Tuesday, 15 December 2020

 भक्त की परिभाषा......

काशी में थोड़ी दूर रामनगर में एक साधु रहता था उसे विश्वास था कि वह जो कुछ भी करेगा ईश्वर उसे अपना भक्त समझ कर माफ कर देंगे एक दिन प्रातः गंगा में स्नान करने गया और एक धोबी के कपड़े धोने वाले पत्थर पर वह बैठ कर पूजा करने लगा थोड़ी देर में धोबी कपड़े धोने के लिए आया तो साधु को पूजा करते हुए देखा वह उसके उठने की प्रतीक्षा करने लगा लेकिन बहुत देर हो गई तब वह पास जाकर बोला कि महाराज आप हमारे पत्थर से उठकर दूसरी जगह पूजा करें ताकि हम अपना कपड़ा धो सके मुझे देर हो रही है साधु ने धोबी की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया धोबी ने फिर अनुरोध किया लेकिन साधु उठने को बजाएं गुस्से में बोला मैं नहीं उठता तू कहीं और जाकर कपड़ा धो ले धोबी ने कहा मैं कहां जाऊंगा आप कहें तो मैं पूजा के लिए आसान बना दूं .लेकिन साधु ने धोबी की बात को अनसुना कर दिया लाचार धोबी ने साधु का हाथ पकड़कर पत्थर से उठा दिया साधु को गुस्सा आ गया उसने क्रोध में कहा तुम नहीं जानते मैं भगवान का भक्त हूं और उसने धोबी को एक पत्थर उठाकर मार दिया चोट लगने पर धोबी को भी गुस्सा आया उसने साधु को पटक दिया! इस तरह दोनों लड़ने लगे तभी साधु को भगवान की याद आई और बोला "प्रभु मैं इतनी श्रद्धा से आप की आराधना करता हूं फिर भी आप मेरी मदद करने को नहीं आ रहे हैं तभी साधु के कान में आवाज आई तुम्हारी बात तो ठीक है. हम तो अपने भक्तों की मदद के लिए हमेशा उनके साथ रहते हैं. लेकिन इस समय हम यह नहीं समझ पा रहे हैं .कि तुम दोनों में मेरा भक्त कौन है? क्योंकि मेरा भक्त कभी क्रोध नहीं करता यह सुनते ही साधु का अभिमान चकनाचूर हो गया और वह धोबी से क्षमा याचना करते हुए वहां से चला गयाl
( सुनी सुनाई कथा)
अर्पणा पांडे 9455225325

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