नैमिषारण्य में सूद जी कथा सुना रहे हैं जिसमें 88 हजार ऋषि मुनियों के साथ सनक सनन्दन सहित चारों सnkadik कुमार भी हैं, यहाँ ग्यानी चिंतन करते हैं, कर्मयोगी कर्म करते हैं. भूमंडल के जिस स्थान पर भगवान ने चक्र फेंका और उसका तीर जहां पहुँचा, वही नैमिषारण्य तीर्थ है इस तपोभूमि में स्वयंbhu मनु ने एक पैर पर खड़े होकर (ओम नमो bhgvte वासुदेव) इस द्वादश अक्षर का जाप किया तब भगवान श्रीकृष्ण ने दर्शन दिया l
तब सभी भक्तों ने गान किया..गोविंद हरे गोपाल हरे जय जय प्रभु दीन दयाल हरे
तब मनु ने भगवान से कथा सुनाने के लिए कहा तब भगवान ने सभी 18 पुराणों मे भागवत पुराण को ही सबसे अच्छा बताया.
उधर ग्यान और बैराग के जाग जाने से भक्ति भी प्रसन्न हो गई अब यज्ञ आदि कर्मों में रुचि रखने लगे. इस तरह ज्ञानयोग से दीनहीन व्यक्ति भी कल्याणमय हो जाता है.
भाग 3
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