Tuesday 11 December 2012

aaj ki sham .

आज उम्र के 50वें पड़ाव पर आके ,व्यस्त जिन्दजी से दूर ,पुणे के इस घर में, जो की चारों ओर से हरियाली से घिरा हुआ है ,और पहाड़ियों की ऊंची -नीची चोटियों के बीच बसा है ,शाम के समय जब हल्की बूंदा-बांदी हो रही है  ,ह्रदय को अनायास ही सम्मोहित किये दे रही है ।अपनी कमरे की  खिड़की के पास बैठी  कुदरत के इस अदभुत नजारे को देख रहीं हूँ ,मन  खुले में जाने के लिए मचल उठा  है ,रोज की तरह नीचे आकर बैंच पर बैठ गई ,और हवा के साथ उडती जल की नन्हीं-नन्हीं बूंदों से तन और मन शीतल हो गया है ।
                                        अपर्णा ..................

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