Saturday, 3 May 2014


 दीवारें ----------
हर एक घर मे दीवारें हैं
और उन दीवारों मे बन्द दरवाजे हैँ

सूरज अन्दर धुसने को बेताब है
सुबह वह मुस्काती - लालिमा लिये
यहाँ-वहां चारों ओर देखता है
बंद दरबाजों को देख क्रोध मे जलता है तपता है
और  फिर -
शाम को  निराश होकर ठंडा पड़  जाता है

अर्पणा पाण्डेय ---

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