एक लड़की तुलसी की पूजा रोज किया करते थे। यह सब वह अपने सहेली को करते हुए देख आई थी अभी से उसके मन में तुलसा के पूजा वह कार्तिक स्नान की धुन लग गई थी जबकि उसकी मां बिल्कुल नहीं करती थी और अपनी पुत्री को दिनभर चिल्लाती की पढ़ती नहीं है ना कोई काम करती है बस यह निर्जीव से पत्तों की पूजा किया करती है इस बात से लड़की को गुस्सा नहीं आता था वह कार्तिक मास में प्रातः काल जब तक आकाश में तारे रहते तब तक स्नान कर लेती थी और तुलसा जी पर जल चढ़ाते विधिवत पूजा करते रोज एक दीपक जलाते उसके पश्चात थी वह पानी पीती और भोजन करती थी इस तरह वह इतनी बड़ी हो गई कि वह भी विवाह के योग्य हो गई उसके माता पिता उसके लिए बर ढूंढ रहे थे और गुस्से में उसके लिए एक गरीब घर का लड़का देखकर उसका विवाह उससे कर दिया और बेटी से कहा अब करो जाकर तुलसी की पूजा और अपना भाग्य बनाओ हम भी देखते हैं दहेज के नाम पर उसके साथ तुलसी के पौधे जो सूख गए थे वह भी उन्होंने बेटी की विदा में दे दिए लड़की कुछ नहीं बोली प्रसन्न चित्र अपने पति के साथ घर पर आ गई सर्वप्रथम उसने घर की सफाई की आंगन के बीचो बीच तुलसी के पौधे को रोप दिया आसपास सूखे तुलसी के पौधों को भी लगा दिया दिन प्रतिदिन वह उनकी सेवा करती रही धीरे धीरे तुलसी हरियाने लगी चमत्कार की बात कि वह सूखे हुए पौधे भी हरे भरे होने लगे यह सब देख कर उसकी सास बहुत खुश होती और बहू के साथ काम भी करवा लेती कार्तिक मास आने पर सास बहू मिलकर पूजा करती प्रातः काल गंगा स्नान जाते और वापस आकर अपने तुलसी की पूजा करते हैं इस तरह परिवार में तीनो लोग खुश रहते तब धीरे-धीरे उनके घर में संपत्ति भी आने लगी। उधर मां के घर में दरिद्रता का वास होने लगा मां-बाप दोनों बीमार भी रहने लगे 1 दिन परेशान होकर वह बेटी के घर आए और वहां का हाल देखा तो स्वयं लज्जित हुए बोलेबेटा सच में तुमने अपने भाग्य से भगवान की पूजा से अपने घर को स्वर्ग बना दिया है उधर तुम्हारे आ जाने के बाद विपत्ति ही विपत्ति आ रही हैं तब बेटी ने समझाया मां तुलसा देवी की पूजा आप लोग अवश्य किया करिए तुलसा देवी विष्णु भगवान की प्रिया है और उनकी प्रिया जहां रहेंगी वहां संपन्नता ही होगी । इस तरह कार्तिक मास में सभी को यह कथा कह कर पूजा करनी चाहिए।
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