एक देवरानी जेठानी थे ,जिसमें देवरानी बहुत गरीब थे और जेठान अमीर थे देवरानी गरीब होने के कारण अपनी जेठानी के घर का सारा काम करने जाती थी बदले में उसे कुछ पैसे मिलते थे जिससे वह घर का खर्च चलाती थी पूजा पाठ में देवरानी का मन ज्यादा लगता था वह कार्तिक का महीना आते ही प्रातः काल उठते अपने घर का सारा काम करके नहा धोकर तुलसी की पूजा करने के बाद अपनी जेठानी के घर काम करने जाती थी सुबह शाम पूजा करने के साथ ही एक दीपक तुलसी पर भी रखती थी यदि किसी दिन छूट जाता तो वह दूसरे दिन एक दीपक और रखती इस तरह पूरा कार्तिक का महीना भर पूजा पाठ करके प्रसन्न रहती एकादशी वाले दिन श्री कृष्ण भगवान के साथ तुलसा का विवाह धूमधाम से करती तुलसा जी पर जल चढ़ाकर सोलह सिंगार से उनकी पूजा करना उसका हमेशा का कार्य था तत्पश्चात 8 दिन के बाद पूर्णिमा वाले दिन तेल के दीपक जलाकर पूजा करती भोग लगाते और विदा करती थी इस काम में देर हो जाने के कारण जेठानी से उसे डांट मिलती देवरानी बेचारी क्या करती चुपचाप सुनती अपने इष्ट देव में मगन रहती इस तपस्या से श्री कृष्ण भगवान बहुत खुश हुए और बालक के रूप में देव रानी के घर आए और बोले माता कुछ खाने को दे दो वह सोच में पड़ गई मैंने तो कुछ सामान ना होने से यह बालू के लड्डू बनाए हैं और वही चढ़ाए हैं किंतु संकोच करते हुए उस बालक को वही लड्डू प्यार से खिला दिए शाम का वक्त हो गया था अब बालक को नींद भी आ गई अचानक रात में बालक ने कहा की माता जी अब मुझे सोच के लिए जाना है वह बोली बेटा यहां आंगन पड़ा है चाहे जहां कर लो मैं साफ कर दूंगी उस बालक ने उस घर में सोच भी कर ली फिर बोला मुझे साफ करना है तब देवरानी बोली मेरे पल्लू से साफ कर लो सुबह जब वह उठी तो देखा वह बालक वहां नहीं है और घर में सोना ही सोना भरा है उठाते रखते उसे देर हो गई इतने में जेठानी दौड़ी दौड़ी आई और देवरानी को डांट लगाई बोली आज तुम क्यों नहीं आई तब रानी ने अपने पूरी कहानी बताइजेठानी को बड़ा आश्चर्य हुआ अगले वर्ष जेठानी ने भी वही काम किया उसके पास पैसा होते हुए भी उसने बालू के ही लड्डू बनाए और पूरी नकल देवरानी की तरह की बालक के भेष में श्री कृष्ण भगवान आए और कहा माता मुझे भूख लगी है कुछ खाने को दो तो जेठानी ने बालू के लड्डू ही दे दिए भगवान मन ही मन मुस्काए फिर बोले मुझे सोना है जेठानी बोली सो जाओ फिर रात में बालक रूप कृष्ण भगवान बोले मुझे सोच जाना है जेठानी ने कहा पूरा घर पड़ा है कहीं भी कर लो और मेरे पल्लू से साफ कर लो कृष्णा जी मुस्कुराए और यह सब करके अंतर्धान हो गए सुबह होते ही बदबू की वजह से उससे रहा नहीं जा रहा था तब उसने देवरानी को फिर डाटा कि तुमने मुझे क्या बताया देवरानी बोली मैंने कुछ नहीं किया मेरे पास तो कुछ था नहीं इसलिए मैंने बालू के लड्डू बनाए थे और खिलाए थे आपके पास तो बहुत पैसा था आप मेवा के लड्डू खिलाते तो शायद वे खुश होते और मैं तो बहुत पहले से कार्तिक पूर्णिमा की पूजा करती आ रही हूं आपने इस वर्ष शुरू किया है मन साफ रखिए श्रद्धा रखिए सबुरी रखती तभी ईश्वर प्रसन्न होंगे l
अर्पणा पांडे
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