आज मैं भौचक्की रह गई हूँ .
रिश्ते जो अच्छा समय रहते आस-पास ही नजर आते थे ,विपरीत परिस्थित में वे ही नज़र चुराते नजर आते हैं ।और जो रिश्ता हमारे लिए कभी बोझ से ज्यादा कुछ नहीं रहा ,आज उसी रिश्ते ने हमारे आंसुओं को अपनी हथेलियों पर ले लिया है। मेरा मन आत्मग्लानि से भर गया है ।
अपर्णा .
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