सोंठ के लडुआ चरपरे हैं
बहुत सो इनमें घी परों है।
सासू आवे चरूआ,चढ़ावे ं,
वेऊ मांगें लडुआ . . .
सोंठ के लडुआ़ चर परें हैं।
आधो फोड़ कलाई मेरी दुःख़े,
सजों दियो नहीं जाये।
गरी के गोला नौ पड़े हैं
बहुत सो इनमें घी पड़ो है।
सोंठ के लडुआ़ चरपरे हैं।
शब्द _ अर्थ
सोंठ_ सूखी अदरख
चरुआ - रीति - रिवाज
सजो_ पूरा
चरपरेे _ तीखे,चटपटे
0 अर्पणा पाण्डेय
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