किसानो की विपदा ---------
टूटी हुई झोपडी में वे जीवन दुखी बिताते हैं .
जितने रोग यहाँ पर आते इनके सर सब जाते हैं ।
नित नई -नई विपदायें ,ये किसको हाय सुनाये .
बारह मास हाथ जिनके हित ,
घोर परिश्रम करते हैं ।
और लगे पीठ से वही पेट है ,
जी भर कभी ना भरते हैं
टूटी हुई झोपडी में वे ,
जीवन दुखी बिताते हैं । ।
अर्पणा पाण्डेय
० ९४५५२२५३२५
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