Sunday 30 December 2012


दामिनी .

जिन्दगी की जंग ख़त्म हुई -
अब आप मुझे कैसे कर सकते हैं बाहर , अपनी दुनियां से !
अब रहूंगी मैं आपके दिल में   ,

 माँ में ,  बेटी में बहन में,
  
 अब नहीं फेंक सकते अपने दिल  के बाहर ,
 और सुनेगे मेरा दर्द  अपनी सासों के साथ ।

यही मेरी सच्ची श्रधान्जली होगी
        _____________


यह साल समाप्ति की ओर अग्रसर है ,
नए  साल की हार्दिक शुभ-कामनाएं 
स्वीकार करें।

 अपर्णा ............................

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