दामिनी .
जिन्दगी की जंग ख़त्म हुई -
अब आप मुझे कैसे कर सकते हैं बाहर , अपनी दुनियां से !
अब रहूंगी मैं आपके दिल में ,
माँ में , बेटी में बहन में,
अब नहीं फेंक सकते अपने दिल के बाहर ,
और सुनेगे मेरा दर्द अपनी सासों के साथ ।
यही मेरी सच्ची श्रधान्जली होगी
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यह साल समाप्ति की ओर अग्रसर है ,
नए साल की हार्दिक शुभ-कामनाएं
स्वीकार करें।
अपर्णा ............................
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