मेरे लाल !
मेरे लाल जब तुम छोटे थे ,
और आते थे मेरे पास खिलौने लेकर
मै लौटा देती कि अभी समय नहीं है ,
जाओ .
और तुम उदास सा चेहरा लेकर लौट जाते।
नहीं जानती थी की बचपन चाहता था
मेरा साथ !
और आज समय कितना तेजी से भागता जा रहा है
तुम्हारा बचपन जवानी की ओर बढता जा रहा है
अब तुम्हारा दिल किसी और के लिए डोल रहा है
जैसे पंछी उड़ान के
लिए पर खोल रहा है
व्यस्त हो तुम अब .
और मेरा बुडापा चाहता है
अब तुम्हारा साथ ।
मेरे लाल जब तुम छोटे थे ,
और आते थे मेरे पास खिलौने लेकर
मै लौटा देती कि अभी समय नहीं है ,
जाओ .
और तुम उदास सा चेहरा लेकर लौट जाते।
नहीं जानती थी की बचपन चाहता था
मेरा साथ !
और आज समय कितना तेजी से भागता जा रहा है
तुम्हारा बचपन जवानी की ओर बढता जा रहा है
अब तुम्हारा दिल किसी और के लिए डोल रहा है
जैसे पंछी उड़ान के
लिए पर खोल रहा है
व्यस्त हो तुम अब .
और मेरा बुडापा चाहता है
अब तुम्हारा साथ ।
badalte chehre, badalti duniya, badalta samay... Kuch nai badlta hai to wo hai ma k satth ka anokha rishta... Dooriya nazdikiya to bani rahti hain... Bahut khoobsoorati se shabdo or bhavnao ko ek saath piroya hai apne.... Agali post ka intezaar :)
ReplyDeleteneha tumhara bachpan to mujse dur ho gaya tha ,lekin khuda ne tumhe ab sahi vqkt par bhej diya hai mere pas.
Deletetumhari kabhi-kabhi ki oupstithi se hi mujhe kafi sambal mila hai.