Thursday, 4 April 2024

अप्रैल 4

 दो दिन बीते है समय के चलते धीरे-धीरे सब ढीक तो होता ही है। सो हुआ लेकिन पशचातप धधकता है अभी जब तक इनकी अच्छाई हावी नही होगी तबतक इन्हे संभालना ही है ।

बहुत कुछ लिख लिख कर मिटाया है मैंने

ठीक न होने पर भी अपना हाल ठीक बताया है मैंने

बात बात पर अपने दिल को बहलाया है हमने -

अपनी सोच में खोकर नजाने कितनी रातो को जाग जागकर बिताया है मैने

कोई समझेगा नहीं ये हाल मेरा

बस इसी फिक्र मे सबसे सब छुपाया है मैंने ।

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