Tuesday, 12 November 2013


 किसानो की विपदा ---------


टूटी हुई झोपडी में वे जीवन दुखी बिताते हैं .
 जितने रोग यहाँ पर आते इनके सर सब जाते हैं ।

नित नई -नई विपदायें ,ये किसको हाय सुनाये .
 बारह मास हाथ जिनके हित ,
 घोर परिश्रम करते हैं ।

 और लगे पीठ से वही  पेट है ,
 जी भर कभी ना भरते हैं
 टूटी हुई झोपडी में वे ,
 जीवन दुखी बिताते हैं । ।

 अर्पणा पाण्डेय
  ० ९४५५२२५३२५ 

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