दीवारें ----------
हर एक घर मे दीवारें हैं
और उन दीवारों मे बन्द दरवाजे हैँ
सूरज अन्दर धुसने को बेताब है
सुबह वह मुस्काती - लालिमा लिये
यहाँ-वहां चारों ओर देखता है
बंद दरबाजों को देख क्रोध मे जलता है तपता है
और फिर -
शाम को निराश होकर ठंडा पड़ जाता है
अर्पणा पाण्डेय ---
No comments:
Post a Comment