Sunday 12 May 2024

वोटिंग

 आज सुबह सुबह बोट डालकर अपना कर्तव्य निभाया 

Monday 29 April 2024

जिन्दगी

१ . 😀जिन्दगी पेनड्राइव नहीं कि जो मन हो बजा लो ।

जिन्दगी तो रेडियो जैसी है ' कब कौन सा गाना बज जाये पता ही न चले ।

२.🥰 एक घर था जहाँ अम्मा थी शाम होने पर जल्दी-      जल्दी भगाती थी कि अंधेरा ना हो जाये

      और अब कोई देखने कहने वाला ही नहीं उधर से        निकलती हूँ बस मुड़मुड़ कर देखती हूँ चाहे देर हो        जाये । क्योंकि अब गाड़ी में सवार होकर आती हूँ 

      लेकिन अब वो खुशी ही नहीं😭

3 .जिन्दगी में कुछ रास्ते सब्र के होते हैं 

   और कुछ सबक के ।

Friday 26 April 2024

बचपन की यादें


62 वर्ष बाद अब बचपनकी यादें सताने लगी है रुलाने लगी है वो अल्हड़पन एक बार क्यों नहीं लौट आता । चलो चलते हैं उस पल को जीने के लिये -कुछ प्रसंग तो हूबहू याद ही हैं ।मै जवाहर नगर 110/239 कानपुर में पली बढ़ी काफी पॉश इलाका माना जाता है जहाँ से स्कूल ऑफिस पार्कबाजार सिनेमाहाल सब पास ही पड़ता है पिताश्री शिवनन्दन लाल चतुर्वेदी 6 जीवित संतानों वो भी बहनों में मैं पांचवे नंवर पर थी बताते हैं कि शुरू में मेरे दो भाई भी हुये लेकिन वे एक या ड़ेडवर्ष के होकर नहीं रहे फिर हम पांच बहने २ वर्ष 3 वर्ष या 4 वर्ष के अन्तराल पर हुयी जिसमें मैं 9 वर्षतक सबसे छोटी रही छटी बहन मुझसे साल छोटी हुयी ये पूरी उम्मीद थी कि अबकी लड़का होगा गम थोड़ा मांको रहा होगा वो भी दूसरो के कहने से लेकिन मेरे बाबूजी के चेहरे पे दुःख नहीं दिखा वे प्रशन्न ही दिखे भले ही अन्दर से हो मेरे लिये तो छोरी बढन अपोली एक खिलौना सामान थी खूब खिलाती संभालती जब वह तीन वर्ष की हुयी तो मैही उसे स्कूल में दाखिला दिलाने ले गई थी बड़ जिज्जी ने अपने घर रामबाग के पासही एक स्कूल में बात कर ली थी । अंग्रेजी मीडियम स्कूल में नर्सरी क्लास बड़ा गर्व होता था क्योंकि हम लोग तो सरकारी स्कूल में सीधे क्लास २ में बैठाल दिये गये थे अपोली के लिये रिक्शा भी लगवाया गया था हमारी ये हसरते तो अधूरी ही रह गई थी ' मैं घर में छोटी होने के कारण घर के बाजार के छोटे-छोटे काम जैसे सब्जी लाना ' आटा पिसाना . पहले आटा पिसाने के लिये चक्की पर जाना होता था 3 और वहाँ से एक नौकर आता था जो कि घर से आटा पिसाने के लिये उठाने आता था फिर हम वापस तौलाने के लिये जाते थे 4 या 5 घंटे बाद फिर वापस ल तौलाकर पैसा देकर उसी नौकर के साथ आना होता था तीसरी मंजिल तक 25 किलो आटा लेकर वह चढ़ता था जिसकी मजदूरी अलग से ही जाती थी । इस तरह सब्जी खरीदने के बाद कुछ पैसे बचते थे तो वहीं रविवार शुक्रवार और बुद्धवार को फुटफाथ वाली वाजार में कपडे विकते थे कतरने वा एकमीटर दो मीटर सूती कपड़े मिल जाते थे वो मैं घरले आती अम्मा सिलाई करती तो उन्हे वेबहुत पसंद आते थे वे अपने शौक पूरे करती मैं भी इसी तरह सीख गई छोटी उम्र से ही मैं फ्राक बनियान नेकर आदि बनाने लगी । इस तरह बड़ा मजा आता अपने हाथ से बनाना फिर फहनना और दूसरों से तारीफ पाना इस तरह बड़ी होते होते सिद् हस्त हो गई तारीफ पाकर आत्मविश्वास जगा । इस तरह शादी के बाद हाउसवाइफ रहते हुये भी मैंने बच्चों के  स्वेटर कपड़े सबहाथ से बनाये और सासू म के ब्लाउज पेटीकोट पिताजी के नेकर वंडी इत्यादि बनाकर सबका मन जीत लिया वे मुझसे यही कहते बटया तुम खाना मत बनाओ तुम सिलाई करो मेरा ये सिल दो मेरा वो सिलदो इस तरह मै घर में सभी की चहेती बन गई ।

इसी तरह अम्मा की पूजा पाठ का सामान मैं लाती उससे  भी जाग्रत हुई हर त्योहार की कहानी से लेकर क्या क्या चढ़ना है अम्मा से सीखा होली पर तो और मजा उसके लिये एक माह पहले से  ही गोबर के उपले बनाये जाते फिर उनकी माला बनती सुखाये जाते ततपश्चात होली के दिन ढेर लगाकर ये देखते कि किसके घर की होलिका कितनी ऊंची है। सहेलियों के साथ गोबर उठाने जाते बाल्टी भारी हो जाने पर दो लोग पकड़ते घर आकर उस गोबर को आधा आधा बांटा जाता इस चक्कर में कभी-कभी भैसो के झुंड के पीछे जाने कितनी कितनी दूर चलते चले जाते घर कीडांट का होश आता और उसभारी बाल्टी को उठाकर जल्दी जल्दी घर के लिये भागते थे अंधेरा होने से पहले सभी बहनोको घर में रहने की हिदायत दी जाती थी बाबूजी कहते कुछ नहीं थे लेकिन ऑफिस से आकर हम सबको देखते जरूर थे इसलिये अम्माका कड़ा शासन चलता था वे जोर से डांटती मारती नहीं थी  आँख से ही डरा देती थी और हम सबकी क्या मजाल जो कुछ बोल जाये बस सीधे किताब कापी पेन लेकर बैठ जाते ।

सुबह उठकर स्कूल की तैय्यारी शामको आकर फिर वही शौक के काम शामको पढ़ाई यही दिनचर्या । हाँ उस समय मेरे बाबा भी थे मेरे बाबा मुझे बहुत चाहते थे चाहते तो बड़ी जिज्जी को भी थे लेकिन वो मैंने जाना देखा नहीं क्योंकि वे मुझसे 15 साल बड़ी थी मेरे होश में बाबा को मैंने एककमरे एक बैड या तखत पर ही देखा उन्हे पक्षाघात की बीमारी थी । तो बे मेरे से छोटे छोटे काम करवाते थे जैसे आइसक्रीम ला हो पानीला दो चाय दे दो विस्तर ठीक कर दो करवट लिटा दो इसके बदले वे मुझे पैसे देते थे तो मैं शौक से करती थी उनके आखिरी समय का वाकया जो है वो मुझे बहुत कष्ट दे गया जिसे मैं आज भी नहीं भूलती हूं। हुआ ये कि सन् 1972 में मैं 8 class में पढ़ती थी गर्मी की छुट्टी होने पर मै अपने नाना के घर चली जाती थी इस बार भी मैं मामा के साथ जा रही थी तो बाबा ने बहुत मना किया तुम न जाओ तुम्हे 10 रु० देंगे उस समय 10 रु0 काफी रकम थी लेकिन मैं अपनेको जाने से नहीं रोक पाई लड़कपन यही होता है जो उनकी कुछ भावनायें नही समझ पाये उन्होंने पता नही क्या सोचकर मना किया था 'कि मैं गई और 10-12 घंटे बाद ननिहाल खबर आ गई कि बटियाँ के बाबा खतम हो गये उस समय ट्रेने सुपर फास्ट नहीं चलती थी इटावा तक की दूरी में 7 से 8 घंटे लग जाते थे फिर वहाँ से 2 किमी . नाना के घर पहुंचते ही धीरे-धीरे कान में बाते हो रही थी क्योंकि मैं वापस चलने की जिद करती और नाना के यहाँ से तुरन्त मुझे लेकर जाना संभव नहीं था । आखिर मेरे हमउम्र मामा के लड़के ने हंसके कहा बटियाँ के तो बाबा खतम हो गये मैं सन्न रह गई और रो रोकर 12 दिन कैसे काटे नहीं भूलती तेरवीं पर नाना के साथ आई तो बहुत रोई और पछताई रात होते मैं अपने आप से पूछती हूँ कि बाबा तुम कैसे चले गये तो मुझे सच में बाबा दिखे और एक तेज पुंज के रूप में ओझल हो गये । मैं बस वही यादें लिये रह गई ।

इसी तरह करवा चौथ का त्योहार मेरे लिये अम्मा खास बनादेती वे दीवार पर चित्र उकेरती थी उसके लिये पहले दीवार पर गोबर से लीपना होता था फिर सूख जाने पर हरे ताजे पत्तों से घिसकर हरा करना होता था ततपश्चात चावल भिगोकर पीसकर माचिश की तीली से बारीक बारीक डिजाइन बनानी होती थी जिसमें अम्मा को महारत हासिल थी उनके इधर उधर होते ही हम भी बनाने लगते थे ' इसमें डाँट नही पड़ती थी बल्कि अम्मा ने धीरे-धीरे मुझे बनाना सिखा दिया था । अब तो मुझे भी अच्छा बनाना आ गया और हम आसपास जैसे बड़ी जिज्जी के घर मौसी के घर मामा के घर जब जाते तो वे लोग मुझसे पक्के पेंट से बन वाकर रख लेते थे ।

इस तरह बचपन में टीवी मोबाइल न होने से परिवार में ही ये हुनर आसानी से सीखलिये जाते थे वाकी तो इतने किस्से हैं कि अभी दोतीन चार पेज और लिख डाले लेकिन लंबा पढने वाला भी आजकल नहीं मिलेगा सॉट कट का जमाना है।

अर्पणा पाण्डेय

Thursday 25 April 2024

अद्भुत आभाष

 एक सैनिक को मरने के बाद का सम्मान देख अद्भुत ही लगता है ' बाबा हरभजन सिंह उनकी माँ 15 सितम्बर को सुबह से ही बेटे की तस्वीर लेकर बैठ जाती है और खुश होती है ।

सिक्किम से 50 - 60 कि.मी की दूरी पर नाथूला दर्श चीनी वार्डर पर स्थित है वाबा हरभजन सिंहजीका अद्भुत स्मारक है । वहाँ उनके कमरे व उनके सामान की उसी तरह देखरेख होती है जैसे जिन्दा व्यक्तिकी होती है। कहा जाता है कि वे आज भी आत्मारूप में हैं उनके भाई को उनके रहने का अहसास भी हुआ उन्हे रजाई उडाई और बोला मैं ही हूँ फिर जहाँ जानवर बांधे जाते हैं वहाँ भी वे दिखाई दिये । ऑनड्यूटी पर भी उनके मित्रो को दिखाई दिये और वे पूरी सजगता से अपनी ड्यूटी निभाते हैं और छुट्टी होने पर अपने गाँव भी जाते है जब वे अपने गाँव कपूरथला आते हैं तो माहौल खुशनुमा हो जाता है त्योहार के जैसा लगता है प्लेटफार्म भीड़ लगती है बावा के नारे लगाये जाते हैं गाँव में उन दिनो बड़ी सुख शांति रहती है और उधर उनकी ड्यूटी की जगह और सैनिकों की ड्यूटी लगती है और जब छुट्टी खत्म होती है तो उन्हे अके बक्से व पर्सनल सामान के साथ विदा किया जाता है । इनकी छुट्टी भर पूरा वार्डर हाई अलर्ट रहता है या रहना पड़ता क्योंकि उनका सजग मंत्री जो नहीं है। चीनी सेना भी भयभीत रहती है। 2006 तक ऐसा ही रहा फिर रिटायर्ड होने पर इनकी पूरी पेंसन अनके घर पर भेजी जाती है। इस तरह सिक्किम जाने पर नाथूला जाकर थे अद्भुत स्मारक देखना बड़ा अच्छा लगा ।

Tuesday 23 April 2024

मन की बात

 बहुत कुछ लिख लिखकर मिटाया है मैंने

ठीक न होने पर भी अपना हाल ठीक बताया है मैंने

बात बात पर अपने दिल को बहलाया है मैंने

अपनी सोच में ही खोकर न जाने कितनी रातो को जाग जागकर बिताया है मैने ।

कोई समझेगा नहीं ये हाल मेरा बस इसी फिक्र में सबसे सब छुपाया है मैने ।

मन बहुत सोचता है कि उदास न रहूँ ।

शहर के दूर के तनाव को तो सह भी  लें पर ये अपने ही रचे एकांत के दवाव को कैसे सहा जाये ।

यदि कुछ कहूँ भी कुछ तो सुननेको कोई पास न हो इसी पर जब जी मे उठे उसे कहा कैसे जाये .

Sunday 21 April 2024

अप्रैल २१


 आज हर्षित की बारात . शामको नरुला गेस्ट हाउस जाना है परसो जनेऊ था दोपहर में गये थे अच्छा लगा शाम को आ गये थे इस शादी में पुराने लोगों से मुलाकात अच्छी लगी आज तो और भी लोग मिलेंगे अटियाँ भी आई हैं

Sunday 14 April 2024

पिता

 पिता बच्चों के साथ तेज भाग सकता है पर बच्चे पिताके साथ धीरे नहीं चल सकते

पिता के पास अम्मा की तरह कपडे व वह बाजार नहीं 'न ही नमक मिर्च वाली बाते करते हैं

वे नजर भी नहीं उतारते पर हमे नजरो के सामने ही रहने देना चाहते 

सख्त है पिता पर अंदर से कोमल

उम्र बूढ़ा बना दे तो ठीक पर शरीर लाचार बना दे यह सालता है "

Monday 8 April 2024

अप्रैल 7

 अपोली इधर ही आ गई रात मै यहीं रुकी अभिनंदन नही आये बसर दिन के लिये हर्षित की वरीक्षा के लिये आई एक हफ्ते बाद शादी में फिर आयेगी . आज 8ता को जवाहर नगर छोड़ आये बाकी सब ठीक है 10 ता को कार्यक्रम है।


 अगर दिल टूट गया है तो ये सोचो कि किसी का जोड़ने के लिये किसी का तो तोड़ना पड़ता है जिसके नसीब का था उसको मिल गया होगा शायद

मुझसे कोई पूछे कि जिन्दगी जीने का क्या है सलीका तो मैं मुस्करा कर कह देती हूँ कि मैंने जिन्दगी से यही है सीखा ।

अगर बदन पर कपड़ा और सर पर है छत और है थाली में खाना तो मुस्कराना ही । जरूरत से ज्यादा हो तो मिलबांट कर खाना

मुस्कराते चेहरों के पीछे के दर्द को मुस्कराने वाले ही समझ सकते हैं इसलिये हर दर्द का मर्ज मुस्कराना । 🤣🤣😆❤️

ऐमेरे दिले नादान तूगम से न घबराना

फरियाद से क्या हासिल रोने से नतीजा क्या

बेकार की ये वाते . . . . .

Thursday 4 April 2024

अप्रैल 4

 दो दिन बीते है समय के चलते धीरे-धीरे सब ढीक तो होता ही है। सो हुआ लेकिन पशचातप धधकता है अभी जब तक इनकी अच्छाई हावी नही होगी तबतक इन्हे संभालना ही है ।

बहुत कुछ लिख लिख कर मिटाया है मैंने

ठीक न होने पर भी अपना हाल ठीक बताया है मैंने

बात बात पर अपने दिल को बहलाया है हमने -

अपनी सोच में खोकर नजाने कितनी रातो को जाग जागकर बिताया है मैने

कोई समझेगा नहीं ये हाल मेरा

बस इसी फिक्र मे सबसे सब छुपाया है मैंने ।

Tuesday 2 April 2024

Monday 1 April 2024

होली की धूम



 २० ता0 से ही त्योहार लगने लगा रेवा रावी अभी दूर दूर की ही दोस्ती हो रही रावी हम लोगों के साथ अकेले रहते हुये रेवा को पास नही आने देती रोने लगती ' धीरे-धीरे होली के दिन खूब होली खेली तबसे खेलने लगी रेवा भी समझाने पर समझ जाती है होली के बाद हम लोग अयोध्या गये कुछ वहाँ मिक्सप हुयी रात देर से हम लोग लौट पाये भीड़ ज्यादा होने से मेरी तबियत भी खराब हुयी कुछ आराम मिलने पर पैदल ही कार पार्किंग तक आ पाई तोषी रेवा सपना ये लोग दर्शन कर आये रात २ बजे तक आपाये आराम किया 28 को २को आराम किया २ 9 को दोपहर रज्जन के घर गये शामको आकर रेवा तोषी सपना ने अपनी तैय्यारी की और पार्क में फूलो की होली भी खेली रात 11 बजे ये लोग निकल गये रेवा थोड़ी दुःखी हो जाती हैं लेकिन समझदार बहुत है 30 से सामने प्रीति केघर में भागवत शुरू हो गई । आज 1 अप्रैल सामान्य

Wednesday 20 March 2024

मार्च 19 रेवा

 रेवा आ ज सुबह सुबह आ गई होली की एक हफ्ते की छुट्टी पर सुबह रावी ईषा और दीपक लेने गये आते ही उनका स्वागत हुआ वे अपना पहले से ही बता देती है कि दादी पानी मे कलर डाल कर और फूल डालकर रखियेगा अबकी तो एक और फरमाइश कि पानी गर्म हो तो पैर धोने में  ठंडा नहीं लगेगा और रंगोली बनाये उसमें लिखियेगा वेलकम टू रेवा सुनकर मजा भी आता है और बाल मन के ये शब्द बहुत खुशी देते हैं फिर  वैसा ही किया दिनभर इंजवाय किया शाम को ये लोग घूमने भी गये मोतीझील हमको पूनम के घर सुन्दर कांड में जाना था वहाँ भी अच्छा लगा ।

Monday 11 March 2024

मार्च 10




 रविवार आज योग सदस्य वसन्त उद्यान गये गायत्री पूजन चल रहा है। रावी ईषा दीपक इस्कान मंदिर ध्रुव टीला और परिहर गॉव गये जहाँ लव कुश और सीता जी रही थी ।

Wednesday 6 March 2024

18 फरवरी से 6 मार्च



 18 फरवरी  ईषा का वर्थ डे मनाया गया ' 2 5 फरवरी को गप्पू के घर गये डिनर पर बाकी सब सामान्य मार्च शुरू हो गया लेकिन अभी सर्दी है । बरसात हुयी ओले गिरे इससे सर्दी और बढ़ गई . रेवा का आने का टिकट हो गया बहुत खुश हैं। रावी भी अब खूब एक्सन रियेक्सन देने लगी हैं।

Thursday 22 February 2024

फरवरी २२

 18 फरवरी को हम सब  z स्क्वायर गये खाया पिया और खूब घूमें अच्छी अच्छी फोटो खिचवाई शाम ७ बजे तक आ गये फिर 730 पर केक काटा और जल्द ही थक कर सो गये खूब इंज्वाय किया

Tuesday 13 February 2024

एनिवर्सरी और रेवा का वर्थडे



 कल का दिन यादनार बन गया हम लोग खेरेश्वर धाम मंदिर घूमने गये लौटते में विठूर होते हुये खाते पीते 6 बजे शान घर आ गये तोषी ने केक आर्डर कर दिया था वो सुबह ही आ गया थ 7 बजे हम लोग केक काटे और शाम का खाना ऑर्डर कर दिये खैर २ घंटे आराम किया कुल मिलाकर दिन अच्छा गुजरा धन्यवाद ईश्वर का । रेवा ने दिल्ली में दोस्तो के साथ इंज्वाय किया ।

Sunday 11 February 2024

फरवरी ॥

 10  दाँत बन गये है ठीक भी हैं बस अभी फिक्स नहीं कराये  अभी कल से २ से 3 घ तक ही लगा पा रहे हैं । दर्द नसों में बना ही रहता है. बाकी सब ठीक है अभी अपोली ने अभिनंदन का एलबम दिखाया  खूब बढ़िय बना एक कटाउट भी बनाया विल्कुल चाणक्य जैसी सूरत लग रही मजा आ गया रेवा की भी साईकिल आ गई खुश बहुत हैं।कल वर्थडे की तैय्यारी

Wednesday 7 February 2024

 सब सामान्य । दांत की नसों में दर्द बना रहने से चुप रहना या चिड़चिढ़ाना हो जाता है सालभर हो गया कोई समझ ही नहीं पाया हम कभी होम्योपथी कभी कुछ कभी अपनी दवा जैसे मिट्टी का लेप या कपूर आदि या वर्फ की सिंकाई करते रहते हैं

Monday 5 February 2024

 सब सामान्य आज हल्की बूंदा वादी रही ठंड कम ही है वाशिंग मशीन की सर्विसिंग कराई और सब ठीक

Saturday 3 February 2024

3 फरवरी

 कल सीपू के आटो से हम दीपक ईषा व रावी सब लोग वर्रा डा० के पास गये दाँत का नाप दिया

वाकी सब ठीक ही आज से टहलना भी शुरू कर दिया . नीचे के मसूड़ो में बराबर छरछराहट बनी रहती है

Friday 2 February 2024

फरवरी 123


 अच्छा मौसम आया तो दाँत के डा० के पास जाना हुआ आज भी जाना है वाकी कुछ काम भी शुरू किया अभी तक तो बस रजाई कंबल और बोतल । बाकी रावी को देखना उनके संग खेलना और उनकी बोली में बोलना बाते करना व डांस  यही आनन्द है।

Sunday 28 January 2024

जवाहर नगर में हम

27 . 28 . और आज 29 हम भी जवाहर नगर में रुके कल अपोली देहरादून चलीं गई उसके बाद हम बाजार गये नीरू के घर व बनखंडेश्वर मंदिर गये कुल मिलाकर घर पर रुकना अच्छा लगा . आज दीपक के साथ हग तीनों ही वापस वसन्त विहार चले जायेंगे ।

Friday 26 January 2024

र६ जनवरी 75वाँ गणतंत्र दिवस



 आज खुशी का दिन मेरी एक बाल कविता आक्सफोर्ट युनिवर्सटी में कक्षा 4 में छ्प गई FB पर पोस्ट की है। इसके पहले महाराष्ट्र की बाल भारती पुस्तक में भी एक लेख छपा था मेरा लिखना पढ़ना सार्थक हुआ ।

दूसरा पार्क में योगा सिखाते 7 वर्ष . पूरे हुये वहाँ भी झंडा रोहड़ हुआ ।

Wednesday 24 January 2024

भूतकाल काल का वर्तमान काल से संम्बंध


 25 जनवरी पुराने एलबम से अभिनव की फोटो महन्त नृत्यगोपाल दास जी के साथ देख उनसे आर्शीवाद लेते हुये ।और आज भगवान राम की अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा में उनकी मुख्य भूमिका देख बरबस ही लिखने का मन हो गया । उनका आर्शीर्वाद हम सब पर भी है जो कठिन से कठिन समय को पार कराता गया और बेटे पर तो असीम कृपा -

संस्कारी होने के साथ वो तरक्की के रास्ते पर

Tuesday 23 January 2024

अयोध्या में राम की प्राण प्रतिष्ठा



 अयोध्या में राम मंदिर में राम जी विराज गये है. पूरी दुनियाँ मँ राम का भव्य स्वागत हुआ हमारा अवांछित सा उत्तर प्रदेश देश की शान बन गया दूर दूर से अतिथि जानी मानी हस्तियो का जमावडा हुआ धन्य हुयी अयोध्या नगरी । शाम को दीपावली मनाई गई जगह जगह खुशहाली दिख रही ।

Sunday 21 January 2024

अयोध्या में राम राम


 आज २ 1 जनवरी मौसम एक हफ्ते से बहुत ठंडा है इधर 3दिन अपोली अभिनंदन भी आकर रह गये बगल में बीनू गोपाल भी आये हुये हैं मौसम अच्छा ही है। मंदिर में आज रामायण शुरू हुयी कल राज्यभिषेक होगा ततपश्चात भंडारा . इस समय UP तो चमक रही और पूरी दुनिया राममय होकर हर्षोल्लषित है जय सियाराम ।

Saturday 13 January 2024


 आज 14 जनवरी है किन्तु सूर्य मकर राशि में प्रवेश कल करेगा 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी , दाल भिगो दी है शाम को दही बड़े बना देंगे 'कल खिचड़ी बनेगी ,खिचड़ी के हैं 😄चार यार दही पापड़ घी अचार । संयोग -की हम पांच बहनें खिचडी पर एकत्र हुये जवाहर नगर में छत पर धूप सेकते हुये ।

 बडी दी कृष्णा कोरोना की चपेट मे आ गई थी उनकी कमी खलती है।


 13 जनवरी सब सामान्य । सर्दी ज्यादा है। दीपक ईषा बाजार गये रावी हम लोग के साथ खुश रही सो गई ।

Thursday 11 January 2024


 ॥ जनवरी कल अनुराधा शुक्ला का जन्मदिन मनाया गया सभी सखिया आई और डांस कर खुश हुयीं फिर पावभाजी - का मजा लिया ' इस तरह महिलायें अगर अपने लिये खुश रहने का जरिया ढूंढ लेती है. तो वे घर के काम भी खुशी से करती हैं इससे उन्हें अधिक ऊर्जा मिलती है तो हमारे ये योगा ग्रुप के सदस्य अपना वर्थडे व एनवर्सरी में दावत देकर इस तरह का प्रोग्राम करती 

Tuesday 9 January 2024

जनवरी २०२4


 आज 10 जनवरी हो गई है नए साल में 9 दिन निकल गए कुछ किस्सेकुछ दर्दकुछ नयालिखने का मन हो रहा है । रावी और ईषा पटना सेआ गए हैं ।मेरे साथ खेल रहे हैं लिखने नहीं दे रही है । शनिवार कोपटना की ट्रेनरात 2:30 बजे आई । और शाम को रेवा व सपना और दोषी की ट्रेन दिल्ली के लिए रवाना एक हफ्ते ये लोग सर्दी की छुट्टी मना कर गए।बैठे-बैठेसोच रही थीकीकिसी की बातयाद आने लगेकि पहले घरछोटे होते थेएक कमरे में मां अपने बच्चों के साथ गुजार देती थी बच्चा बड़ा हुआ तो बहुत खुश हुआ खूब कमाया और बड़ा सा घर बनवाया उसमें मां के लिए एक अलग से कमरा बनवाया बहुत खुश हुआ । लेकिन उनके मन की तकलीफ को वह ना समझ पाया अम्मा खांसती तो उसे पता भी नहीं चलता वह अपने  में सोच रहा था ।कि मैंने अम्मा को बड़ा  घर देके उनको  खुश कर दिया है लेकिन यह बात बाद में समझ आई जब वह रात में मां की  आवाज को सुन ना सका और मां चल बसी । एक दीवार का फासला अलविदा कह गया इन सब बातों को सुनकर पढ़कर यही समझ आता है कि अपनी मां बाप को अपने पन का अहसास कराते रहें ताकि वे आप से अपने मन का कह सकें ।

अर्पणा पाण्डेय