Thursday, 25 April 2024

अद्भुत आभाष

 एक सैनिक को मरने के बाद का सम्मान देख अद्भुत ही लगता है ' बाबा हरभजन सिंह उनकी माँ 15 सितम्बर को सुबह से ही बेटे की तस्वीर लेकर बैठ जाती है और खुश होती है ।

सिक्किम से 50 - 60 कि.मी की दूरी पर नाथूला दर्श चीनी वार्डर पर स्थित है वाबा हरभजन सिंहजीका अद्भुत स्मारक है । वहाँ उनके कमरे व उनके सामान की उसी तरह देखरेख होती है जैसे जिन्दा व्यक्तिकी होती है। कहा जाता है कि वे आज भी आत्मारूप में हैं उनके भाई को उनके रहने का अहसास भी हुआ उन्हे रजाई उडाई और बोला मैं ही हूँ फिर जहाँ जानवर बांधे जाते हैं वहाँ भी वे दिखाई दिये । ऑनड्यूटी पर भी उनके मित्रो को दिखाई दिये और वे पूरी सजगता से अपनी ड्यूटी निभाते हैं और छुट्टी होने पर अपने गाँव भी जाते है जब वे अपने गाँव कपूरथला आते हैं तो माहौल खुशनुमा हो जाता है त्योहार के जैसा लगता है प्लेटफार्म भीड़ लगती है बावा के नारे लगाये जाते हैं गाँव में उन दिनो बड़ी सुख शांति रहती है और उधर उनकी ड्यूटी की जगह और सैनिकों की ड्यूटी लगती है और जब छुट्टी खत्म होती है तो उन्हे अके बक्से व पर्सनल सामान के साथ विदा किया जाता है । इनकी छुट्टी भर पूरा वार्डर हाई अलर्ट रहता है या रहना पड़ता क्योंकि उनका सजग मंत्री जो नहीं है। चीनी सेना भी भयभीत रहती है। 2006 तक ऐसा ही रहा फिर रिटायर्ड होने पर इनकी पूरी पेंसन अनके घर पर भेजी जाती है। इस तरह सिक्किम जाने पर नाथूला जाकर थे अद्भुत स्मारक देखना बड़ा अच्छा लगा ।

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