विष्णु की नाभि के कमल पुष्प से ब्रम्हा जी का जन्म हुआ इसलिए वे स्वयंbhu कहलाये वे कमल नाल में बैठे बैठे ही तप करने लगे और तप करते हुए नीचे पहुँचने लगे उन्हें कहीं भी ठहराव नहीं मिला तब भगवान विष्णु की स्तुति करने लगे ... अच्युतm केशवm नाम naraynm, कृष्ण damodarm वासुदेवm हरे,
श्री धरम madhvam गोपिका vllbham
जानकी naykm रामचंद्र भजे
विष्णु जी पीताम्बर वस्त्र धारण कर ब्रम्हा जी को दर्शनं दिए, और विष्णु जी ने उन्हें सृष्टि करने के लिए कहा, तब ब्रम्हा जी ने snkadikon से सृष्टि करने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया l
विष्णु के 3 रूप हुये.
सत्य गुण....विष्णु
रजोगुण....ब्रम्हा
तमो गुण....महेश रुद्र रूप
सबसे पहले अविद्या का जन्म हुआ फिर अस्मिता का अहंकार का राग द्वेष का जन्म हुआ.
ब्रम्हा के क्रोध बढ़ने से रुद्र का जन्म हुआ रुद्र यानि शिव इनसे भी सृष्टि रचने को कहा तो शिव जी ने अजर अमर भूत पिशाच, साँप बिच्छु अनेक जीव जन्तु की सृष्टि कर डाली तब ब्रम्हा जी ने उन्हें रोका और कहा कि आप तपस्या करो तब शिव जी कैलाश पर्वत पर तपस्या करने चले गये l
अब ब्रम्हा के आधे शरीर से शतरूपा और आधे से मनु ,इनसे सृष्टि की रचना हुई
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