हमें अपना देश भारत ,प्राणो से भी प्यारा है। हम हैं भारत के भारत-वर्ष हमारा है। बिताया खेल ऋषियों ने लड़कपन गोद में जिसके।पुराना जगमगाता भारत हमें प्राणों से भी प्यारा है। सुघड़ रन बाँकुरे ,कवि-लेखकों की खानि है जिसमे। अखिल अनमोल रत्नो का वो सुख-सागर हमारा है। हम है कुर्बान उसके जंगलों और टीलो पर। ये जीवन हम कर दें निछावर ,मनमोहनी झीलों पर। जमीं गद्दा हमारा है मुलायम बिंध्य तकिया है। हिमालय है सिपाही तो सिंध भी सेवक हमारा है। दुखी है उसके दुःख में तो ,सुखी है उसके सुख मे भी , हम है संतान उसकी तो वह रक्षक पिता हमारा है. न छोडूंगी ना छोड़ूगा फटे इस तेरे दामन को , कहूँगी मरते दम तक कि ये भारत-वर्ष हमारा है ० अर्पणा पाण्डेय। 9455225325
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