माँ से अंतिम मिलन .
जेठ की दोपहरी ,
सूरज अपनी
जवानी पर इतरा रहा था
और अम्मा उम्र के अंतिम पड़ाव में
अपनों के बीच होते हुए भी असहाए सा
महसूस कर रही थी .
कूलर की शीतलता भी तन को आराम नहीं दे रही थी
सहज ही वे,
भाव - भक्ति को भूल
शूल को झेल रही थी .
पीड़ा व्यक्त ना हो जाये
इस भय से ,
मुख पर फीका हास लिए
वह मुझसे बोली -
बेटा
खाना खा लो
दोनों ने साथ में खाना खाया, फिर आराम किया.
वह भी सोई, मै भी सोई
लेकिन वह सोई !
चिर निद्रा में
जेठ की दोपहरी ,
सूरज अपनी
जवानी पर इतरा रहा था
और अम्मा उम्र के अंतिम पड़ाव में
अपनों के बीच होते हुए भी असहाए सा
महसूस कर रही थी .
कूलर की शीतलता भी तन को आराम नहीं दे रही थी
सहज ही वे,
भाव - भक्ति को भूल
शूल को झेल रही थी .
पीड़ा व्यक्त ना हो जाये
इस भय से ,
मुख पर फीका हास लिए
वह मुझसे बोली -
बेटा
खाना खा लो
दोनों ने साथ में खाना खाया, फिर आराम किया.
वह भी सोई, मै भी सोई
लेकिन वह सोई !
चिर निद्रा में
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