इंसान
नजरों से देख प्यारे क्या रूप है तुम्हारा
अपने को भूल तन में बाहर फिरे गंवारा \
जैसे ---
मृग नाभि में सुगन्धि ,सूंघे वो घास गन्दी
दुनिया सभी है अंधी समझे नहीं इशारा \
जब दूध के मथन से मिलता है घी जतन से ,
तब आप भी तो कर लो भगवन्भजन् जतन से।
अर्पणा। .
रे मन ,
लाख करोड़ी माया जोड़ी
समय बितत है जाइ। .
ऊँचे-ऊँचे महल बनाये
सुन्दर सेज बिछाई ,
और सुन्दर से कपड़े पहने ,
अपनी देह सजाई ,
नए-नए नित भोजन खाए
षट रस जीभ चखाए ,
बालपनो और यौवन बीतो
अब बृद्ध अवस्था आई
----अर्पणा
नजरों से देख प्यारे क्या रूप है तुम्हारा
अपने को भूल तन में बाहर फिरे गंवारा \
जैसे ---
मृग नाभि में सुगन्धि ,सूंघे वो घास गन्दी
दुनिया सभी है अंधी समझे नहीं इशारा \
जब दूध के मथन से मिलता है घी जतन से ,
तब आप भी तो कर लो भगवन्भजन् जतन से।
अर्पणा। .
रे मन ,
लाख करोड़ी माया जोड़ी
समय बितत है जाइ। .
ऊँचे-ऊँचे महल बनाये
सुन्दर सेज बिछाई ,
और सुन्दर से कपड़े पहने ,
अपनी देह सजाई ,
नए-नए नित भोजन खाए
षट रस जीभ चखाए ,
बालपनो और यौवन बीतो
अब बृद्ध अवस्था आई
----अर्पणा
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