दो दिन बीते है समय के चलते धीरे-धीरे सब ढीक तो होता ही है। सो हुआ लेकिन पशचातप धधकता है अभी जब तक इनकी अच्छाई हावी नही होगी तबतक इन्हे संभालना ही है ।
बहुत कुछ लिख लिख कर मिटाया है मैंने
ठीक न होने पर भी अपना हाल ठीक बताया है मैंने
बात बात पर अपने दिल को बहलाया है हमने -
अपनी सोच में खोकर नजाने कितनी रातो को जाग जागकर बिताया है मैने
कोई समझेगा नहीं ये हाल मेरा
बस इसी फिक्र मे सबसे सब छुपाया है मैंने ।
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