Tuesday, 23 April 2024

मन की बात

 बहुत कुछ लिख लिखकर मिटाया है मैंने

ठीक न होने पर भी अपना हाल ठीक बताया है मैंने

बात बात पर अपने दिल को बहलाया है मैंने

अपनी सोच में ही खोकर न जाने कितनी रातो को जाग जागकर बिताया है मैने ।

कोई समझेगा नहीं ये हाल मेरा बस इसी फिक्र में सबसे सब छुपाया है मैने ।

मन बहुत सोचता है कि उदास न रहूँ ।

शहर के दूर के तनाव को तो सह भी  लें पर ये अपने ही रचे एकांत के दवाव को कैसे सहा जाये ।

यदि कुछ कहूँ भी कुछ तो सुननेको कोई पास न हो इसी पर जब जी मे उठे उसे कहा कैसे जाये .

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