Wednesday 5 December 2012

  भोर का सूरज

उग आया  है
रोज की तरह !

और सोचती हूँ की ,
आत्मविश्वास से भर कर

कुछ नया करने की शुरुआत करूँ ,

मन के कोने में बैठे अंधकार को निकाल दूँ .
जो कुछ भी नया नहीं देखने देता , 

इसे भगाना ही होगा . नई उर्जा भरकर
नकारात्मक सोच को दूर कर सकारात्मक-

सोच से भविष्य का दर्पण साफ करना होगा
तभी हम अपनी सही अक्ल और शक्ल देख पाएंगे  

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