Saturday, 18 June 2022

गणेश जी की कथा

 गणेश भगवान एक दिन बालक का रूप रखें इधर उधर घूम रहे थे मिट्टी की एक कटोरी हाथ में लिए उसमें जरा सा  दूध था और 4 दाने चावल अबकिसी को भी देखते तो  कहने लगते मेरे लिए खीर बना दो लोग बाग देखते और हंस देते और आगे बढ़ जाते इतने से दूध में खीर कैसे बनेगी लगभग सभी ने मना कर दिया 4 दाने चावल और जरा सा दूध कोई भी गणेश जी के लिए खीर बनाने के लिए तैयार नहीं हुआ तभी एक बूढ़ी औरत आई और बालक को उदास देख कर बोली अरे बेटा क्यों तुम उदास हो बालक ने अपने मन की बात उस बूढ़ी औरत को  बताइ तब  बुढ़िया ने कहा अरे लाओ बेटा मैं तुम्हारे लिए खीर बनाती हूं और उसने कुछ लकड़ियों को एकत्र किया  और  आग जलाई छोटी सी बटोही में चार दाने  चावल के भी उस में डाल दिया लेकिन अचानक से उसने देखा कि वह बटोही तो दूध और चावल से लबालब भर गई है अब उसने दूसरे बर्तन में पलट लिया फिर भी बटोही खाली नहीं हुई इस तरह खीर बनती चली जा रही थी यह सब गणेश जी की कृपा थी और वे परीक्षा ले रहे थे कि मेरा काम कौन करेगा इस तरह वह बूढ़ी औरत गणेश जी की इस परीक्षा में सफल हुई थी उसने गांव भर को दावत में खीर खिलाई इस तरह गणेश जी को उस बूढ़ी औरत ने प्रसन्न कर लिया  था। अब रोज गणेश जी का भोग लगाने लगे और पूरे गांव में उसकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी इस तरह गांव में खुशहाली खुशहाली रहने लगे बोलो गणेश भगवान की जय

अर्पणा पांडे

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