इस तरह आत्मदेव के जाने के बाद धुंध कारी ने अपनी माँ को बहुत सताया वह भी मर गयी, ऐसे में गोकर्ण भी वहाँ से चले गये. अब यह वेश्याओं के साथ रहने लगा और चोरी करने लगा उन वेश्याओं ने परेशान हो कर एक दिन उसे मार डाला, तो वह प्रेत योनि में पहुंच कर भटकता रहा व्याकुल होकर जंगलों में घूमता रहता, तब उसने गोकर्ण से अपनी मुक्ति मांगी तब गोकर्ण ने गायत्री देवी का जाप किया और सूर्यदेव का आव्हान किया तब सूर्यदेव ने भागवत सप्ताह करने को कहा और विधि बताई कि सात गांठ का एक बांस लगाव और उसमें धुंध कारी का आव्हान किया जाय फिर एक दिन में एक गांठ तोड़ी जाए इस तरह 7 गांठ टूट जाने पर उसे मुक्ति मिल जाएगी, गोकर्ण ने ऐसा ही किया इस तरह धुंध कारी मुक्त हो गया l
सृष्टि की रचना ब्रम्हा जी ने की, पालन-पोषण विष्णु जी ने किया संहारक शिव जी हुये, ब्रम्हा जी के क्रोध से रुद्र का जन्म हुआ तब शिव जी ने पूछा कि मेरा क्या काम तो ब्रम्हा जी ने कहा कि तुम रोते हुए पैदा हुए हो इसलिए तुम रुद्र हो और काम दिया कि तुम सृष्टि की रचना करो तब शिव जी ने तमाम जीव जन्तु पैदा कर दिया वे अजर अमर हो गए तब विष्णु जी ने उन्हें रोका और कहा कि आप सृष्टि ना करें आप तपस्या करें तब शिव जी कैलाश पर्वत पर तपस्या करने चले गए l
ब्रम्हा के आधे रूप से शतरूपा और आधे से मनु से सृष्टि शुरू हुई