बड़ी रौनक होगी आज भगवान के दरबार में
क्योंकि एक फरिस्ता पहुंचा है
जमीं से आंसमान में ।
कितने लोग जीते हैं मरते हैं
कुछ अपने लिये कुछ दूसरों के लिये
काश कि एक नं० होता तो बात कर लेती
कि अब फरिस्तो के साथ फरिस्ता बनकर
कौन कौनसे फूल खिला रहे और कौन सा जहाँ महका रहे ।
काश ... . .
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