ऋषि अत्रीय के आश्रम में एक बार ब्रह्मा विष्णु और महेश भगवान विष्णु के रूप में आए उस समय उनकी पत्नी अनुसूया घर में अकेली थी वह बड़े पतिव्रता नारी थी इन तीनों भगवान ने उसके पति व्रत के परीक्षा लेने के कारण भेष बनाकर साधु के भेष में आए और बोले मां भिक्षम देही जब अनुसूया उन्हें भिक्षा देने के लिए आए तो वे तीनों बोले नहीं मैं ऐसे दीक्षा नहीं लूंगा तुम वस्त्र हीन होकर हम लोगों को दीक्षा दो तब अनुसूया ने ने उन्हें बड़े ही आदर पूर्वक आसन देकर बैठाला और कमंडल से जल लेकर उन तीनों साधु के भेष में भगवान पर अभिमंत्रित करके डाल दिया थोड़ी ही देर में वे तीनों साधु बालक के रूप में हो गए तीन-तीन माह के पुत्र बनाकर उन्हें भरपेट दूध पिलाया और खिलाया । उधर लक्ष्मी जी सरस्वती और ब्रह्मा पत्नी जब अपने पति को खोजते खोजते अनुसूया के पास आए तो वे अपने पति को बालक रूप में पहचान गई और अनुसूया से विनती करने लगे कि मेरे पति को पूर्व रूप में ही करके मुझे वापस कर दें मैं उनकी गलती के लिए क्षमा मांगती हूं तब अनुसूया ने कमंडल से जल छोड़ा और उन तीनों को श्री ब्रह्मा विष्णु महेश उसी रूप में वापस कर दिया , तभी से इन तीनों एका कार रूप ब्रह्मा विष्णु महेश ने अनुसूया के पति व्रत रूप से प्रसन्न होकर दत्तात्रेय रूप में दर्शन दिए और कृतार्थ हुए .
अर्पणा पांडे
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