर जब घर जाती तो उसका पति शराब पीकर बहुत लडता था और इस से ₹10 मांग कर पाउच मंगाता था बहुत थक जाती थी और हम से आकर सुबह रो-रो कर बताती और कहती कि इतनी गुस्सा आती है की लगता है मर जाए  दो 4 घंटे का रोना ही तो होगा फिर थोड़ी ही देर में सोचती और कहत अरे भाई क्या बताऊं  गुस्से में कहतो देती हूं लेकिन समाज में यह भी लगता है की बिंदी टिकुली  और साड़ी तो पहन लेती हूं और सज धज कर  निकल तो सकती हूं। करवा चौथ तो मनाती हूं। यही सब सोचकर और बता कर मन को संतोष कर खुश हो लेती और मैं मन ही मन मुस्कुराती और सोचती यह कैसा पति प्रेम?  

अर्पणा पांडे

No comments:

Post a Comment