जान हिंदी है ! तो हिंदुस्तान मेरा अंग है गर्भ से ही हिन्द बच्चों के ये रहती संग है , देश-भाषा ही के बल पर आज ये मजबूत है , धन-व बल जातीयता में सब तरह भरपूर है , कौन है जो देश भाषा का नहीं रखता गुमान। रूस ,अमरीका व यूरोप चीन है या जापान। देश-भाषा ही के बल पर आज वे मशहूर हुए। धन व बल जातीयता में सब तरह भरपूर हैं। राह सीधी छोड़ कर उलटे जो हम चलने लगे। हो गया उल्टा बिधाता काम सब उलटे हुए। हम- सबको काँटों सी चुभे हिंदी गरीब क्यों न हो हों फिर जमाने में सबों से बद नसीब
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