Tuesday, 20 September 2022

सोहर,जच्चा - बच्चा गीत I .


 साहूकारों के लल्ला हुआ,हुआ मन रजना

ननद - भभज दोनों बैठी,और कर रही दिल की बात

हुआ मन रजना  ।

ननद _   भाभी जो  त्यारे होहिये हुरेलवा, हम लियें गले का हार - और गल तिलरी 

भाभी _   ननद जो मेरे हुहियें हुरेलवा, हम दीहें गले का हार और गलतिलरी 

             भोर भयो,पीरी फाटी । लाल ने लिये अवतार ,हुआ मन रजना

             रोये सुनाये हुआ मन रजना ।

भाभी -    सखी धीरे बजाओं बधाईयाँ, ननदी सुन न ले ।

              हुआ मन रजना। 

            सुनते कहते ही आये गह ननदी,

            भाभी बदन बदी सो देओ, हुआ मन रजना

            भाभी सुनते ही करवट ले गई, हम से करो ना बकवास 

            हुआ मन रजना।

न नदी - गोदी हुरेलवा लै लियो, और गई ससुरे की गैल,

           हुआ मन रजना। 

भाभी ÷ अटरिया चढ. गई और संइया से लगी बतलान,

            ननद हुरेलवा ले गई हुआ मन रजना। 

            हलकी गढ़ायो लायो तिलरी। 

            और हल्का गले का हार, 

            हुआ मन रजना।

            लौटो लौटो ननद मेरी लौटो

            लौटो लौटो बहन मेरी लौटो, 

            जो बदन बदी सो लेओ,हुआ मन रजना। 


शब्द -                    अर्थ

हुरेलवा -               बच्चा

गल तिलरी -           गले का गहना

पीरी फाटी -           दर्द उठना

मन रजना -            खुश होना


0अर्पणा पाण्डे

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