दैनिक कार्यों हेतु मनुष्य स्वयं सूर्योदय से पहले उठे और ईश्वर का स्मरण करे ,पृथ्वी माता के पैर छुए ,बड़ों को यथा-संभव सम्मान दे छोटो को प्यार करे ,जीवन को सात्विक बनाने वाले सद्ग्रन्थों का पाठ करे ,शाम को होने वाली आरती में सभी लोग सम्मिलित हों। इधर-उधर कचरा न डेल,थूकें नहीं ,और तन को स्वस्थ रखने के लिए योगासन ,प्राणायाम अवस्य करे अपने काम के प्रति ईमानदार रहें। आवश्यकता से अधिक धन हो तो गरीबों की मदद करें दान करे,तीर्थ पर जाएँ पूर्वजों के श्राद्ध-कर्म पर खर्च करें ,स्नान करके ही खाना खाए ,कभी-कभी उपवास भी रखें ,फलाहार खाएं। उसी प्रकार वस्त्र भी आरामदायक पहने भड़काऊ व चमकीले वस्त्रों को धारण ना करें। विवाह हेतु लड़के-लड़कियां माँ-बाप की पसंद को तबज्जो दें ,क्योकि आजकल बच्चे अपनी संस्कृति से दूर भाग रहे हैं इससब की जड़ में शिक्षा की कमी ,अपनेपन का आभाव माता-पिता से दूर रहना ,महीनो भेंट ना होना ही सबसे बड़ी समस्या है इसपर बच्चों की जिद ,उनमे अनुभव हीनता की कमी सबसे बड़ी समस्या है। बच्चों से जल्दी-जल्दी मिलते रहना चाहिए और उन्हें शास्त्र-विधि से किये गए विवाह की उपयोगिता बतानी चाहिए।
No comments:
Post a Comment