Thursday, 13 October 2022

लोकगीत ( हास्य )

दइया घर में हुई गो बांट वांवरों पर के सोये गयो रे,

 जेठ को मिल गई अटा - अटारी देवर को कमरा रे 

दइया फूट गई तकदीर वांबरे को छपरा मिल गयों रे। 


जेठ को ं मिल गई गइया - भैसिया, देवर को बैला रे I

दइया फूट गई तकदीर वॉवरे को पड़वा मिल गयो रे   ।।


जेठ को मिल गयो बाप , देवर को मइया रे।

दइया फूट गई तकदीर वांवरे को बहना मिल गई रे। 


जेठ को रह गयो अटा - अटारी, देवर को कमरा रे

दइया फूट गई तकदीर बावरे को छपरा जल गयो रे ।

जेठ को मर गयो बाप  ,देवर की मैय्या मर गई रे ।

दइया फूट गई तकदीर, बावरे की बहना भाग गई रे ।।

दइया फूट गई तकदीर वांवरों पर के सोये गयो रे . . .

.शब्द                 अर्थ

दइया                  आश्चर्य?जनकशब्द

हुईगौ                   हो गया

वांवरों                  अपना पति 

जेठ                     पति का बड़ा भाई

देवर                    पति का छोटा भाई

अटा- अटारी             घर की छत


अर्पणा पाण्डे

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