एक ब्राह्मण औरत के 7 लड़के थे ,और उसकी देवरानी के एक लड़का। देवरानी गरीब लेकिन महालक्ष्मी का व्रत पूजा बहुत करती थी महालक्ष्मी की पूजा पूरे 16 दिन भादो की अष्टमी से शुरू होकर कुंवार की अष्टमी तक की जाती है इसमें 16दूर्वा 16 चावल 16 सूत का धागा उसमें 16 गांठ लगाकर देवी का पूजन किया जाता है । महालक्ष्मी हाथी पर सवार हैं ऐसे मूर्ति प्रतिमा बनाकर स्थापित की जाती है तत्पश्चात 16 दीपक जलाए जाते हैं मीठे पुए 16 16 चढ़ाए जाते हैं पेड़े का भी भोग लगाया जा सकता है अंत में कथा कहकर प्रसाद स्वयं लेकर घर परिवार पास पड़ोस सब को भी बांटा जाता है । जेठानी के तो 7 लड़के से वह थोड़ी-थोड़ी मिट्टी भी लाएंगे तो उनका हाथी 1 दिन में तैयार हो जाएगा किंतु देवरानी यह सोचकर हैरान परेशान थी कि उसका एक ही बेटा है वह कैसे मिट्टी लाएगा तो वह कुछ दिन पहले से ही कहने लगी बेटा थोड़ी थोड़ी मिट्टी ले आओ तो मैं हाथी बना लूं लेकिन बेटा कह देता की तुम चिंता ना करो मैं जिस दिन तुम्हारी पूजा होगी उस दिन हाथी भी ले आऊंगा ऐसा कह कर वह बात को टाल देता मां दिन पर दिन परेशान ही रहती और अपनी जेठानी के घर देखती कि उनके लड़के थोड़ी-थोड़ी मिट्टी ला रहे हैं 16 दिन बीत जाने पर जेठानी के बच्चों ने मिट्टी को गीला कर के मुलायम कर लिया और हाथी तैयार कर दिया उस पर लक्ष्मी जी की मूर्ति भी स्थापित कर दी तत्पश्चात प्रसाद बनाया और पूजा करने बैठ गई इधर देवरानी हैरान-परेशान से इधर उधर देख रही थी दुखी मन से उसने मंडप सजाया और महालक्ष्मी को याद किया महालक्ष्मी का मंत्र जपने लगी।
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं सुरेश्वरी
हरि प्रिय नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे
इस तरह उसने बराबर जाप करना जारी रखा उसकी सच्ची भक्ति से मां लक्ष्मी जी प्रसन्न हुई और उसके पुत्र का मार्गदर्शन किया उसे वह महावत के पास ले गई लड़का सुबह से ही चिंतित था कि मेरी मां भूखी प्यासी होगी उसे मैं रोज आसरा देता रहा कि साक्षात हाथी लाऊंगा अब उसने महावत को राजी कर लिया महावत ने खुशी खुशी हाथी को सजाकर कपड़े पहनाकर कंठी माला मस्तक पर तिलक सजाकर उसकेसाथ भेज दिया जब लड़का मां के सामने पहुंचा तो मां बहुत आश्चर्य से देखती रह गई और जल्दी से उसने द्वार पर ही हाथी की पूजा अर्चना की महावत ने अपनी कन्या को भी लक्ष्मी के रूप में सजा कर भेजा था ब्राह्मणी ने खूब धूमधाम से लक्ष्मी जी की पूजा की 16 दीपक जलाए इस तरह घर जगमगाने लगा जेठानी का अहंकार टूटा के उसके तो 7लड़के हैं इधर देवरानी के घर हाथी और उस पर बैठी लक्ष्मी विराजमान तो दूर दर से लोग आने लगे और बेटे को भी आशीर्वाद दिया और कहानी इस प्रकार कहीं ,
आ मोती दामोती 16 पाठ नगर में राजा
रानी कहे कहानी तुमसे खाते तुमसे पीती 16 दुब के पोड़ा 16 चावल 16 सू त की एक कहानी महालक्ष्मी रानी ।
इस तरह जेठानी देखती रह गई देवरानी के घर साक्षात लक्ष्मी जी और हाथी देखकर उसका अहंकार चूर चूर हो गया सच्ची निष्ठा और भक्ति से देवरानी को साक्षात लक्ष्मी जी के दर्शन हुए बोलो महालक्ष्मी रानी की जय अर्पणा पांडे
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