मित्रों , २ जुलाई को पथरी का ऑपरेशन करा के अब स्वस्थ हो गई हूँ ,पुनः f. b पर सक्रीय ! खुली किताब ----- जिंदगी और किताब का गहरा रिस्ता है इसीलिए कभी-कभी ये जुमला भी कहा जाता है कि फलां कि जिंदगी एक खुली किताब है ,लोगों से सुनकर और किताबों से पढ़कर जिंदगी की समझ और बढ़ती है। जिंदगी संवरती है ,तभी तो शायर कहता है --"दर्द चेहरे पर पढ़ रहा हूँ मै ,एक कहानी फिर गढ़ रहा हूँ मै " निर्धन कवि के पास क्या ? कुछ पीड़ा कुछ प्रीत और कुछ अनदेखे स्वप्न हैं दर्द भरे कुछ गीत जब तक दर्द आंसू नहीं बनता तब तक कविता नहीं बनती , अर्पणा पाण्डेय
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