4 5 वर्षीय हम दोनों का सफ़र सुख दुख को सहते निकल गया जीवन की उतरती सीढियों में सम्भालने मे अब एक दूसरे की आवश्यकता महसूस होने लगीं है तभी गुस्से को पीकर शांत रहने का हुनर भी आ गया, क्योंकि अकेले रहने वाले बहुत देखे, सब कुछ होने के बाद भी वो जगह नहीं भर्ती l उस नीरसता को कोई रस देने भी लगे तो उसे समाज मे कोई पसन्द नहीं करता ,सच कहूँ तो जीवन का यह तीसरा पहर ही सुखद होता है पैसा प्यार और नाती पोते सब कुछ मिलता है l
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